निवेश और अर्थव्यवस्था

ट्रांसपोर्टेशन एंड लॉजिस्टिक फंड में निवेश पर मिलेगा तगड़ा रिटर्न, अर्थव्यवस्था में सुधार का मिलेगा लाभ
वैश्विक व घरेलू वित्तीय संस्थानों और रेटिंग एजेंसियों का अनुमान है कि चालू वित्त वर्ष 2022-23 में भारतीय अर्थव्यवस्था में सात प्रतिशत की वृद्धि रहेगी.
TV9 Bharatvarsh | Edited By: Neeraj Patel
Updated on: Oct 16, 2022 | 4:51 PM
कोरोना महामारी का असर खत्म होने के बाद आर्थिक गतिविधियों में सुधार हो रहा है. इससे घरेलू अर्थव्यवस्था भी बढ़ रही है. वैश्विक व घरेलू वित्तीय संस्थानों और रेटिंग एजेंसियों का अनुमान है कि चालू वित्त वर्ष 2022-23 में भारतीय अर्थव्यवस्था में सात प्रतिशत की वृद्धि रहेगी. अर्थव्यवस्था के विस्तार के साथ आम निवेशक भी तेजी से बढ़ते क्षेत्रों में निवेश करके लाभ कमा सकते हैं. आर्थिक वृद्धि में ट्रांसपोर्ट क्षेत्र से जुड़ी- ऑरिजनल उपकरण निर्माता (ओईएम) कंपनियां, वाहन निर्माण में सहायक उपकरण प्रदान करने वाली कंपनियां (आटो एंसिलरीज) और लाजिस्टिक्स क्षेत्र का महत्वपूर्ण योगदान है.
बीते कुछ वर्षों में मंदी की स्थिति में रहने के बाद ट्रांसपोर्टेशन और लॉजिस्टिक से जुड़े यह क्षेत्र अगले कई वर्षों तक तेज वृद्धि के लिए तैयार हैं. ऐसे में निवेशक इन क्षेत्रों में निवेश के जरिये अच्छा लाभ कमा सकते हैं. निवेशक परिवहन और लॉजिस्टिक थीम वाले फंड में निवेश करके म्यूचुअल फंड मार्ग के जरिये लाभ कमा सकते हैं.
कार बनी निजी जरूरत
2021 की शुरुआत तक धीमे विकास के बाद ऑटोमोबाइल क्षेत्र एक मजबूत पुनरुद्धार मोड़ पर है और तेजी से आगे बढ़ रहा है. ऑटोमोबाइल क्षेत्र में जब यात्री कार, युटिलिटी व्हीकल, मोटरसाइकिल, स्कूटर, यात्री और मालवाहक वाहनों की बिक्री बढ़ती है तो इनके साथ ऑटो कलपुर्जे बनाने वाली कंपनियों की आय भी बढ़ती है. भारत तेजी से मध्यम आय वाला देश बनने की ओर अग्रसर है. बढ़ती आय, अधिक औपचारिक नौकरियां और स्वस्थ वेतन वृद्धि के साथ निवेश और अर्थव्यवस्था कारों व दोपहिया वाहनों सहित कई मदों पर खर्च बढ़ रहा है. इससे स्पष्ट होता है कि सभी क्षेत्रों में खासतौर पर कोविड के बाद कार लक्जरी के बजाए एक निजी जरूरत बन गई है.
पांच वर्ष की अवधि के लिए करें निवेश
यदि आप ट्रांसपोर्ट और लॉजिस्टिक क्षेत्र की वृद्धि के साथ लंबी अवधि के लिए निवेश करना चाहते हैं तो आपको कम से कम पांच वर्ष की अवधि के लिए निवेश करना चाहिए. आइसीआइसीआइ निवेश और अर्थव्यवस्था प्रूडेंशियल ने भी ट्रांसपोर्टेशन और लाजिस्टिक्स क्षेत्र में निवेश के लिए नया फंड आफर (एनएफओ) पेश किया है. इस एनएफओ में 20 अक्टूबर तक निवेश किया जा सकता है.
ये भी पढ़ें
किसी दूसरे को पता है आपका आधार नंबर, तो क्या इससे हो सकता है बैंक फ्रॉड?
