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समर्थन क्या है?

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तत्कालीन प्रधानमंत्री चुनाव कराना चाहते थे लेकिन ख़ोमैनी ने ऐसा नहीं होने दिया। उन्होंने ख़ुद ही एक अंतरिम सरकार बना ली। उन्होंने ईरान को एक इस्मालिक राज्य घोषित कर दिया और देश में शरिया क़ानून लागू कर दिया।

पोल कराने के बाद मस्क ने डोनाल्ड ट्रंप का Twitter अकाउंट बहाल किया, जानिए कितने लोगों ने किया समर्थन

पोल कराने के बाद मस्क ने डोनाल्ड ट्रंप का Twitter अकाउंट बहाल किया, जानिए कितने लोगों ने किया समर्थन

मस्क ने एक ऑनलाइन सर्वेक्षण किया था, जिसमें प्रतिभागियों से पूछा गया था कि क्या ट्विटर पर ट्रंप की वापसी होनी चाहिए. इस सर्वेक्षण में 15,085,458 लोगों ने अपना मत जाहिर किया. करीब 51.8 फीसदी लोगों ने ट्रंप का अकाउंट बहाल समर्थन क्या है? करने का समर्थन किया, जबकि 48.2 प्रतिशत इसके खिलाफ थे.

अमेरिका के पूर्व राष्ट्रपति डोनाल्ड ट्रंप का ट्विटर अकाउंट शनिवार रात बहाल कर दिया गया. सोशल मीडिया कंपनी के नए मालिक एलन मस्क ने शनिवार सुबह ट्वीट कर ट्रंप के ट्विटर अकाउंट को बहाल किए जाने की योजना के बारे में बताया था. उन्होंने लिखा था, “लोगों ने अपनी इच्छा जाहिर की है. ट्रंप का अकाउंट बहाल किया जाएगा.”

अभिनेत्री कंगना रनौत का अकाउंट भी है सस्पेंड

पिछले साल मई के महीने में विवादास्पद ट्वीट की वजह से अभिनेत्री कंगना रनौत का ट्विटर अकाउंट स्थायी तौर पर निलंबित कर दिया गया था. कंगना ने ट्विटर का नया मालिक बनने के लिए एलन समर्थन क्या है? मस्क के लिए तालियां बजाते हुए अपने फैंस के ट्वीट शेयर किए थे. कंगना रनौत ने इंस्टाग्राम स्टोरी पर अपने एक फैन का पोस्ट शेयर किया था, जिसमें एलन मस्क से अभिनेत्री के अकाउंट को बहाल करने की मांग की गई है. हालांकि, अभी तक उनका अकाउंट बहाल नहीं हुआ है.

हालांकि, मस्क ने शुक्रवार को जॉर्डन पीटरसन, कॉमेडियन कैथी ग्रिफिन और सटायर वेबसाइट बेबीलोन बी. से जुड़े समर्थन क्या है? खातों को बहाल कर दिया था.

राष्ट्रपति चुनाव की दौड़ में शामिल होने की कर चुके हैं घोषणा

बीते 16 नवंबर को अमेरिका के पूर्व राष्ट्रपति डोनाल्ड ट्रंप ने व्हाइट हाउस की दौड़ में तीसरी बार शामिल होने की घोषणा की थी. उन्होंने मध्यावधि चुनाव में रिपब्लिकन पार्टी के खराब प्रदर्शन और मार-आ-लागो क्लब सहित अन्य मामलों में अपने खिलाफ जारी कानूनी जांच के बीच यह घोषणा की थी.

हालांकि, रिपब्लिकन पार्टी 2020 के राष्ट्रपति चुनाव में हार स्वीकार करने से इनकार करने वाले ट्रंप को अपना उम्मीदवार बनाने पर विचार करेगी या नहीं, इस पर सभी की निगाहें टिकी हुई हैं. ट्रंप के हार न स्वीकार करने और उनके कथित भड़काऊ भाषणों के बीच उनके समर्थकों ने छह जनवरी को अमेरिकी संसद भवन (कैपिटल हिल) में कथित तौर पर हिंसा की थी.

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IND vs NZ: ऋषभ पंत के समर्थन में उतरे ईश सोढ़ी, बोले-“उम्मीद है कि उन्हें खेलने के और मौके मिलेंगे”

IND vs NZ: ऋषभ पंत के समर्थन में उतरे ईश सोढ़ी, बोले-

IND vs NZ: ऋषभ पंत के समर्थन में उतरे ईश सोढ़ी, बोले-"उम्मीद है कि उन्हें खेलने के और मौके समर्थन क्या है? मिलेंगे"

IND vs NZ: न्यूजीलैंड के खिलाफ टी20 सीरीज खेलने के बाद अब भारत को 3 मुकाबलों की वनडे सीरीज खेलनी है। जिसका पहला (IND vs NZ LIVE) मुकाबला 25 नवम्बर को सुबह 7 बजे से ईडन पार्क, ऑकलैंड में खेला जाएगा। वहीं इस समर्थन क्या है? मुकाबले से पहले टी20 सीरीज में अपने प्रदर्शन से सभी को निराश करने वाले ऋषभ पंत (Rishabh Pant) को लेकर सभी परेशान हैं। लेकिन इस बीच न्यूजीलैंड के स्टार स्पिनर ईश सोढ़ी (Ish Sodhi) ने उनका समर्थन करते हुए बयान दिया है। आइए जानें क्या बोले किवी गेंदबाज सोढ़ी। खेल जगत से जुड़ी हर खबर के लिए समर्थन क्या है? Hindi.InsideSport.In के साथ जुड़े रहिए।

काशी तमिल संगमम का PM मोदी ने किया उद्घाटन, ट्विटर यूजर्स का जमकर मिला समर्थन

काशी तमिल संगमम का PM मोदी ने किया उद्घाटन, ट्विटर यूजर्स का जमकर मिला समर्थन

तमिलनाडु से 12 समूहों में विभिन्न क्षेत्रों से जुड़े लोग काशी पधारेंगे.

