डेट फंड्स में किसे निवेश करना चाहिए

इनकम फंड- विशेषताएं, प्रकार, जोखिम और रिटर्न, निवेश कैसे करें
इनकम फंड्स म्यूचुअल फंड्स हैं, जिनका उद्देश्य निवेशकों के लिए सिक्योरिटीज और इंस्ट्रूमेंट्स में निवेश करके ब्याज और डिविडेंड देने वाली इनकम स्ट्रीम जेनरेट करना है। ये मूल रूप से वे डेट फंड हैं जो लंबे कार्यकाल के लिए अत्यधिक रेटेड सरकारी बॉन्ड, कॉर्पोरेट बॉन्ड और मनी मार्केट इंस्ट्रूमेंट्स में निवेश करते हैं। यहां, प्रशंसा के बजाय पूंजी की डेट फंड्स में किसे निवेश करना चाहिए रक्षा के लिए महत्व दिया जाता है, इसलिए फंड मैनेजर निवेश करते समय थोड़ा अधिक सतर्क रहते हैं। सेबी इन फंडों को उन फंडों के रूप में वर्गीकृत करता है जिनकी मैकाले अवधि 4 वर्ष के बराबर या उससे अधिक है। इस प्रकार, मोटे तौर पर 2 तरह के फंड होते हैं जो इनकम म्यूचुअल फंड्स के अंतर्गत आते हैं। पहला है, ‘लॉन्ग ड्यूरेशन फंड्स ’जिसका कार्यकाल 7 वर्ष से अधिक है, और ‘मीडियम से लॉन्ग ड्यूरेशन फंड्स’ का कार्यकाल 4 से 7 वर्ष है।
इनकम फंड कैसे काम करते हैं?
होल्डिंग के आधार पर, उच्च जोखिम वाले निवेशों के लिए आयकर निधि रूढ़िवादी हो सकती है। कुछ फंड केवल क्रेडिट योग्य और स्थापित कंपनियों के उपकरणों में निवेश करते हैं जो लगातार ब्याज भुगतान या लाभांश बनाते हैं, जिससे वे अपेक्षाकृत रूढ़िवादी निवेश करते हैं। अन्य फंड कम-रेटेड बॉन्ड और REIT जैसे उच्च जोखिम वाले मध्यम से अधिक निवेश में निवेश कर सकते हैं और अन्य अधिक रूढ़िवादी फंडों की तुलना में उच्च पैदावार के लिए लक्ष्य कर सकते हैं। आय धन का सबसे बड़ा लाभ यह है कि यह विविधीकरण प्रदान करता है। बॉन्ड और अन्य फिक्स्ड इनकम इंस्ट्रूमेंट्स जैसे डेट सिक्योरिटीज में निवेश करने पर इनकम फंड बाजार के जोखिम के खिलाफ बचाव का काम करते हैं।
यह जानना महत्वपूर्ण है कि आय को अधिकतम करने का लक्ष्य हमेशा निवेशकों को नियमित भुगतान नहीं करता है। कुछ आय फंड निवेशकों को नियमित भुगतान नहीं करते हैं, इसके बजाय, वे संभव होने पर विशेष भुगतान करते हैं। निवेशकों को फंड के दस्तावेजों और प्रॉस्पेक्टस को पढ़ना चाहिए और निवेश करने से पहले आवश्यक शोध करना चाहिए।
आय निधि की विशेषताएं
आय फंड कई निश्चित आय निवेश विकल्पों में निवेश करते हैं ताकि जोखिम बाहर फैल जाए। साथ ही, इनमें से कई विकल्प खुदरा निवेशकों के लिए खुले नहीं हैं। उदाहरण के लिए, आप अपने दम पर सरकारी बॉन्ड या ट्रेजरी बिल नहीं खरीद सकते हैं; केवल संस्थागत निवेशकों को उन्हें थोक आधार पर खरीदने की अनुमति है।
यह फंड की कुल संपत्ति का प्रतिशत है जो एएमसी फंड प्रबंधन सेवाओं की पेशकश के लिए शुल्क के रूप में वसूल करता है। सेबी ने आय कोष पर 2.25% की ऊपरी सीमा बनाई है। उच्च व्यय अनुपात वाले फंड का रिटर्न पर सीधा प्रभाव पड़ता है क्योंकि इन फंडों पर रिटर्न बहुत अधिक नहीं होता है क्योंकि वे ऋण आधारित होते हैं।