कंपनी के साथ ये इंश्योरेंस होना बहुत जरूरी, जानिए क्या हैं फायदे?
क्या इस हफ्ते सोने-चांदी में दिखेगी तेजी या भाव में रहेगा ठहराव? ऐसी हो सकती है बाजार की चाल
16 अक्टूबर 2022 की बड़ी खबरें: TV एक्ट्रेस वैशाली ठक्कर ने फांसी लगाकार की आत्महत्या
एनएफओ ने दिया 22 प्रतिशत तक का रिटर्न
बीते दो सालों में आइसीआइसीआइ प्रूडेंशियल ने जितने भी एनएफओ लांच किए हैं उनमें से अधिकतर ने 22 प्रतिशत तक का रिटर्न दिया है. इसका ईएसजी फंड नौ अक्टूबर 2020 को लांच किया गया था. इसमें अभी तक 15.4 प्रतिशत का सालाना रिटर्न मिला है. इसके क्वांट फंड को भी दिसंबर, 2020 में लांच किया गया और इसमें 22 प्रतिशत का रिटर्न मिला है. इसी तरह 2021 जनवरी में लाए गए बिजनेस साइकल फंड में निवेशकों को 20.2 प्रतिशत जबकि फ्लैक्सी कैप फंड में 14 प्रतिशत का लाभ मिला है. इसे जुलाई 2021 में लांच किया गया था.
भारत बनेगा 10 ट्रिलियन डॉलर की अर्थव्यवस्था, IMF ने बताया कौन-सा फॉर्मूला आएगा काम!
IMF Chief Economist पियरे ओलिवियर ने कहा कि 10 ट्रिलियन डॉलर की अर्थव्यवस्था बनने की क्षमता सभी देशों में नहीं होती. कुछ देशों के लिए तो ये लक्ष्य हासिल करना बेहद मुश्किल है, लेकिन भारत इस टारगेट को हासिल करने की क्षमता रखता है.
आदित्य के. राणा
- नई दिल्ली,
- 13 अक्टूबर 2022,
- (अपडेटेड 14 अक्टूबर 2022, 6:59 AM IST)
दो दिन पहले अंतरराष्ट्रीय मुद्रा कोष (IMF) ने भारत की वृद्धि दर का अनुमान 60 बेसिस प्वाइंट्स तक घटा दिया था. दुनिया भर में गहराते मंदी (Recession) के संकट के बीच ऐसा होना लाजिमी भी था. लेकिन अनुमान में कमी के बावजूद IMF ने भारत को दुनिया की सबसे तेजी से बढ़ती अर्थव्यवस्था भी बताया है. मुख्य अर्थशास्त्री पियरे ओलिवियर गौरिनचास ने इंडियन इकोनॉमी की तारीफों के पुल बांधते हुए भरोसा जताया कि भारत 10 ट्रिलियन डॉलर की अर्थव्यवस्था बनने की क्षमता रखता है.
शिक्षा-स्वास्थ्य में निवेश करेगा कमाल
IMF के चीफ इकोनोमिस्ट पियरे ओलिवियर गौरिनचास ने भारतीय अर्थव्यवस्था को 10 ट्रिलियन डॉलर की इकोनॉमी बनने का फॉर्मूला सुझाया है. गौरिनचास के मुताबिक शिक्षा (Education) और स्वास्थ्य (Health) में निवेश बढ़ाकर भारतीय अर्थव्यवस्था (Indian Economy) को रफ्तार दी जा सकती है. इसके जरिए भारत 10 ट्रिलियन डॉलर की इकोनॉमी के नजदीक पहुंच सकता है.
इसके साथ ही उन्होंने कुछ ठोस कदम उठाने की सलाह दी है, जिनके बल पर भारत अपने लक्ष्य को हासिल कर सकता है. उन्होंने कहा कि भारत में इमारतों और सड़कों में निवेश तो हो रहा है लेकिन अगर मानव संसाधन में निवेश बढ़ाया जाए तो भारत भी तेजी से आगे बढ़ेगा.
सम्बंधित ख़बरें
भारत की इस स्कीम को IMF ने बताया 'बेमिसाल' कहा- सीख सकती है दुनिया
धोनी ने अब इस कंपनी में लगाया पैसा, बोले- चिकन पसंद है, लेकिन.
