तरलता क्या है?

तरलता से आप क्या समझते हैं?
इसे सुनेंरोकेंतरलता (Liquidity) का अर्थ किसी वस्तू या संपत्ति के तरल होने के भाव या अवस्था से है। किसी Assets या वस्तू के अंदर खरीद और बिक्री की जो क्षमता होती है, वह उसकी तरलता (Liquidity) कहलाती है। जैसे – नकदी (Cash), आभूषण, गोल्ड रिजर्व (Gold Reserves), सरकारी प्रतिभूतियों जैसे किसी भी रूप में हो सकता है।
मुद्रा की तरलता क्या है?
इसे सुनेंरोकेंमुद्रा की तरलता ( Money Liquidity ) -: मुद्रा की वह क्षमता जिससे उसे नकद में रूपांतरित किया जा सकता है। उस मुद्रा की तरलता ( Liquidity of Money ) कहते हैं। जितनी अधिक आसानी से नकद में रूपांतरित किया जा सकेगा उतनी ही अधिक मुद्रा की तरलता होगी। नकद में रूपांतरण आसानी से होना चाहिए।
तरलता अधिमान का आशय क्या है?
इसे सुनेंरोकेंनारलता सामान धिक होने पर व्याजदर जाक डोजी तया तरलता अधिनानकमतीजे पर ब्याज दर कम होगी। डय चि में भारतिय अन्तलन Eबिन्टू पर है जहाँ एवं डबक-दूसरे को काटते है। तरलता अमिान छ । को स्थिर माना है क्योंकि कीन्य के अनुसार सदा प्रति सरकार द्वारा नियन्त्रित होती है।
आदर्श तरलता अनुपात क्या है?
इसे सुनेंरोकें✎… आदर्श तरल अनुपात 1 ⦂ 1 का होता है। तरल अनुपात से तात्पर्य संस्था की तरल संपत्तियों तरलता क्या है? एवं चालू दायित्वों के बीच संबंध को व्यक्त करने से है अर्थात तरल अनुपात किसी संस्था की कुल तरल संपत्तियों और उस संस्था के चालू दायित्वों के बीच संबंध को प्रदर्शित करता है।
मुद्रा की चलन गति से क्या आशा है?
इसे सुनेंरोकेंमुद्रा की चलन गति से अभिप्राय यह है कि मुद्रा की एक इकाई द्वारा एक वर्ष में कितनी बार वस्तुंए तथा सेवायें खरीदी जाती है। मुद्रा द्वारा हम विभिन्न आवष्यकताओं की पूर्ति करते हैं इसलिए मुद्रा की मांग करते है। फिशर के विनिमय समीकरण में मुद्रा की मांग में व्यापारिक सौदे तथा कीमत स्तर को शामिल करते है।
तरलता जाल से क्या आशा है?
इसे सुनेंरोकेंतरलता (Liquidity) का अर्थ होता है वह वस्तु जो आसानी से बहती है अथवा बहने की क्षमता रखती है अर्थशास्त्र में हम इसे मुद्रा (Currency) कहते है। तरलता कहने का मुख्य कारण है इसका एक हाथ से दूसरे हाथों में जानें की क्षमता रखना। जाल का अर्थ है जिससे आप बाहर जाने में असमर्थ ही रहेंगे।
तरलता प्रबंधन क्या है?
इसे सुनेंरोकेंयह सुनिश्चित करने के लिए एक चालू प्रक्रिया है कि आरबीआई (सीआरआर) के साथ भंडार के आवश्यक स्तर को बनाए रखने के लिए और अपेक्षित और आकस्मिक नकदी जरूरतों को पूरा करने के लिए बैंक तरलता क्या है? के लिए नकद लागत को उचित लागत पर पूरा किया जा सकता है।
चालू अनुपात क्या है समझाइए?