इन फंडों की महत्वपूर्ण विशेषताओं में से एक कम क्रेडिट और डिफ़ॉल्ट जोखिम स्तर है। चूंकि फंड मैनेजर पूंजी संरक्षण पर अधिक लक्ष्य रखते हैं, इसलिए निवेश कॉर्पोरेट ऋण, सरकारी बॉन्ड या उच्च क्रेडिट रेटिंग वाले मनी मार्केट इंस्ट्रूमेंट्स में किए जाते हैं। लेकिन लंबी अवधि के साथ होल्डिंग्स के कारण ब्याज दर जोखिम मौजूद है, जिसका अर्थ है कि अर्थव्यवस्था में ब्याज दरों में बदलाव के जवाब में, इन फंडों के मूल्य में उतार-चढ़ाव की उम्मीद है।
आय धन के लिए कराधान
इनकम फंड कैपिटल गेन टैक्स के अधीन होते हैं, जो होल्डिंग पीरियड के अनुसार लगाया जाता है, जो कि वह अवधि होती है, जिसके लिए आप फंड की यूनिट्स को होल्ड करते हैं, या यूनिट्स को खरीदने और रिडीम करने के बीच की अवधि होती है।
यदि होल्डिंग अवधि 3 वर्ष तक है, तो एसटीसीजी लगाया जाता है और इसे आपकी कुल आय में जोड़ दिया जाता है और कर स्लैब के अनुसार कर लगाया जाता है।
यदि होल्डिंग अवधि 3 वर्ष से अधिक है, तो एलटीसीजी को अनुक्रमण लाभ के बाद 20% पर लगाया जाता है।
निवेश करने से पहले ध्यान देने योग्य बातें
1. लक्ष्य और विजन:
आपके लक्ष्य और दृष्टि स्थिर आय और कम जोखिम वाली होनी चाहिए। इन प्रकार के निवेशकों के लिए आय निधि आदर्श डेट फंड्स में किसे निवेश करना चाहिए हैं। यह उन लोगों के लिए भी आदर्श है जो लंबी अवधि के लक्ष्यों को पूरा करने के लिए पैसा बचाना चाहते हैं, जैसे घर खरीदना या किसी निश्चित परियोजना के लिए पर्याप्त धन संचय करना।
एक अच्छा फंड मैनेजर, फंड के पीछे प्रबंधन है। वे धन के पीछे मन, ज्ञान और कौशल हैं। उनके बारे में जानकारी सार्वजनिक डोमेन में उपलब्ध है, इसलिए सुनिश्चित करें कि आप उसी के माध्यम से जाते हैं।
इनकम फंड का चयन करने से पहले, निवेशकों को पोर्टफोलियो पर एक नजर डालनी चाहिए और देखना चाहिए कि इसमें कौन से उपकरण शामिल हैं। आप आसानी से उच्च-गुणवत्ता और रेटिंग बॉन्ड पर भरोसा कर सकते हैं, लेकिन यदि कोई कम रेटिंग बॉन्ड है, तो आपको आवश्यक शोध करना चाहिए और उसी के लिए चुनने से पहले अपने वित्तीय सलाहकार से परामर्श करना चाहिए।
इनकम फंड उन निवेशकों के लिए आदर्श होते हैं, जिनके पास निवेश के लिए लंबी अवधि होती है, कहते हैं, 4 साल या उससे अधिक। यदि आप ऐसे व्यक्ति हैं जो छोटी अवधि के लिए फंड पार्क करना चाहते हैं, तो आप अपनी निवेश आवश्यकताओं के अनुसार लिक्विड फंड, कम अवधि के फंड, कॉर्पोरेट बॉन्ड फंड आदि का विकल्प चुन सकते हैं। इसके अलावा, यदि आप 3 साल से अधिक के फंड को रखते हैं तो आपको इंडेक्सेशन का लाभ मिलता है।
संशोधित अवधि को केवल ब्याज दरों में बदलाव के संबंध में एक उपकरण या बॉन्ड की मूल्य संवेदनशीलता के रूप में कहा जा सकता है। उदाहरण के लिए, यदि किसी फंड के पोर्टफोलियो की संशोधित अवधि 7 साल है और ब्याज दर 1% से नीचे जाती है, तो फंड के NAV में 7% की वृद्धि होने की उम्मीद है।
इनकम फंड में किसे निवेश करना चाहिए?
