नौसिखिया निवेशक के लिए एक गाइड

जोखिम रणनीति

जोखिम रणनीति
Key Points

जोखिम रणनीति

हि.प्र. राज्य आपदा प्रबंधन प्राधिकरण
आपदा प्रबंधन प्रकोष्ठ,
हि.प्र. सचिवालय, शिमला - 171002
फोन - 0177 2880331, 2880320
ईमेल:- sdma-hp[at]nic[dot]in

सामग्री हिमाचल प्रदेश राज्य आपदा प्रबंधन प्राधिकरण द्वारा प्रदान की गई! एनआईसी द्वारा होस्ट की गई!

आपदा जोखिम न्यूनीकरण

Children play in Gehua river, Madhubani, one of the worst flood-affected districts in Bihar Province.

एक प्रतिरोधक भारत के लिए बाल केन्द्रित जोखिम सूचक तैयारी

भारत एक बहु आपदा प्रवण देश है जहाँ दुनिया के किसी भी देश के मुकाबले सबसे अधिक आपदाएँ घटती हैं. भारत के 29 राज्यों एवं 7 केंद्र शासित प्रदेशों में से 27में प्राकृतिक आपदाओं जैसे चक्रवात, भूकंप, भूस्खलन, बाढ़ और सूखे जैसी आदि का कहर निरंतर रहता है।

जलवायु परिवर्तन एवं पर्यावरणीय क्षति की वजह से आपदाओंकी तीव्रता एवं आवृत्ति भी अधिक हो गई है जिससे जान – माल की क्षति अधिक हो रही है. इसके अतिरिक्त देश का एक तिहाई हिस्सा नागरिक संघर्ष एवं बंद आदि से भी प्रभावित रहता है।

किसी भी आपदा में व आपदा के बाद बच्चे सबसे अधिक प्रभावित होते हैं और ऐसी वास्तविकताओं को अक्सर योजनाओं एवं नीति निर्माण के समय में अनदेखा कर दिया जाता है ।

2000-2016के दौरान हुई पांच सबसे बड़ी प्राकृतिक आपदाओं लगभग में 17,671 बच्चों की जान चली गईथी । 2015-2016के सूखे मेंदस राज्यों मेंअनुमानित 330 मिलियन (33 करोड़) लोग प्रभावित हुए थे,जिनमें पांच साल से कम उम्र के 37 मिलियन (3 करोड़ 70 लाख) बच्चे शामिल थे।

इन आपदाओं का बच्चों के जीवन पर कई प्रतिकूल असर होता है। अन्य प्रभाओं के साथ प्राकृतिक आपदाओं के दौरान व उसके बाद सबसे अधिक उनका स्कूल प्रभावित होता है क्योंकि स्कूलों को आपदा के समय बतौर आश्रयस्थल इस्तेमाल किया जाता है, इसके अलावा स्वास्थ्य सेवाओं के बाधित होने से टीकाकरण न होना,पोषण आहार साफ पानी और स्वच्छता सुविधाओं की अनुपलब्धता के कारण कुपोषण और बीमारियाँ होती हैं। आपदाओं के दौरान हिंसा, शोषण,बाल विवाह, बाल-तस्करी और बाल-श्रम की घटनाओं में भी वृद्धि होती है।

भारत में निरंतर अलग अलग राज्यों में विभिन्न आपदाओं जैसे बाढ़, सूखा, खराब मौसम तथा संघर्ष आदि का प्रतिकूल असर महिलाओं,बच्चों व अन्य वंचित समुदाय के विकास पर पड़ता है।

यूनिसेफ बच्चों जोखिम रणनीति की भलाई और उनके समुदायों पर आघात और तनाव के अद्यतन जोखिम विश्लेषण का संचालन और रखरखाव करता है, जो सेवा प्रदाताओं की कम क्षमता और समुदायों की संवेदनशीलता जैसे अंतर्निहित कारणों पर ध्यान केंद्रित करता है। यह साक्ष्य सरकार और उसके सहयोगियों को बच्चों को केंद्रित एवं जोखिम सूचक योजनाओं के निर्माण पर और ध्यान देने के बारे में जानकारी देता है जिससे कि बच्चों की आपदा के प्रभाव को सहन करने की शक्ति बढ़ाने, सेवाओं के निष्पादन में आने वाली रुकावटों एवं आपदाओं के प्रभाव को कम किया जा सके ।