इसे सुनेंरोकेंकिसी संस्था में चल सम्पत्तियो और चल दायित्वों के पारस्परिक संबंध को चालु अनुपात कहा जाता है। २:1 का चालू अनूपात आदर्श माना जाता है।
रिज़र्व बैंक के NBFCs के लिये नए तरलता निर्देश
हाल ही में रिज़र्व बैंक ने नॉन- बैंकिंग फाइनेंसियल कंपनियों (Non Banking Financial Companies) पर प्रभावी संपत्ति देयता प्रबंधन (Asset Liability Management) के मानकों को सुदृढ़ करने के लिये तरलता जोखिम प्रबंधन (Liquidity Risk Management) पर मौजूद दिशा-निर्देशों को संशोधित किया है।
प्रमुख बिंदु:
- भारतीय रिज़र्व बैंक ने तरलता अंतर के संदर्भ में नकारात्मक संपत्ति देयताओं (Negative Assets liabilities) की एक विशेष सीमा निर्धारित की है, साथ ही साथ तरलता कवरेज अनुपात (Liquidity Coverage Ratio- LCR) बनाए रखने का निर्देश दिया है।
- संरचनात्मक तरलता (Structural Liquidity) को बनाए रखने के लिये देनदारियों हेतु 1 से 30 दिन के समय अंतराल (Time Bucket) को,1 से 7 दिन, 8 से 14 दिन और 15 से 30 दिन के समय अंतराल में बाँट दिया गया है।
- नए नियम के अनुसार उपर्युक्त समय अंतराल में शुद्ध संचयी अंतर (Net Commulative Mismatch) 1 से 7 दिन के समय अंतराल के लिये 10%, 8 से 14 दिन के लिये 10% और 15 से 30 दिन के समय अंतराल के लिये संचयी नकद बहिर्प्रवाह (Commulative Cash Outflow) के 20% से अधिक नहीं होना चाहिए।
- इन अवधियों के पीछे मूल विचार यह है कि लघु अवधि में बैंक में नकद का बहिर्प्रवाह (Outflow), नकद के अंतर्प्रवाह (Inflow) से अधिक नहीं होना चाहिए। उदाहरण के लिये पहले समय अंतराल में नकद बहिर्प्रवाह अपेक्षित अंतर्प्रवाह के 10% से अधिक नहीं होना चाहिये।
- रिज़र्व बैंक के अनुसार, NBFCs को एक तरलता बफर, तरलता कवरेज अनुपात (Liquidity Coverage Ratio) के रूप में बनाये रखना चाहिए, जिससे आवश्यकता पड़ने पर या जोखिम के समय ये सुनिश्चित किया जा सके कि बैंक के पास अगले 30 दिनों के लिये उच्च गुणवत्ता तरलता क्या है? वाली तरल संपत्ति (High Quality Liquidity Asset-HQLA) है ।
- NBFCs के लिये 1 दिसंबर 2020 से LCR का 50% HQLA के रूप में और 1 दिसम्बर 2024 से इसे 100% बनाए रखने का प्रावधान है।
- LCR का प्रमुख उद्देश्य तरलता जोखिम (Liquidity Risk) की स्थिति से निपटने के लिये बैंकों के पास उच्च गुणवत्ता वाली तरल संपत्तियों का होना सुनिश्चित करना है।
- इन प्रावधानों के अंतर्गत ऐसी नॉन बैंकिंग फाइनेंसियल कंपनीज आती हैं जिनका संपत्ति आकार 100 करोड़ रुपए से अधिक हो।
- टाइप I - NBFC-ND (Non Deposit Taking) इकाइयाँ LCR मानदंडों के अंतर्गत नहीं आती हैं।
- टाइप I - एनबीएफसी-एनडी इकाइयाँ वे इकाइयाँ होती हैं जो सार्वजनिक जमाओं को स्वीकार नहीं करतीं।
संपत्ति देयता प्रबंधन-
संपत्ति देयता प्रबंधन के अंतर्गत बैंकों द्वारा तरलता या ब्याज दरों में परिवर्तन के कारण संपत्ति और दायित्वों के बीच अंतर से उत्पन्न जोखिम का पता चलता है।
मुद्रा और बैंकिंग
तरलता पाश एक ऐसी स्थिति है जिसमें ब्याज की दर अति निम्न होती है और हर निवेशक भविष्य में ब्याज दर में वृद्धि की आशा रखता है। परिणाम-स्वरूप निवेशकों को बॉण्ड में निवेश करना आकर्षक नहीं लगता। ऐसी हालत में लोग बॉण्ड्स बेचकर मुद्रा अपने पास इकट्ठी करते जाते हैं, क्योंकि ऐसी स्थिति में बॉण्ड्स ऐसी परिसम्पति ना के बराबर आय प्रदान करती है। इससे मुद्रा के लिए सट्टेबाज़ी की माँग अनंत या पूर्ण लोचदार हो जाती है। इसे नीचे दिए गए चित्र में दिखाया गया है।
ब्याज दर = 2% के बाद मुद्रा माँग वक्र X-अक्ष के समांतर हो गया है। इस स्थिति को तरलता पाश या तरलता फंदा कहा जाता है। इस स्थिति मौद्रिक अधिकारियों के लिए एक कठिन चुनौती है क्योंकि इस स्थिति में मौद्रिक नीति द्वारा भी साख व मुद्रा की पूर्ति को नियंत्रित नहीं किया जा सकता।
वस्तु विनिमय प्रणाली क्या है ? इसकी क्या कमियाँ है ?