लंबी अवधि के विकल्प की तलाश कर रहे निवेशकों के लिए आय निधि आदर्श है, पहले अपनी पूंजी की रक्षा करना चाहते हैं, और एक रूढ़िवादी मानसिकता रखते हैं जिसका अर्थ है कि कई जोखिम लेने के लिए तैयार नहीं हैं। ये उन निवेशकों के लिए भी अच्छे साबित हो सकते हैं जो विशेष रूप से उच्च-गुणवत्ता वाले कागजों और उपकरणों में निवेश करने के लिए उत्सुक हैं। यहां पर एक महत्वपूर्ण बात यह है कि चूंकि इन फंडों में लंबी अवधि होती है और इसलिए वे उच्च ब्याज दर जोखिम उठाते हैं।
पूछे जाने वाले प्रश्न
1. इनकम फंड्स क्या हैं?
इनकम फंड्स वे म्यूचुअल फंड्स होते हैं, जिनका उद्देश्य निवेशकों के लिए सिक्योरिटीज और इंस्ट्रूमेंट्स में निवेश करके इनकम जनरेट करना होता है जो ब्याज या कूपन पेमेंट ऑफर करते हैं।
2. इनकम फंड किस सिद्धांत पर काम करते हैं?
इन फंडों का कार्य सिद्धांत ब्याज या कूपन भुगतान के रूप में लगातार आय की पेशकश करने वाले विकल्पों में निवेश करना है।
3. इनकम फंड्स की कुछ प्रमुख विशेषताएं क्या हैं?
कम जोखिम और सभ्य रिटर्न के साथ विविधीकरण, आय धन की कुछ प्रमुख विशेषताएं हैं।
4. इनकम फंड्स में निवेश करने से पहले किन पहलुओं पर ध्यान दिया जाना चाहिए?
इन फंडों में निवेश करने से पहले गुजरने वाले कुछ प्रमुख पहलू फंड मैनेजरों की प्रोफाइल, व्यक्ति का लक्ष्य, पोर्टफोलियो के बारे में जानकारी, संशोधित अवधि और कार्यकाल, जिसके लिए निवेशक निवेश करने के लिए तैयार है।
5. इनकम फंड्स के लिए कराधान मानदंड क्या हैं?
इनकम फंड कैपिटल गेन टैक्स के अधीन हैं। यदि होल्डिंग अवधि 3 वर्ष तक है, तो एसटीसीजी लगाया जाता है और इसे आपकी कुल आय में जोड़ दिया जाता है और कर स्लैब के अनुसार कर लगाया जाता है। और यदि होल्डिंग अवधि 3 वर्ष से अधिक है, तो LTGC को अनुक्रमण लाभों के साथ 20% पर लगाया जाता है।
'फंड ऑफ फंड्स' क्या है, इसमें किसे करना चाहिए डेट फंड्स में किसे निवेश करना चाहिए निवेश?
पोर्टफोलियो को डायवर्सिफाई करने से जोखिम घट जाता है. निवेशक इसके लिए तरह-तरह के रास्ते खोजते हैं. फंड ऑफ फंड्स के जरिए भी यह काम किया जा सकता है. यह म्यूचुअल फंड की एक कैटेगरी है. इस तरह की स्कीमें दूसरी म्यूचुअल फंड स्कीमों में पैसा लगाती हैं. आइए, यहां इनके बारे में और जानते हैं.