ये था भारत का पहला बैंक, 50 साल तक चला, जानें- कब और किसने की शुरुआत
सरकार ने लिया टूटे चावल के एक्सपोर्ट का फैसला, पिछले महीने ही लगाया था बैन
ये भारतीय कंपनी करने जा रही 2500 कर्मचारियों की छंटनी!
सम्बंधित ख़बरें
हर देश में ऐसी क्षमता मौजूद नहीं
पियरे ओलिवियर ने कहा कि 10 ट्रिलियन डॉलर की अर्थव्यवस्था बनने की क्षमता सभी देशों में नहीं होती. कुछ देशों के लिए तो ये लक्ष्य हासिल करना बेहद मुश्किल है, लेकिन भारत इस टारगेट को हासिल करने की क्षमता रखता है. हालांकि, उन्होंने किसी भी देश का नाम लिए बगैर ये कहा कि कई देशों ने 10 ट्रिलियन डॉलर की अर्थव्यवस्था बनने का रास्ता तेजी से पार किया है. ऐसे ही भारत भी इस लक्ष्य तक पहुंचने में सक्षम नजर आता है, लेकिन इसके लिए भारत को संरचनात्मक सुधार करने की जरूरत है.
भारत कर रहा शानदार प्रदर्शन
IMF के चीफ इकोनोमिस्ट ने कहा कि भारत दुनिया की सबसे बड़ी अर्थव्यवस्थाओं में शुमार है. ऐसे में भारत का 6.8 फीसदी या फिर 6.1 फीसदी की दर से विकास करना बड़ी बात है और इस पर ध्यान दिए जाने की जरूरत है. मौजूदा माहौल को देखें तो भारत की आर्थिक वृद्धि दर की ये रफ्तार एक बेहतरीन संकेत है.
अभी भारत की अर्थव्यवस्था इतनी
भारत की मौजूदा अर्थव्यवस्था का आकार करीब साढ़े 3 ट्रिलियन डॉलर है. वहीं चीन की इकॉनमी का साइज करीब 12 ट्रिलियन डॉलर है. ऐसे में चीन में प्रति व्यक्ति सालाना आय करीब 11 हजार डॉलर है. जबकि भारत में प्रति व्यक्ति सालाना आय करीब 2200 डॉलर है. यानी चीन के लोग भारतीयों से 5 गुना ज्यादा अमीर हैं.
यही नहीं भारत में आर्थिक सुधार 1991 में शुरू हुए थे और तबसे अबतक भारतीयों की आय महज 5 गुना बढ़ी है, जबकि इन अवधि में चीन में प्रति व्यक्ति आय 24 गुना तक बढ़ गई है. ऐसे में अगर भारत 10 ट्रिलियन डॉलर अर्थव्यवस्था बन जाता है तो फिर लोगों को ज्यादा अमीर होने का अहसास होगा और उनके जीवन स्तर सुधर जाएगा.
Indian Economy: भारत में निवेश के सर्वश्रेष्ठ अवसर, 30 साल में बनेगा 30000 अरब डॉलर की अर्थव्यवस्था
भारत और अमेरिका के आपसी हितों को एक साथ समाहित करने का समय आ गया है। इसलिए भारत में निवेश के मौकों को गंवाया नहीं जाना चाहिए। दोनों ही देश वैश्विक सुरक्षा, स्थिरता और आपूर्ति शृंखला को लचीला बनाने में योगदान दे सकते हैं।
महामारी के दौरान भारत दुनिया के भरोसेमंद भागीदार के रूप में उभरा है। यह दुनिया में निवेश के लिए सबसे अच्छी जगह है, जो निवेश करने के लिए सर्वश्रेष्ठ अवसर भी देता है। केंद्रीय वाणिज्य एवं उद्योग मंत्री पीयूष गोयल ने कहा कि वैश्विक गड़बड़ी के बीच भारत की पकड़ मजबूत रही है। बड़ी अर्थव्यवस्थाओं के मुकाबले भारत विकास की राह पर सबसे तेज गति से आगे बढ़ रहा है।