वस्तु विनिमय प्रणाली: मुद्रा के बिना प्रत्यक्ष रूप से वस्तुओं का वस्तुओं के लिए लेन-देन वस्तु विनिमय प्रणाली कहलाती है। अर्थात् इस प्रणाली में वस्तुओं के बदले वस्तुएँ ही खरीदी जाती हैं। उदाहरणार्थ, गेहूँ के बदले कपड़ा प्राप्त करना, किसी अध्यापक को उसकी सेवाओं का भुगतान अनाज के रूप में किया जाना इत्यादि।
वस्तु-विनिमय की कमियाँ: वस्तु विनिमय की निम्नलिखित कमियाँ हैं:-
- आवश्कताओं के दोहरे संयोग का अभाव: वस्तु का वस्तु के साथ विनिमय तभी सम्भव हो सकता हैं जब दो ऐसे व्यक्ति परस्पर विनिमय करें जिन्हें एक-दूसरे की आवश्यकता हो;अर्थात् पहले व्यक्ति की वस्तु की पूर्ति, दूसरे की माँग की वस्तु हो और दूसरे व्यक्ति की पूर्ति की वस्तु, पहले व्यक्ति की माँग की वस्तु हो। इस प्रकार दोहरे संयोग की समस्या उत्त्पन्न होती हैं।
- मूल्य के सामान्य मापदंड का अभाव: वस्तु विनिमय प्रणाली में ऐसी सामान्य इकाई का अभाव होता है, जिसके द्वारा वस्तुओं और सेवाओं का माप किया जा सके; उदाहरण के लिए यदि कोई व्यक्ति गेहूँ का लेन-देन करना चाहता है तो उसे गेहूँ का मूल्य कपड़े के रूप में (1 किलो गेहूँ = 1 मीटर कपड़ा), दूध के रूप में (1 किलो गेहूँ = 2 लीटर दूध) आदि बाज़ार में उपलब्ध हर वस्तु के रूप में पता होना चाहिए। यह जानना चाहे असंभव ना हो परंतु कठिन अवश्य है।
- वस्तु की अविभाज्यता: जो वस्तुएँ अविभाज्य होती हैं, उनकी विनिमय दर का निर्धारण करना विनिमय प्रणाली के अंतर्गत एक गंभीर समस्या उत्पन्न कर देता है; जैसे एक भैंस तथा कुत्तों का विनिमय करने में कठिनाई उत्पन्न होती है।
- मूल्य संचय का अभाव: यहाँ मूल्य का संचय वस्तुओं के रूप में हो सकता है, परंतु मूल्य को वस्तुओं के रूप में संचित करने में विभिन्न कठिनाइयाँ आती हैं। उदाहरण:
- मूल्यों को वस्तुओं के रूप में संचित करने में अधिक स्थान की आवश्यकता पड़ती है।
- आलू, टमाटर, अनाज, फल आदि को संचित नहीं किया जा सकता, इसलिए वस्तुओं की दशा में, क्रय शक्ति को बचाकर रखना बहुत कठिन कार्य है।
- वस्तुओं के मूल्य में अंतर आ जाता हैं।
संव्यवहार के लिए मुद्रा की माँग क्या है? किसी निर्धारित समयावधि में संव्यवहार मूल्य से यह किस प्रकार संबंधित है ?
संव्यवहार के लिए मुद्रा की माँग से अभिप्राय एक अर्थव्यवस्था में संव्यवहारों को पूरा करने के लिए मुद्रा की माँग से है।
सूत्रों के रूप में, मुद्रा की संव्यवहार माँग
( M T d ) = k . T
यहाँ, k = धनात्मक अंश
T = एक इकाई समयावधि में संव्यवहारों का कुल मौद्रिक मूल्य
संव्यवहार के लिए मुद्रा की माँग और किसी निर्धारित समयावधि में संव्यवहार मूल्य में घनिष्ठ संबंध है। यदि अर्थव्यवस्था में किसी निर्धारित समयावधि में संव्यवहार मूल्य अधिक है तो मुद्रा की माँग भी अधिक होगी।भारत में मुद्रा पूर्ति की वैकल्पिक परिभाषा क्या है?