फंड ऑफ फंड्स (FoF) म्यूचुअल फंड की ऐसी स्कीमें है जो दूसरी स्कीमों में निवेश करती हैं. इस तरह किसी एसेट क्लास में सीधे निवेश करने की जगह फंड मैनेजर उस स्कीम में पैसा लगाते हैं जिसका पहले से ही इसमें निवेश है. उदाहरण के लिए अगर फंड मैनेजर सोने में निवेश करना चाहता है तो वह सोने में निवेश करने वाली गोल्ड स्कीम में पैसा लगाएगा. इसका मतलब यह है कि FoF में कंपनी के शेयर या बॉन्ड नहीं होते हैं. बजाय इसके FoF अन्य स्कीमों की यूनिटें होल्ड करते हैं. एक FoF अपने फंड हाउस या अन्य फंड हाउस की कई स्कीमों में निवेश कर सकता है. ऐसे निवेशक जो जोखिम घटाने के लिए अपने पोर्टफोलियो को डायवर्सिफाई करना चाहते हैं, वे इनमें पैसा लगा सकते हैं.
फंड ऑफ फंड्स को दो कैटेगरी में बांट सकते हैं. एक वह जो घरेलू मार्केट पर फोकस करती है. दूसरी वे स्कीमें जिनका इंटरनेशनल मार्केट पर फोकस है. कुल मिलाकर एफओएफ तीन तरह के हो सकते हैं. एक जो इक्विटी में निवेश करते हैं. दूसरे जो डेट में पैसा लगाते हैं. तीसरे वे जिनका निवेश अंतरराष्ट्रीय बाजारों में होता है. ये तीन प्रकार तकरीबन सभी एसेट क्लास को कवर कर लेते हैं.
सरकार ने उन एफओएफ पर टैक्स लगाने का तरीका बदला है जो अपने कुल निवेश का 95 फीसदी ईटीएफ (एक्सचेंज ट्रेडेड फंड) में लगाते हैं. इन पर इक्विटी स्कीमों की तरह टैक्स लगता है. इसका मतलब है कि इस तरह के एफओएफ पर 15 फीसदी का शॉर्ट टर्म कैपिटल गेंस टैक्स लगेगा. जबकि 1 लाख रुपये से ज्यादा के लॉन्ग टर्म कैपिटल गेंस पर 10 फीसदी की दर से टैक्स लगता है. अगर एफओएफ उन स्कीमों में निवेश करते हैं जिनका इक्विटी में निवेश 65 फीसदी से ज्यादा है तो उसे इक्विटी स्कीम के तौर पर लिया जाएगा. डेट और इंटरनेशनल मार्केट में निवेश करने वाले एफओएफ पर डेट स्कीमों की तरह टैक्स लगता है.
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हाइब्रिड म्यूचुअल फंड: कम रिस्क के साथ मिलेगा बेहतर रिटर्न, किसे डेट फंड्स में किसे निवेश करना चाहिए करना चाहिए निवेश?
Hybrid Mutual Funds: म्यूचुअल फंडों की अलग अलग कैटेगिरी में एक हाइब्रिड फंड भी है. ऐसी स्कीमें इक्विटी और डेट दोनों तरह के एसेट क्लास में निवेश करती हैं.
Hybrid Mutual Funds: म्यूचुअल फंडों की अलग अलग कैटेगिरी में एक हाइब्रिड फंड भी है. ऐसी स्कीमें इक्विटी और डेट दोनों तरह के एसेट क्लास में निवेश करती हैं.