इंस्टीट्यूट ऑफ चार्टर्ड एकाउंटेंट्स ऑफ इंडिया के एक कार्यक्रम में गोयल ने कहा, भारत और अमेरिका के आपसी हितों को एक साथ समाहित करने का समय आ गया है। इसलिए भारत में निवेश के मौकों को गंवाया नहीं जाना चाहिए। दोनों ही देश वैश्विक सुरक्षा, स्थिरता और आपूर्ति शृंखला को लचीला बनाने में योगदान दे सकते हैं।
इसके चलते भारत में निवेश के सबसे अच्छे अवसर हैं और इन्हें किसी भी सूरत में गंवाना नहीं चाहिए। लिज ट्रस के ब्रिटेन की प्रधानमंत्री चुने जाने के बाद उन्होंने उम्मीद जताई कि ब्रिटेन के साथ मुक्त व्यापार समझौते को लेकर बातचीत जल्द पूरी होगी। गोयल सैन फ्रांसिस्को व लॉस एंजिल्स की छह दिवसीय यात्रा पर हैं।
अपने संबंधों के विस्तार पर ध्यान दे रहे भारत व अमेरिका
गोयल ने भारत और संयुक्त राज्य अमेरिका के संबंधों पर जोर डाला। उन्होंने कहा कि दोनों देश अपने संबंधों के विस्तार पर ध्यान केंद्रित कर रहे हैं और इसके लिए दोनों देश अपने द्विपक्षीय संबंधों को बढ़ाने के लिए बातचीत कर रहे हैं।
उद्योग मंत्री पीयूष गोयल ने यूएस-इंडिया स्ट्रैटेजिक पार्टनरशिप फोरम में कहा, मेरा मानना है कि हमारी तीन साझेदारी विश्वास, प्रौद्योगिकी और प्रतिभा पर आधारित हैं।
‘ब्रांड इंडिया’ के ‘ब्रांड एम्बेसडर’ बन सकते हैं सीए
वाणिज्य एवं उद्योग मंत्री पीयूष गोयल ने भारतीय चार्टर्ड अकाउंटेंट से कहा कि वे ‘ब्रांड इंडिया’ के ‘ब्रांड एम्बेसडर’ के तौर पर काम करें। इसके साथ ही निवेशकों को भारत की ओर आकर्षित करने में मदद करें।
- विदेशों में रह रहे भारतीय चार्टर्ड अकाउंटेंट से गोयल ने कहा कि आप सभी से अपील करें कि किसी को भी उपहार देने के लिए ‘मेड इन इंडिया’ का सामान चुनें। उन्होंने कहा, भारत 30 वर्ष में 30,000 अरब डॉलर की अर्थव्यवस्था बन जाएगा।
- लिज ट्रस के ब्रिटेन की पीएम चुने जाने के बाद गोयल ने उम्मीद जताई कि ब्रिटेन के साथ मुक्त व्यापार समझौते को लेकर बातचीत जल्द पूरी होगी।
विस्तार
महामारी के दौरान भारत दुनिया के भरोसेमंद भागीदार के रूप में उभरा है। यह दुनिया में निवेश के लिए सबसे अच्छी जगह है, जो निवेश करने के लिए सर्वश्रेष्ठ अवसर भी देता है। केंद्रीय वाणिज्य एवं उद्योग मंत्री पीयूष गोयल ने कहा कि वैश्विक गड़बड़ी के बीच भारत की पकड़ मजबूत रही है। बड़ी अर्थव्यवस्थाओं के मुकाबले भारत विकास की राह पर सबसे तेज गति से आगे बढ़ रहा है।
इंस्टीट्यूट ऑफ चार्टर्ड एकाउंटेंट्स ऑफ इंडिया के एक कार्यक्रम में गोयल ने कहा, भारत और अमेरिका के आपसी हितों को एक साथ समाहित करने का समय आ गया है। इसलिए भारत में निवेश के मौकों को गंवाया नहीं जाना चाहिए। दोनों ही देश वैश्विक सुरक्षा, स्थिरता और आपूर्ति शृंखला को लचीला बनाने में योगदान दे सकते हैं।
इसके चलते भारत में निवेश के सबसे अच्छे अवसर हैं और इन्हें किसी भी सूरत में गंवाना नहीं चाहिए। लिज ट्रस के ब्रिटेन की प्रधानमंत्री चुने जाने के बाद उन्होंने उम्मीद जताई कि ब्रिटेन के साथ मुक्त व्यापार समझौते को लेकर बातचीत जल्द पूरी होगी। गोयल सैन फ्रांसिस्को व लॉस एंजिल्स की छह दिवसीय यात्रा पर हैं।