भारतीय रिज़र्व बैंक मुद्रा की पूर्ति के वैकल्पिक मापों को चार रूपों में प्रकाशित करता है, नामत: M1, M2, M3 और M4 ।
ये सभी निम्नलिखित तरह से परिभाषित किये जाते हैं:
M1 = C + DD + OD
M2 = M1 + डाकघर बचत बैंकों में बचत जमाएँ
M3 = M1 + व्यावसायिक बैंकों की निवल आवधिक जमाएँ
M4 = M3 + डाकघर बचत संस्थाओं में कुल जमाएँ
जहाँ ,
C = जनता के पास करेंसी
DD = माँग जमाएँ
OD = रिज़र्व बैंक के पास अन्य जमाएँ
M1 and M2 संकुचित मुद्रा (Narrow Money) कहलाती है। M3 और M4 को व्यापक मुद्रा (Broad Money) कहते हैं।
M1 संव्यवहार के लिए सबसे तरल और आसान है, जबकि M4 इनमें सबसे कम तरल है।मुद्रा के प्रमुख कार्य क्या-क्या हैं ? मुद्रा किस प्रकार वस्तु विनिमय प्रणाली की कमियों को दूर करता है ?
- विनिमय का माध्यम;
- मूल्य का मापक;
- भावी भुगतान का आधार;
- मूल्य संचय।
मुद्रा निम्नलिखित प्रकार से वस्तु-विनिमय प्रणाली की कमियों को दूर करती हैं:
विनिमय का माध्यम: मुद्रा की सर्वप्रथम भूमिका यह है कि वह मुद्रा विनिमय के माध्यम के रूप में कार्य करती है। मुद्रा विनिमय के माध्यम के रूप में विनिमय सौदों को दो भागों क्रय और विक्रय में विभाजित करती है। मुद्रा का यह कार्य आवश्यकताओं के दोहरे संयोग की कठिनाई को दूर करता है। लोग अपनी वस्तुओं को मुद्रा के बदले में बेचते हैं और उससे प्राप्त राशि को अन्य वस्तुओं एवं सेवाओं के क्रय में प्रयोग करते हैं।
मूल्य का मापक: मुद्रा मूल्य के मापक के रूप में भी कार्य करती हैं। विभिन्न वस्तुओं की कीमत को मुद्रा के रूप में दर्शाया जा सकता हैं। मुद्रा में व्यक्त कीमतों के आधार पर दो वस्तुओं के सापेक्षिक मूल्यों की तुलना करना सरल हो जाता है। इस प्रकार मुद्रा विनिमय के सामान्य मापक के अभाव की समस्या को हल कर देती है।
भावी भुगतान का आधार: साख आज की आधुनिक पूँजीवादी अर्थव्यवस्था का रक्त तथा जीवन बन चूका हैं। करोड़ों सौदों में तत्कालीन भुगतान नहीं किया जाता। देनदार यह वायदा करते हैं की वे भविष्य की किसी तारीख पर भुगतान करेंगे। उन स्थितियों में, मुद्रा भावी भुगतानों के आधार के रूप में कार्य करती हैं। ऐसा इसलिए संभव है, क्योंकि मुद्रा को सामान्य स्वीकृति प्राप्त है, इसका मूल्य तरलता क्या है? स्थिर है, यह टिकाऊ तथा समरूप होती है।
मूल्य संचय: धन को मुद्रा के रूप में आसानी से संचित किया जा सकता हैं। मुद्रा को मूल्य की हानि किए बिना संचित किया जा सकता हैं। बचत सुरक्षित होती है तथा उन्हें आवश्यकता पड़ने पर उपयोग किया जा सकता हैं। इस प्रकार, मुद्रा वर्तमान तथा भविष्य के मध्य एक पुल का कार्य करती है। हालांकि मुद्रा के अतिरिक्त अन्य परिसंपत्ति भी मूल्य संचय का कार्य कर सकती है, परंतु, ये संपत्तियाँ दूसरी वस्तु के रूप में आसानी से परिवर्तनीय नहीं हो सकती हैं और इनकी सार्वभौमिक स्वीकार्यता भी नहीं होगी।
मान लीजिए कि एक बंधपत्र दो वर्षों के बाद 500 रु० के वादे का वहन करता है, तत्काल कोई प्रतिफल प्राप्त नहीं होता है। यदि ब्याज दर 5% वार्षिक है, तो बंधपत्र की कीमत क्या होगी ?