शिव की नगरी वाराणसी में शनिवार को काशी तमिल संगमम का प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने उद्घाटन किया. इसे लेकर वाराणसी सहित तमिलनाडु में जहां उत्साह का माहौल है, वहीं मशहूर माइक्रो ब्लॉगिंग साइट ट्विटर पर भी इस आयोजन को यूजर्स का जमकर समर्थन मिला.

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ट्विटर पर हैशटैग काशी तमिल संगमम (#Kashi_Tamil_Sangamam) तकरीबन 32 करोड़ यूजर्स तक एक भारत श्रेष्ठ भारत के पैगाम को लेकर पहुंचा. वहीं, लगभग 64 हजार बार यूजर्स ने लाइक, रीट्वीट और रिप्लाई के जरिए अपनी भावनाओं की अभिव्यक्ति की. इसके अलावा तकरीबन 25 हजार यूजर्स ने सीधे सीधे इस हैशटैग के जरिए पोस्ट किया.

बता दें कि काशी और तमिलनाडु के बीच सहस्त्राब्दियों से चले आ रहे कला, समर्थन क्या है? संस्कृति, स्थापत्य और साहित्य के आदान-प्रदान को ताजगी देने के लिए वाराणसी में काशी तमिल संगमम का आयोजन किया जा रहा है. एक माह तक चलने वाले इस आयोजन में तमिलनाडु से 12 समूहों में विभिन्न क्षेत्रों से जुड़े लोग काशी पधारेंगे. वाराणसी में दो दिन बिताने के बाद समूह प्रयागराज और अयोध्या भी जाएगा.

फीफा वल्र्डकप : समलैंगिकों के समर्थन में 8 टीमें

FIFA World Cup: 8 teams in support of homosexuals

दोहा (एजेंसी)। खलीफा इंटरनेशनल स्टेडियम में सोमवार शाम को इंग्लैंड और ईरान के बीच मैच खेला गया। हैरीकेन इसमें ‘वन लव’ बैंड पहनकर उतरे। पहले ही विवादों में घिर चुके फीफा वल्र्ड कप में अब एलजीबीटी+ विवाद शुरू हो गया है। मैच के दौरान इंग्लैंड समेत 8 टीमों ने समलैंगिक संबंधों का सपोर्ट करने का फैसला किया है। इंग्लैंड के कप्तान हैरीकेन ने कहा, वो ईरान के खिलाफ अपने पहले मुकाबले में रेनबो बैंड पहनेंगे, जो कि एलजीबीटी+ कम्युनिटी का सिंबल है। इस पर समर्थन क्या है? फीफा ने कहा, अगर टीमें या खिलाड़ी ऐसा करते हैं तो इसे नियम तोडऩा माना जाएगा। लिहाजा फीफा खिलाडिय़ों पर बैन भी लगा सकता है।

मुहम्मद रज़ा शाह पहलवी की हुकूमत

दरअसल, 1979 से पहले ईरान में जो खुलापन था वह वहाँ के शासक के खुलेपन की नीति की वजह से था। ईरान में शिया पंथ के मुहम्मद रज़ा शाह पहलवी की हुकूमत थी। शाह 1941 से सत्ता में थे। वह आधुनिक सोच वाले शख्स थे। उन्होंने आधुनिक स्कूल-कॉलेज खोलने, महिलाओं को उसके अधिकार देने, उन्हें उनकी मर्ज़ी के कपड़े पहनने की आज़ादी देने, नौकरी देने, उदारवादी नीतियों को अपनाने और आधुनिक सुधारों को लागू करने की वकालत की। तब देश में सिनेमा हॉल खुलने लगे थे। कहा जाता है कि उनके उन फ़ैसलों की वजह से उनके विरोधी उन्हें पश्चिमी देशों का पिट्ठू कहने लगे।

लगातार विरोध करने वाले धार्मिक नेताओं से निपटने के लिए शाह ने इस्लाम की भूमिका को कम करने, इस्लाम से पहले की ईरानी सभ्यता की उपलब्धियाँ गिनाने और ईरान को एक आधुनिक राष्ट्र बनाने के लिए समर्थन क्या है? कई क़दम उठाए।

शाह के इस फ़ैसले से मुल्लाह और चिढ़ गए। ईरान के धार्मिक नेता आयतुल्लाह ख़ोमैनी भी शाह के सुधारों के ख़िलाफ़ थे। बीबीसी की एक रिपोर्ट के अनुसार इसी वजह से ख़ोमैनी को गिरफ़्तार करके देश से निकाल दिया गया था। इस बीच असंतोष बढ़ा और शाह का दमन चक्र भी। उसी दरम्यान आयतुल्लाह के ख़िलाफ़ एक आपत्तिजनक कहानी छपी तो लोग भड़क उठे। 1978 में समर्थन क्या है? लाखों लोगों ने शाह के ख़िलाफ़ प्रदर्शन किया। जब सेना को उनपर कार्रवाई करने भेजा गया तो उसने ऐसा करने से इनकार कर दिया।

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