अपने संबंधों के विस्तार पर ध्यान दे रहे भारत व अमेरिका
गोयल ने भारत और संयुक्त राज्य अमेरिका निवेश और अर्थव्यवस्था के संबंधों पर जोर डाला। उन्होंने कहा कि दोनों देश अपने संबंधों के विस्तार पर ध्यान केंद्रित कर रहे हैं और इसके लिए दोनों देश अपने द्विपक्षीय संबंधों को बढ़ाने के लिए बातचीत कर रहे हैं।
उद्योग मंत्री पीयूष गोयल ने यूएस-इंडिया स्ट्रैटेजिक पार्टनरशिप फोरम में कहा, मेरा मानना है कि हमारी तीन साझेदारी विश्वास, प्रौद्योगिकी और प्रतिभा पर आधारित हैं।
‘ब्रांड इंडिया’ के ‘ब्रांड एम्बेसडर’ बन सकते हैं सीए
वाणिज्य एवं उद्योग मंत्री निवेश और अर्थव्यवस्था पीयूष गोयल ने भारतीय चार्टर्ड अकाउंटेंट से कहा कि वे ‘ब्रांड इंडिया’ के ‘ब्रांड एम्बेसडर’ के तौर पर काम करें। इसके साथ ही निवेशकों को भारत की ओर आकर्षित करने में मदद करें।
भारत बना दुनिया के निवेश का पसंदीदा स्थल
दुनिया भर के निवेशकों के लिए भारत अब पसंदीदा देश बन गया है। पीएम मोदी के नेतृत्व में तेजी से बढ़ती अर्थव्यवस्था में भारत आज न केवल दुनिया के लिए निवेश का पसंदीदा स्थल बन गया है बल्कि विभिन्न सेक्टर्स में नए-नए कीर्तिमान भी स्थापित कर रहा है। देश के तरक्की के ग्राफ को देखकर हर देशवासी ”मेरा देश, मेरा देश मेरा देश बदल रहा है… आगे बढ़ रहा है” गीत गुनगुनाने लगा है।
भारत के बुलंद हौसलों की झलक
केवल इतना ही नहीं, बीते माह हमें यह भी देखने को मिला था कि अंतरराष्ट्रीय मुद्रा कोष (IMF) ने भारत की जमकर तारीफ की थी। असल में IMF बदलते भारत का मुरीद हो गया है। IMF की प्रबंध निदेशक क्रिस्टालिना जॉर्जीवा ने इस संबंध में कहा भी था कि आने वाले वक्त में भारत दुनिया में एक अलग छाप छोड़ेगा। जॉर्जीवा ने यह भी कहा था कि, “भारत इस अंधेरे क्षितिज पर एक उज्ज्वल स्थान कहलाने का हकदार है क्योंकि यह वास्तव में इस नाजुक समय के दौरान तेजी से बढ़ती अर्थव्यवस्था रहा है। सबसे महत्वपूर्ण बात यह है कि यह विकास संरचनात्मक सुधारों से कायम है।”
IMF की प्रबंध निदेशक के इन शब्दों में साफ झलकता है कि भारत की तरक्की और उसके बुलंद हौसलों से आज पूरी दुनिया हिंदुस्तान की मुरीद हो गई है। विश्व के तमाम देशों को अब भारत में अपना विकास नजर आने लगा है। शायद यही कारण है कि भारत बीते कुछ साल में दुनिया के निवेश का पसंदीदा स्थल बन गया है। यानि निराशा के अंधेरे में घिरे विश्व एक भारतीय इकोनॉमी एक ब्राइट स्पॉट बन चुका है। आईएमएफ की यह टिप्पणी तेजी से विकसित होते भारत के बुलंद हौसलों की झलक प्रकट कर रही है। भारत अब आत्मनिर्भरता के मंत्र के साथ मैन्युफैक्चरिंग हब बनकर दुनिया के बाजारों में छा रहा है।