माना बंधपत्र की कीमत = x
ब्याज की दर = 5%
समय = 2 वर्ष
पहले वर्ष का ब्याज;
= x × 5 100 = 5 x 100 = x 20 . . . ( i )दूसरे वर्ष के लिए बंधपत्र की कीमत;
= x + x 20 = 21 x 20
दूसरे वर्ष का ब्याज
= 21 x 20 × 5 100 = 21 x 20 × 5 100 = 21 x 400 . . . ( ii )
कुल ब्याज;
(i) + (ii)
= x 20 + 21 x 400 = 20 x + 21 x 400 = 41 x 400चूँकि,
= 41 x 400 = 500 ⇒ x = 500 × 400 41 = 4878 . 048 ( approx )
अत: बंधपत्र की कीमत = 4,878 रूपएCryptocurrency के लिए तरलता का क्या मतलब है?
जब क्रिप्टोक्यूरेंसी स्पेस में विभिन्न एक्सचेंजों की तुलना की जाती है, तो उन शर्तों में से एक जो किसी अन्य से अधिक के आसपास फेंक दी जाती है, तरलता है। जबकि अन्य क्रिप्टोक्यूरेंसी विनिमय विशेषताओं, जैसे कि सुरक्षा और शुल्क, विचार करने के लिए भी बेहद महत्वपूर्ण हैं, तरलता उनकी क्रिप्टो संपत्ति के लिए उचित विनिमय दर प्राप्त करने की क्षमता पर एक जबरदस्त प्रभाव डाल सकती है। लेकिन तरलता क्या है? आइए, एक्सचेंज इकोसिस्टम के इस प्रमुख पहलू पर करीब से नज़र डालें.
तरलता क्या है?
तरलता प्रभावी रूप से अपने वर्तमान उचित बाजार मूल्य पर किसी विशेष संपत्ति को खरीदने या बेचने की क्षमता का एक माप है। उदाहरण के लिए, यदि आपके पास कुछ बिटकॉइन है और यह अमेरिकी डॉलर के लिए व्यापार करना चाहता है, तो आपके लिए मौजूदा विनिमय दर पर बिक्री करने में सक्षम होने के लिए ऑर्डर के दूसरी तरफ पर्याप्त मांग की आवश्यकता है।.
यदि आप बिटकॉइन की $ 1 मिलियन कीमत बेचना चाहते हैं और मौजूदा बाजार दर के करीब $ 500,000 मूल्य के खरीद ऑर्डर हैं, तो आप अपने बिटकॉइन में से कुछ को कम कीमत पर बेच देंगे, जो आम तौर पर वर्तमान विनिमय के रूप में स्वीकार किया जाता है। मूल्यांकन करें। इसके अतिरिक्त, आपका विक्रय आदेश बिटकॉइन की वर्तमान कीमत को कम करेगा क्योंकि आपके अनुरोधित विक्रय मूल्य पर पर्याप्त खरीद आदेश नहीं थे.
बड़े खंड में बाजार मूल्य पर किसी विशेष संपत्ति को खरीदने या बेचने में सक्षम नहीं होने की इस घटना को स्लिपेज के रूप में जाना जाता है.
नकद को आम तौर पर दुनिया में सबसे अधिक तरल संपत्ति के रूप में स्वीकार किया जाता है क्योंकि इसका उपयोग मूल रूप से बिना पर्ची के कुछ भी खरीदने के लिए किया जा सकता है। जबकि बिटकॉइन को डिजिटल कैश का एक रूप माना जाता है, यह कहीं भी तरलता के स्तर के आस-पास नहीं होता है जो कि अमेरिकी मुद्राओं जैसे कि अमेरिकी डॉलर में पाया जाता है।.
तरलता बनाम आयतन
लिक्विडिटी अक्सर वॉल्यूम के साथ होती है, लेकिन ये दो अलग चीजें हैं। आमतौर पर तरलता और मात्रा के बीच घनिष्ठ संबंध होता है, लेकिन उच्च मात्रा का मतलब उच्च तरलता नहीं है.
ट्रेडिंग वॉल्यूम केवल समय की अवधि के भीतर निष्पादित ट्रेडों के मूल्य का एक उपाय है, आमतौर तरलता क्या है? पर दैनिक आधार पर मापा जाता है। दूसरी ओर, लिक्विडिटी का ऑर्डर बुक पर खरीदने और बेचने के ऑर्डर के साथ ज्यादा होता है। दूसरे शब्दों में, वॉल्यूम उन ट्रेडों का माप है जो पहले ही हो चुके हैं, जबकि चलनिधि खरीद और बिक्री के प्रस्तावों की सूचना देती है जिसे वर्तमान में एक्सचेंज में स्वीकार किया जा सकता है।.