Hybrid Mutual Funds: म्यूचुअल फंडों की अलग अलग कैटेगिरी में एक हाइब्रिड फंड भी है. ऐसी स्कीमें इक्विटी और डेट दोनों तरह के एसेट क्लास में निवेश करती हैं. अगर आप कन्जर्वेटिव इन्वेस्टर हैं यानी बाजार का जोखिम नहीं लेना चाहते हैं तो आपके लिए हाइब्रिड म्यूचुअल फंड अच्छे विकल्प हैं. इनमें जहां दूसरे कैटेगिरी के मुकाबले रिस्क कम है, वहीं रिटर्न भी बेहतर मिल रहा है. पिछले 3 से 5 साल के दौरान कई ऐसे फंड हैं, जिन्होंने डबल डिजिट में यानी 10 फीसदी से ज्यादा रिटर्न दिया है. एक्सपर्ट का कहना है कि कोविड 19 संकट में अगर बाजार में अनिश्चितता को लेकर निवेशक कन्फ्यूज हैं तो, हाइब्रिड फंड में जोखिम से सुरक्षा मिल सकती है.
बेहतर मिल रहा है रिटर्न
इनमें भी अलग अलग स्कीम हैं. एग्रेसिव हाइब्रिड, कंजर्वेटिव हाइब्रिड, बैलेंस्ड हाइब्रिड, डायनेमिक एसेट एलोकेशन या बैलेंस्ड एडवांटेज, मल्टी एसेट एलोकेशन, आर्बिट्राज और इक्विटी सेविंग स्कीम इनमें शामिल हैं. बीते 5 साल की बात करें तो एग्रेसिव हाइब्रिड फंडों का औसत रिटर्न 10.50 फीसदी रहा है. बैलेंस्ड हाइब्रिड सेग्मेंट का औसत रिटर्न 5 साल में करीब 8 फीसदी रहा है. कंजर्वेटिव हाइब्रिड में 5 साल का औसत रिटर्न 7 फीसदी रहा है. हाइब्रिड इक्विटी सेविंग में 5 साल का औसत रिटर्न 7 फीसदी से ज्यादा रहा है.
हाइब्रिड फंडों की खासियत
हाइब्रिड म्यूचुअल फंड एक से अधिक एसेट क्लास में निवेश करते हैं. इनमें इक्विटी और डेट एसेट शामिल हैं. कई बार ये डेट फंड्स में किसे निवेश करना चाहिए स्कीमें सोने में भी पैसा लगाती हैं. यानी एक ही प्रोडक्ट में इक्विटी, डेट और सोने में पैसा लगाने का मौका मिलता है. इस तरह से इनका निवेश काफी डायवर्सिफाइड होता है. इसका फायदा यह है कि अगर इक्विटी में रिटर्न बिगड़ता है तो डेट या सोने का रिटर्न ओवरआल रिटर्न बैलेंस कर सकता है. उसी तरह से डेट या सोने में रिटर्न कमजोर पड़े तो इक्विटी का रिटर्न इसे बैलेंस कर देता है.
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विदेशी बाजारों में भी निवेश का मौका
हाल ही में पीजीआईएम इंडिया म्यूचुअल फंड ने निवेशकों को बेहतर रिटर्न के लिए इंटरनेशनल इक्विटी में निवेश शुरू किया है. पीजीआईएम इंडिया हाइब्रिड इक्विटी फंड ने पीजीआईएम जेनिसन ग्लोबल इक्विटी अपॉर्च्युनिटी फंड के माध्यम से इंटरनेशनल इक्विटीज में निवेश करना शुरू किया है. फंड 3 अलग-अलग एसेट क्लास जैसे डोमेस्टिक इक्विटी, डोमेस्टिक डेट और इंटरनेशनल इक्विटीज में निवेश करता है, जिससे पोर्टफोलियो की अस्थिरता को कम करने में मदद मिलती है.
इससे फंड उन निवेशकों के लिए आकर्षक हो जाता है जो स्टडी कंपाउंडर्स और वैश्विक दिग्गज कंपनियों में निवेश करके इन्वेस्टमेंट ग्रोथ की संभावनाएं तलाशते हैं. वहीं उनके लिए भी जो फिक्स्ड इनकम इन्वेस्टमेंट और हाई क्वालिटी लो ड्यूरेशन निवेश से से पोर्टफोलियो में स्थिरता चाहते हैं.