ज्ञात हो, इससे पहले व्यापार एवं विकास पर संयुक्त राष्ट्र सम्मेलन (UNCTAD) ने ‘इन्वेस्ट इंडिया’ को ‘संयुक्त राष्ट्र निवेश संवर्धन पुरस्कार 2020’ का विजेता भी घोषित किया था। यह पुरस्कार विश्व की निवेश संवर्धन एजेंसियों को उनकी उल्लेखनीय उपलब्धियों के लिए प्रदान किया जाता है। संभवत: भारत सरकार ने देश को निवेश के लिए दुनिया में पसंदीदा स्थल बनाने और कारोबार करना अधिक सुगम बनाने पर अधिक फोकस किया है। यह इसी बात का एक और बड़ा प्रमाण है।
कारोबारियों को बढ़ते भरोसे और बढ़ती ट्रांसपेरेंसी के कारण मिला ये मुकाम
वहीं कारोबारियों को बढ़ते भरोसे और बढ़ती ट्रांसपेरेंसी के कारण देश ने अक्टूबर 2022 में 1.51 करोड़ का 2nd highest gross GST revenue अर्जित किया। सरकार के लगातार प्रयासों से कोयला, कच्चा तेल, प्राकृतिक गैस, रिफाइनरी प्रोडक्ट्स, फर्टीलाइजर, स्टील, सीमेंट और पावर जैसी देश की आठ कोर इंडस्ट्रीज ने भी बेहतरीन ग्रोथ दिखाई। इन आठ कोर इंडस्ट्रीज के कंबाइंड इंडेक्स की बात करें तो सितंबर 2021 में यह 128 पर था जबकि सितंबर 2022 में कंबाइंड इंडेक्स करीब 8 प्रतिशत की ग्रोथ के साथ 138 पर पहुंच चुका है।
भारत के स्टार्टअप इकोसिस्टम का दुनिया में ऊंचा स्थान
भारत के स्टार्टअप इकोसिस्टम का दुनिया में ऊंचा स्थान है। हमारे देश में स्टार्टअप की सफलता, विशेष रूप से यूनिकॉर्न की बढ़ती संख्या, हमारी औद्योगिक प्रगति का एक उत्कृष्ट उदाहरण है। इससे भी अधिक खुशी की बात यह है कि हमारे देश का विकास और अधिक समावेशी होता जा रहा है तथा क्षेत्रीय विषमताएं भी कम हो रही हैं। आज के भारत का मूल मंत्र है करुणा – वंचितों के लिए, करुणा – जरूरतमंदों के लिए और हाशिए के लोगों के लिए।
71% मल्टीनेशनल कंपनियां अगले 3-5 वर्षों में भारत में करेंगी भारी निवेश
वहीं, इंफ्रास्ट्रक्चर और डिजिटलीकरण में भी भारत को विशेष सफलता मिली है। भारत की मजबूत होती इकोनॉमी ने पूरी दुनिया का ध्यान अपनी ओर खींचा है। CII-EY MNC सर्वे 2022 रिपोर्ट के मुताबिक 71% मल्टीनेशनल कंपनियां अगले 3-5 वर्षों में भारत में भारी निवेश करने जा रही है। सर्वे रिपोर्ट की मानें तो 64% मल्टीनेशनल कंपनियां भारत में बिजनेस के अनुकूल बेहतर माहौल बनाने का श्रेय केंद्र सरकार को देती है।
देश में ”ईज ऑफ डूइंग बिजनेस” में हुई भारी बढ़ोतरी
पीएम मोदी के नेतृत्व में केंद्र सरकार की लगातार कोशिशों से देश में ”ईज ऑफ डूइंग बिजनेस” में भारी बढ़ोतरी हुई है। तो वहीं डिजिटलीकरण से सहुलियत भी बढ़ी है और पारदर्शिता से भरोसा बढ़ा है। विश्व की पांचवीं सबसे बड़ी इकोनॉमी भारत अब तीसरी सबसे बड़ी इकोनॉमी बनने ओर तेजी से अग्रसर है।
इंफ्रास्ट्रक्चर और डिजिटलीकरण में भी भारत को मिली सफलता
इंफ्रास्ट्रक्चर और डिजिटलीकरण में भी भारत को बड़ी सफलता मिली है। भारत सरकार का लक्ष्य भारत के सामान्य लोगों को इस बेस पर इंपावर करना है, यानि कि उसे पावरफुल बनाना है। इसलिए, भारत ने समाज के अंतिम पायदान पर खड़े व्यक्ति को ध्यान में रखकर अपनी नीतियां बनाई, और पूरी सरकार उसकी सुविधा और प्रगति के रास्ते पर चली। भारत ने इसके लिए दो चीजों पर एक साथ काम किया। पहला-बैंकिंग व्यवस्था को सुधारना उसे मजबूत करना उसमें पारदर्शिता लाना और दूसरा- वित्तीय समावेश करना। ये दोनों ही उपाय सफल साबित हुए।