क्यों अधिक ट्रेडिंग वॉल्यूम = अधिक तरलता?
व्यापार की मात्रा और तरलता के बीच कोई सीधा संबंध नहीं है; हालांकि, उच्च व्यापार संस्करणों के साथ एक एक्सचेंज अधिक व्यापारियों को आकर्षित करेगा। क्रिप्टो एक्सचेंजों की बात करें तो चरम पर नेटवर्क के प्रभाव हैं क्योंकि हर कोई सबसे अधिक तरल बाजारों के साथ एक्सचेंज पर होना चाहता है (गतिविधि के उच्च स्तर के कारण).
उच्च ट्रेडिंग वॉल्यूम नए व्यापारियों को एक क्रिप्टोक्यूरेंसी एक्सचेंज की ओर आकर्षित कर सकते हैं, जो हर समय पुस्तकों पर अधिक खरीद और बिक्री के आदेश देगा – जिसका मतलब है कि तरलता का एक बड़ा स्तर। इसका यौगिक प्रभाव अधिक मात्रा के रूप में होता है, और अधिक उपयोगकर्ता आमतौर पर इसका मतलब है कि एक्सचेंज बेहतर शुल्क और दरों की पेशकश कर सकता है, केवल अन्य एक्सचेंजों के खिलाफ उनके मूल्य की पेशकश को बढ़ा सकता है।.
क्या बिटकॉइन एक तरल संपत्ति माना जाता है?
क्रिप्टोक्यूरेंसी बाजार के संदर्भ में, बिटकॉइन से अधिक तरल कोई संपत्ति नहीं है। यह कहते हुए कि, बिटकॉइन व्हेल अभी भी क्रिप्टो संपत्ति की कीमत को अपने बड़े खरीद और बिक्री के आदेश के साथ स्थानांतरित करने में सक्षम हैं। यह कई कारणों से हो सकता है, जिनमें से एक यह है कि सैकड़ों विभिन्न एक्सचेंज हैं, और यह पूरे बाजारों में मूल्य विसंगति पैदा करता है। यदि इसके बजाय, सभी क्रिप्टोक्यूरेंसी ट्रेडों को एक ही केंद्रीकृत विनिमय पर किया जाता है, तो बाजार निश्चित रूप से अधिक तरल होगा.
एक तरल संपत्ति को एक ऐसी परिसंपत्ति के रूप में परिभाषित किया जाता है जिसे खुले बाजार में उद्धृत मूल्य से बहुत कम दर पर नकदी में बदल दिया जा सकता है। बिटकॉइन की प्रकृति इसे बनाता है इसलिए इसे बहुत जल्दी नकदी में बदल दिया जा सकता है, लेकिन बिटकॉइन की बहुत बड़ी मात्रा में हस्तांतरण करने वालों को इसकी मंदी का अनुभव हो सकता है.
यह ध्यान दिया जाना चाहिए कि तकनीक के शुरुआती दिनों से बिटकॉइन की तरलता और व्यापार की मात्रा में जबरदस्त वृद्धि हुई है। सहित अन्य अत्यधिक तरल संपत्ति USDT, जो अनिवार्य रूप से नकदी का एक पेग है, और लहर, जिसका उपयोग बैंकों और वित्तीय संस्थानों द्वारा बहुत अधिक किया जाता है.
एक्सचेंज लिक्विडिटी बनाम क्रिप्टोक्यूरेंसी लिक्विडिटी
एक्सचेंज लिक्विडिटी और क्रिप्टोकरेंसी लिक्विडिटी के बीच का अंतर क्या मापा जा रहा है, इसके साथ है। विनिमय के संदर्भ में, आप किसी विशेष क्रिप्टो परिसंपत्ति की मात्रा को माप रहे हैं, जिसे आप प्रमुख स्लिपेज का अनुभव किए बिना उस एक्सचेंज पर बेच सकते हैं। किसी विशिष्ट क्रिप्टोक्यूरेंसी की तरलता को मापते समय, आप उन सभी विभिन्न तरीकों को देखना चाहेंगे जिनमें क्रिप्टोक्यूरेंसी को नकद या अन्य परिसंपत्तियों में बदला जा सकता है।.
क्रिप्टोक्यूरेंसी तरलता की माप में, आप उन सभी एक्सचेंजों के ऑर्डर बुक को देखना चाहेंगे, जहां उस परिसंपत्ति का व्यापार किया जा सकता है, अन्य चर के अलावा, जैसे कि भुगतान प्रोसेसर के माध्यम से क्रिप्टो संपत्ति की स्वीकृति.