किसे करना चाहिए निवेश
एसेट एलोकेशन और डायवर्सिफिकेशन पर फोकस कर म्यूचुअल फंड की ये स्कीमें तमाम एसेट क्लास में निवेश करती हैं. इनमें वे निवेशक भी पैसा लगा सकते हैं जो न के बराबर जोखिम ले सकते हैं. थोड़ा जोखिम लेने की क्षमता रखने वालों के लिए भी ये सही हैं. हालांकि एग्रसिव इन्वेस्टर्स भी इनमें पैसा लगा सकते हैं. अगर आप म्यूचुअल फंड के नए निवेशक हैं तो ये स्कीम बेहतर हो सकती है.
हाइब्रिड फंड की अलग-अलग कटेगिरी
एग्रेसिव हाइब्रिड फंड: म्यूचुअल फंड की इस कटेगिरी में 65 से 80 फीसदी निवेश इक्विटी में होता है. वहीं, 20 से 35 फीसदी निवेश डेट में किया जाता है.
बैलेंस्ड हाइब्रिड फंड और एग्रेसिव हाइब्रिड फंड: बैलेंस्ड हाइब्रिड फंड अपने कुल एसेट का करीब 40 से 60 फीसदी इक्विटी या डेट इंस्ट्रूमेंट्स में निवेश करते हें. ये स्कीम आर्बिट्राज में निवेश नहीं कर सकती हैं.
डायनेमिक एलोकेशन या बैलेंस्ड एडवांटेज फंड: म्यूचुअल फंड की ये स्कीम कुल निवेश का 100 फीसदी इक्विटी या डेट में निवेश कर सकती है. यह अपने निवेश का प्रबंधन डायनेमिक तरीके से करती है.
मल्टी एसेट एलोकेशन फंड: म्यूचुअल फंड की इस कटेगिरी में इक्विटी, डेट और गोल्ड तीनों तरह के एसेट क्लास में निवेश किया जा सकता है. इसमें 65 फीसदी निवेश इक्विटी में, 20 से 25 फीसदी निवेश डेट में और 10 से 15 फीसदी निवेश गोल्ड में किया जाता है.
आर्बिट्राज फंड्स: इन्हें अपने कुल एसेट का कम से कम 65 फीसदी इक्विटी या इक्विटी से जुड़े साधनों में निवेश करना होता है.
इक्विटी सेविंग्स फंड्स: म्यूचुअल फंड की ये स्कीम इक्विटी, डेट और आर्ब्रिट्राज में निवेश करती है. कुल एसेट का कम से डेट फंड्स में किसे निवेश करना चाहिए डेट फंड्स में किसे निवेश करना चाहिए कम 65 फीसदी शेयरों में निवेश करना होगा. इसी तरह कम से कम 10 फीसदी निवेश डेट में करना होता है.
(नोट: यहां हमने हाइब्रिड म्यूचुअल फंड के बारे में जानकारी दी है. यह निवेश की सलाह नहीं है. बाजार के जोखिम को देखते हुए निवेश के पहले एक्सपर्ट की राय लें.)
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आपके फायदे की बात: निवेश पर चाहिए ज्यादा रिटर्न तो 'फंड ऑफ फंड्स' में लगाएं पैसा, बीते 1 साल में दिया 51% तक का रिटर्न
बढ़ती महंगाई में अगर आप अपने निवेश पर फिक्स्ड डिपॉजिट से ज्यादा रिटर्न डेट फंड्स में किसे निवेश करना चाहिए चाहते हैं तो आप म्यूचुअल फंड की 'फंड ऑफ फंड्स' कैटेगरी में निवेश कर सकते हैं। इसने बीते 1 साल में 51% तक का रिटर्न दिया है। आज हम आपको म्यूचुअल फंड की इस कैटेगरी के बारे में बता रहे हैं।
'फंड ऑफ फंड्स' क्या हैं?