आज भारत के 99 प्रतिशत से अधिक गांवों में 5 किलोमीटर के दायरे में कोई न कोई बैंक शाखा, बैंकिंग आउटलेट या ‘बैंकिंग मित्र’ है। आम नागरिकों को बैंकिंग की जरूरतें पूरी करने के लिए इंडिया पोस्ट बैंकों के माध्यम से व्यापक डाकघर नेटवर्क का भी उपयोग किया गया है। आज भारत में प्रति एक लाख वयस्क नागरिकों पर जितनी बैंक शाखाएं मौजूद हैं, वह जर्मनी, चीन और दक्षिण अफ्रीका जैसे देशों से अधिक है।
डिजिटल भागीदारी से भारत के लिए खुला संभावनाओं का नया संसार
कहते हैं कि वित्तीय भागीदारी जब डिजिटल भागीदारी से जुड़ जाती है तो संभावनाओं का एक नया संसार खुलने लगता है। जी हां, यूपीआई (UPI) ने भारत के लिए विकास के नई द्वार खोलने का कार्य किया है। यूपीआई जैसा बड़ा उदाहरण आज हमारे सामने है और भारत को इस पर गर्व है क्योंकि यह दुनिया में अपनी तरह की पहली तकनीक है। आज 70 करोड़ स्वदेशी रुपे कार्ड उपयोग कर रहे हैं, जो विदेशी कंपनियों और उच्च वर्गों के ऐसे उत्पादों के इस्तेमाल की तुलना में बहुत बड़ा बदलाव है। “प्रौद्योगिकी और अर्थव्यवस्था का यह संयोजन गरीबों के लिए गरिमा और सामर्थ्य को बढ़ा रहा है और मध्यम वर्ग को सशक्त बना रहा है, साथ ही यह देश के डिजिटल विभाजन को भी खत्म कर रहा है।
उल्लेखनीय है कि निवेश को प्रोत्साहित करने वाली केंद्र सरकार की एजेंसी ‘इन्वेस्ट इंडिया’ को साल 2020 का संयुक्त राष्ट्र निवेश संवर्धन पुरस्कार भी प्राप्त हो चुका है। इस पर पीएम मोदी ने कहा था कि हमारी सरकार भारत को निवेश के लिए दुनिया का पसंदीदा स्थल बनाने और कारोबार करना अधिक सुगम बनाने पर ध्यान केंद्रित कर रही है। वास्तव में सरकार ऐसा करके जनता से किए अपने वादों को पूरा भी कर रही है। तभी तो महामंदी के दौर और कोरोना संकट में भी भारत की गाड़ी ट्रैक से नहीं उतरी और देश का विकास का पहिया निरंतर घूमता रहा है।
क्या 2030 तक दुनिया की तीसरी सबसे बड़ी अर्थव्यवस्था बनेगा भारत, जानिए ग्लोबल निवेश बैंक ने क्या कहा?
रिपोर्ट में कहा गया है कि भारत विश्व अर्थव्यवस्था में शक्ति प्राप्त कर रहा है और हमारी राय में, ये परिवर्तन पीढ़ी में एक बार बदलाव लाने वाले हैं जो निवेशकों और कंपनियों के लिए एक अवसर है.
भारत में विनिर्माण, इनर्जी ट्रांजिशन और देश के एडवांस्ड डिजिटल बुनियादी ढांचे में निवेश के कारण आर्थिक तौर पर उछाल की स्थिति में हैं और ये कारक 2030 में समाप्त होने वाले इस दशक के अंत से पहले इसे दुनिया की तीसरी सबसे बड़ी अर्थव्यवस्था और शेयर बाजार बना देंगे. वैश्विक निवेश बैंक मॉर्गन स्टेनली ने अपनी एक रिपोर्ट में यह बात कही है.