क्रिप्टोक्यूरेंसी एक्सचेंज क्या सबसे अधिक तरलता प्रदान करते हैं?
सबसे अधिक तरलता के साथ क्रिप्टोक्यूरेंसी एक्सचेंज भी उच्चतम ट्रेडिंग वॉल्यूम के साथ एक्सचेंज होते हैं। इन दिनों, बायनेन्स बीटीसी-यूएसडीटी ट्रेडिंग जोड़ी के माध्यम से अब तक सबसे अधिक बिटकॉइन गतिविधि है। Binance भी बड़ी संख्या में altcoins के लिए मुख्य व्यापारिक केंद्र है.
यदि आप किसी विशेष altcoin का व्यापार करना चाहते हैं, तो आप यह सुनिश्चित करना चाहते हैं कि आप एक्सचेंज पर ट्रेड किए गए सभी क्रिप्टो टोकन के बजाय उस विशिष्ट क्रिप्टो संपत्ति के लिए ट्रेडिंग वॉल्यूम और चलनिधि देख रहे हैं। छोटे altcoins आला एक्सचेंजों पर कारोबार किया जाता है.
यह ध्यान दिया जाना चाहिए कि ऐसे ओवर-द-काउंटर ब्रोकर भी हैं जो उन निवेशकों की मदद करते हैं जो स्लिपेज को कम करते हुए बड़ी मात्रा में क्रिप्टोकरेंसी का व्यापार करना चाहते हैं।.
स्टॉक मार्केट लिक्विडिटी बनाम क्रिप्टोक्यूरेंसी एक्सचेंज लिक्विडिटी
शेयर बाजार या क्रिप्टोकरेंसी एक्सचेंज में तरलता कैसे काम करती है, इसके बीच कोई वास्तविक अंतर नहीं है। दोनों मामलों में एक ही मूल सिद्धांत लागू होते हैं.
हालांकि, आम तौर पर शेयरों और क्रिप्टोकरेंसी के लिए तरलता कैसे काम करती है, इसके बीच एक महत्वपूर्ण अंतर है। एक शेयर की तरलता एक विनिमय पर केंद्रीकृत होती है। उदाहरण के लिए, Apple स्टॉक के सभी एक्सचेंज नैस्डैक एक्सचेंज के माध्यम से किए जाते हैं। बिटकॉइन जैसी क्रिप्टोकरेंसी के साथ, तरलता बड़ी संख्या में विभिन्न एक्सचेंजों के बीच विभाजित होती है। हालांकि, जैसा कि पहले उल्लेख किया गया है, नेटवर्क प्रभाव ज्यादातर व्यापारियों को समान कुछ एक्सचेंजों में धकेलने की प्रवृत्ति है.
तरलता और तरल संपत्ति के बीच अंतर क्या है?
Cash reserve ratio & Statutory liquidity ratio (नवंबर 2022)
छोटी सूचना पर वित्तीय दायित्वों को पूरा करने के लिए किसी कंपनी की तरल परिसंपत्तियों को आसानी से नकद में बदला जा सकता है तरलता एक तरल परिसंपत्तियों का उपयोग करके अपने ऋण का भुगतान करने की क्षमता है।
बैंकों से इलेक्ट्रॉनिक्स निर्माताओं के लिए सभी व्यवसायों के लिए सबसे आम प्रकार की तरल संपत्तियां, जांच और बचत खातों और बाजारों में प्रतिभूतियों जैसे कि स्टॉक और बांड के रूप में धन हैं अत्यधिक तरल प्रतिभूतियों को उनकी कीमत को प्रभावित किए बिना जल्दी और आसानी से बेचा जा सकता है। एक शेयर निवेश को अंजाम देना एक आदेश देने के रूप में सरल है, जो वर्तमान बाजार मूल्य पर लगभग तुरंत शेयरों की बिक्री को ट्रिगर करता है।
एक बैंक की तरलता अपने सभी अनुमानित खर्चों को पूरा करने की क्षमता से निर्धारित होती है, जैसे ऋण निधि या ऋण पर भुगतान, केवल तरल संपत्ति का उपयोग करके। आदर्श रूप से, बैंक को तरलता के स्तर को बनाए रखना चाहिए जो कि अन्य परिसंपत्तियों को समाप्त किए बिना किसी अप्रत्याशित व्यय को पूरा करने की अनुमति देता है। प्रत्याशित देनदारियों के मुकाबले तरल परिसंपत्तियों के ऊपर तकिया, बड़ा बैंक की तरलता