फंड ऑफ फंड्स म्यूचुअल फंड की ऐसी स्कीम्स हैं जो दूसरी म्यूचुअल फंड स्कीम्स में निवेश करती हैं। लेकिन यह डेट फंड्स में किसे निवेश करना चाहिए इंडेक्स फंड्स और एक्सचेंज ट्रेडेड फंड्स (ETF) तक सीमित नहीं है। उदाहरण के लिए अगर फंड मैनेजर सोने में निवेश करना चाहता है तो वह सोने में निवेश करने वाली गोल्ड स्कीम में पैसा लगाएगा, फंड मैनेजर जिस भी स्कीम में पैसा लगाना चाहे लगा सकता है।
इसका मतलब यह है कि फंड ऑफ फंड्स म्यूचुअल फंड की ऐसी स्कीम्स है जो दूसरी स्कीम्स में निवेश करती हैं। वह किसी एक स्कीम में पैसा लगाने के लिए बाध्य नहीं होती हैं। फंड ऑफ फंड्स में कंपनी के शेयर या बॉन्ड नहीं होते हैं, फंड ऑफ फंड्स अन्य स्कीम्स की यूनिट होल्ड करते हैं। एक फंड ऑफ फंड्स मैनेजर अपने फंड हाउस या अन्य फंड हाउस की कई स्कीम्स में निवेश कर सकता है।
इसमें रहती है ज्यादा फायदे की संभावना
इसमें निवेश का सबसे बड़ा फायदा छोटे निवेशकों को है जो धन की कमी के कारण निवेश के अलग-अलग विकल्पों में निवेश नहीं कर पाते हैं। वे इस स्कीम के जरिये अपने पोर्टफोलियो को कम राशि में डायवर्सिफाई कर सकते हैं। निवेश पर अधिक लाभ कमाने की संभावना बढ़ जाती है।
कई तरह के होते हैं 'फंड ऑफ फंड्स'?
फंड ऑफ फंड्स तीन तरह के हो सकते हैं। एक जो इक्विटी में निवेश करते हैं। दूसरे जो डेट फंड में पैसा लगाते हैं। तीसरे वे जिनका निवेश अंतरराष्ट्रीय बाजारों में होता है। ये तीन प्रकार तकरीबन सभी एसेट क्लास को कवर कर लेते हैं।
कितना देना होता है टैक्स?
12 महीने से कम समय में निवेश भुनाने पर इक्विटी फंड्स से कमाई पर शार्ट टर्म कैपिटल गेन्स (STCG) टैक्स लगता है। यह मौजूदा नियमों के हिसाब से कमाई पर 15% तक लगाया जाता है। अगर आपका निवेश 12 महीनों से ज्यादा के लिए है तो इसे लॉन्ग टर्म कैपिटल गेन्स (LTCG) माना जाएगा और इस पर 10% ब्याज देना होगा।
SIP के जरिए निवेश करना रहेगा सही
रूंगटा सिक्योरिटीज के CFP और पर्सनल फाइनेंस एक्सपर्ट हर्षवर्धन रूंगटा कहते हैं कि म्यूचुअल फंड में एक साथ पैसा लगाने की बजाए सिस्टमेटिक इन्वेस्टमेंट प्लान यानी SIP द्वारा निवेश करना चाहिए। SIP के जरिए आप हर महीने एक निश्चित अमाउंट इसमें लगाते हैं। इससे रिस्क और कम हो जाता है क्योंकि इस पर बाजार के उतार चढ़ाव का ज्यादा असर नहीं पड़ता।
इसमें किसे निवेश करना चाहिए?
वो लोग जो म्यूचुअल फंड में कम पैसा निवेश करने के साथ अपने पोर्टफोलियो को डायवर्सिफाई करना चाहते हैं उनका इसमें निवेश करना सही रहेगा। इसके अलावा ये उन लोगों डेट फंड्स में किसे निवेश करना चाहिए के लिए भी सही है जिन्हें म्यूचुअल फंड के बारे में ज्यादा जानकारी नहीं है, क्योंकि इसमें एक विश्वस्तरीय फंड मैनेजर आपके पैसों को संभालता है। इससे भी आपका जोखिम कम हो जाता है।