'व्हाई दिस इज इंडियाज डिकेड' शीर्षक वाली रिपोर्ट में भारत की अर्थव्यवस्था के भविष्य को आकार देने वाले रुझानों और नीतियों को देखा गया. रिपोर्ट में कहा गया है कि भारत विश्व अर्थव्यवस्था में शक्ति प्राप्त कर रहा है और हमारी राय में, ये परिवर्तन पीढ़ी में एक बार बदलाव लाने वाले हैं जो निवेशकों और कंपनियों के लिए एक अवसर है.
चार वैश्विक रुझान - जनसांख्यिकी, डिजिटलीकरण, डीकार्बोनाइजेशन और डीग्लोबलाइजेशन न्यू इंडिया को दर्शाने वाले हैं. इसने कहा निवेश और अर्थव्यवस्था कि भारत इस दशक के अंत तक वैश्विक विकास का पांचवां हिस्सा चलाएगा.
खपत को कैसे प्रभावित करेगा विकास:
आने वाले दशक में 35,000 डॉलर प्रति वर्ष से अधिक आय वाले परिवारों की संख्या पांच गुना बढ़कर 2.5 करोड़ से अधिक होने की संभावना है.
घरेलू आय में वृद्धि होने का मतलब है कि 2031 तक सकल घरेलू उत्पाद के दोगुने से अधिक 7.5 ट्रिलियन डॉलर होने, खपत में भारी उछाल आने और आने वाले दशक में बाजार पूंजीकरण का 11 प्रतिशत वार्षिक चक्रवृद्धि 10 ट्रिलियन डॉलर की संभावना है.
इसमें कहा गया है कि भारत की प्रति व्यक्ति आय 2031 में 2,278 अमेरिकी डॉलर से बढ़कर 5,242 अमेरिकी डॉलर हो जाएगी, जो खर्च में भारी उछाल लाएगी.
ऑफशोरिंग: 'वर्क फ्रॉम इंडिया'
पिछले दो वर्षों में भारत में खोले गए वैश्विक इन-हाउस कैप्टिव केंद्रों की संख्या पिछले चार वर्षों की तुलना में लगभग दोगुनी हो गई है.
रिपोर्ट में कहा गया है कि कोविड-19 महामारी के दो सालों के दौरान, भारत में इस उद्योग में कार्यरत लोगों की संख्या 4.3 मिलियन से बढ़कर 5.1 मिलियन हो गई और वैश्विक सेवाओं के व्यापार में देश की हिस्सेदारी 60 आधार अंक बढ़कर 4.3 प्रतिशत हो गई.
आने वाले दशक में, देश के बाहर नौकरियों के लिए भारत में कार्यरत लोगों की संख्या कम से कम दोगुनी होकर 11 मिलियन से अधिक होने की संभावना है. रिपोर्ट का अनुमान है कि आउटसोर्सिंग पर वैश्विक खर्च 180 बिलियन डॉलर प्रति वर्ष से बढ़कर 2030 तक लगभग 500 बिलियन डॉलर हो सकता है. रिपोर्ट में कहा गया है कि इसका वाणिज्यिक और आवासीय रियल इस्टेट की मांग दोनों पर महत्वपूर्ण प्रभाव पड़ेगा.
आधार प्रणाली और इसका प्रभाव
भारत की आधार प्रणाली की सफलता के बारे में बात करते हुए, रिपोर्ट में कहा गया है कि यह सभी भारतीयों के लिए मूलभूत आईडी है, जिसे छोटे मूल्य के लेनदेन के साथ कम लागत पर उच्च मात्रा में संसाधित करने के लिए डिज़ाइन किया गया है.
रिपोर्ट में कहा गया है कि धीमी शुरुआत और कानूनी चुनौतियों सहित कई चुनौतियों के बाद, आधार और इंडियास्टैक सर्वव्यापी हो गए हैं. 1.3 अरब लोगों के पास डिजिटल आईडी होने से वित्तीय लेनदेन आसान और सस्ता हो गया है. आधार ने सामाजिक लाभों के सीधे भुगतान को दक्षता और बिना किसी रिसाव के सक्षम किया है.
Paytm का साथ छोड़ रहे विदेशी निवेशक, एक साल से भी कम समय में 3 करोड़ से अधिक शेयर बेच डाले