बैंक की निरंतर शोधन क्षमता में तरलता के महत्व को समझने के लिए, यह तरल और अतरल, या निश्चित संपत्ति के बीच के अंतर को समझने में मदद करता है। अचल परिसंपत्तियां तेजी से नकदी में बदल सकती हैं, जिनमें रियल एस्टेट और उपकरण शामिल हैं, जो व्यवसाय को दीर्घकालिक मान प्रदान करते हैं। वित्तीय दायित्वों को पूरा करने के लिए अतरल संपत्ति का उपयोग करना आदर्श नहीं है। उदाहरण के लिए, वित्तीय दायित्वों को पूरा करने के लिए रियल एस्टेट को बेचना, अक्षम और संभावित महंगा है। अगर जल्दी में धन की आवश्यकता होती है, तो कंपनी को परिसमापन में तेजी लाने के लिए संपत्ति को छूट पर बेचना पड़ सकता है।
इसके अतिरिक्त, इन प्रकार की संपत्ति को कर्ज का भुगतान करने के लिए व्यवसाय की क्षमता और सड़क के नीचे लाभ उत्पन्न करने की क्षमता पर हानिकारक प्रभाव पड़ सकता है। एक कपड़ों के निर्माता को ऋण बंद करने के लिए अपने उपकरणों को बेचना पड़ता है, जिससे लगातार उत्पादन के स्तर को बनाए रखने में कठिनाई हो सकती है और प्रतिस्थापन की खरीद के लिए नए ऋण लेने की आवश्यकता होगी। स्थाई परिसंपत्तियों को सुलझाने के लिए एक अल्पकालिक समस्या का अंतिम सहारा समाधान होता है जो दीर्घकालिक परिणामों को विनाशकारी कर सकता है।
2008 की वित्तीय संकट के दौरान, यह स्पष्ट हो गया कि बैंक अपने दायित्वों को पूरा करने के लिए जरूरी तरल संपत्ति के भंडार को बनाए नहीं रख रहे थे। कई बैंकों को जमाकर्ता निधियों की अचानक वापसी का सामना करना पड़ा या उपप्रदेश बंधक संकट के कारण अवैतनिक ऋणों में अरबों डालर डाल दिए गए। परेशान समय के माध्यम से उन्हें ले जाने के लिए तरल संपत्तियों के पर्याप्त तकिया के बिना, कई तरलता क्या है? बैंक तेजी से दिवालिया हो गए। अंत में, बैंकिंग उद्योग ऐसे खराब स्थिति में था कि सरकार को कुल आर्थिक पतन को रोकने के लिए कदम उठाना पड़ा।
नकदी कवरेज अनुपात नियम को यह सुनिश्चित करने के साधन के रूप में विकसित किया गया था कि बैंक 2008 की दोबारा प्रदर्शन से बचने के लिए पर्याप्त तरलता का स्तर बनाए रखे। नए नियम के तहत, सभी बैंकों को तरल परिसंपत्ति स्टोर बनाए रखना चाहिए जो 100% के बराबर या उससे अधिक हो। 30-दिन की अवधि के लिए उनके कुल प्रत्याशित व्यय अचानक आय में गिरावट या अप्रत्याशित देयता की स्थिति में, बैंक नए ऋण लेने या अचल परिसंपत्तियों को समाप्त किए बिना अपने सभी वित्तीय दायित्वों को पूरा कर सकते हैं, इससे पहले कि वह एक और वित्तीय आपदा में बदल जाए, इस मुद्दे को हल करने के लिए उन्हें समय दे।
क्या संपत्ति कर योग्य है और क्या संपत्ति कर योग्य नहीं है? | इन्वेस्टमोपेडिया
अपनी कर योग्य आय को समायोजित करें टैक्स देयता को कम करने और बड़ी रिफंड प्राप्त करने के लिए कानूनी रणनीति के बारे में जानें।
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सीखें कि वर्तमान संपत्तियां और अचल संपत्तियां क्या हैं, वर्तमान और गैर-वर्तमान परिसंपत्तियों के उदाहरण हैं, और इन परिसंपत्तियों के बीच अंतर।
अचल संपत्ति और असली संपत्ति के बीच अंतर क्या है?
समझ कैसे अचल संपत्ति कानूनी संपत्ति से अलग कानूनी है और प्रत्येक संपत्ति के मालिक के लिए उस अंतर के निहितार्थ