यूनिसेफद्वारा 2018 – 2022 के लिए देश के लिए बनाए गए कार्यक्रम में प्राथमिकताओं के रूप में आपदा-जोखिम न्यूनीकरण,जलवायु परिवर्तन और सामाजिक सामंजस्य स्थापित करने को शामिल किया गया है।

इसके अंतर्गत राज्य आपदा प्रबंधन प्रशासन प्रणालियों और संस्थानों का क्षमतावर्धन,आपदा जोखिम को कम करने के लिए बच्चों सहित सामुदायिक क्षमता का निर्माण करना ।इसके अतिरिक्त शिक्षा, स्वास्थ्य, पोषण और पानी और स्वच्छता क्षेत्रों में जोखिम न्यूनीकरण की रणनीतियों को समाहित किया गया है । हमारा जोखिम विश्लेषण बच्चों को केंद्रित कर बनाया गया है जिसमें प्राकृतिक और मानव जनित खतरों तथा संघर्षों के बच्चों एवं उनके समुदाय पर पड़ने वाले प्रभाव भी शामिल हैं । यूनिसेफ स्कूलों में बच्चों से सम्बंधित जोखिम को कम करने के लिए व्यापक रूप से स्कूल सुरक्षा कार्यक्रमों के निर्माण में भी सहयोग करता है।

यूनिसेफ सभी स्तरों पर राज्य आपदा जोखिम प्रबंधन प्रशासन प्रणालियों और संस्थानों की क्षमताओं को मजबूत करने और बाल-केंद्रित, जोखिम जानकारी युक्त योजनाओं और रणनीतियों जोखिम रणनीति को लागू करने के लिए उनके सहयोग पर बल देता है। यूनिसेफ की जोखिम कम करने की रणनीति सार्वजनिक स्वास्थ्य प्रणालियों की मजबूती, जल संरक्षण, बाढ़ और सूखे की तैयारी में सुधार; बाल सुलभ स्थानों का विस्तार; स्कूल सुरक्षाकार्यक्रम;राहत कार्यों के लिए सप्लाइ चेन मैनेजमेंट जोखिम रणनीति आदि पर केन्द्रित है। इसके अलावा, यूनिसेफ समुदाय आधारित आपदा जोखिम प्रबंधन कार्यक्रमों पर बल देता है जिसमें बच्चे और किशोर शामिल हैं और जिनमें जिनमें ग्रामीण एवं शहरी स्तर पर आपदा सुरक्षा सम्बन्धी गतिविधियों को संचालित किया जाता है । यूनिसेफ मानवीय परिस्थितियों जैसे कि नागरिक संघर्ष की स्थिति में भी बच्चों की सुरक्षा एवं जरूरतों पर भी विशेष ध्यान देता है।

हमारे कार्यक्रम बच्चों और किशोरों को उनके वैज्ञानिक स्वभाव को समझने के साथ उन्हें जोखिमों का आकलन करने और समझने के लिए सशक्त और सुरक्षित बनाने के लिए कदम उठाते हैं। परिवर्तन वाहक और भविष्य के नेताओं के रूप में भूमिका निभाने हेतु बच्चों को स्थानीय समुदाय को आपदाओं से सुरक्षित बनाने और आपदा जोखिम की जानकारी और कौशल को आगे बढ़ाने के लिए प्रोत्साहित किया जाता है।

आपदा पूर्व की सुनियोजित तैयारी से देखा गया है कि आपदाओं जोखिम रणनीति से होने वाली क्षति कम होती है। यूनिसेफ अपने जोखिम जानकारी युक्त कार्यक्रमों द्वाराऐसी प्रणालियों को मजबूत करने के लिए भी कार्य करता है जिससे किसी भी आपदा के बाद बच्चों और उनके परिवारों की स्थिति सामान्य होने में सहायता मिल सके । ग्रामीण और शहरी समुदायों को आपदा से सुरक्षित करने की कोशिश की जा रही है, साथ ही साथ समुदाय का भी जलवायु परिवर्तन की चुनौतियों का सामना करने के लिएभी क्षमता वर्धन किया जा रहा है जिससे वे बच्चों के अधिकारों की सुरक्षा कर सकें।

मधुबनी, बिहार के मिडिल स्कूल में अपने क्लासरूम के बाहर भूकंप सुरक्षा बचाओमॉकड्रिल में भाग लेते बच्चे

UNICEF/UNI130508/Singh मधुबनी, बिहार के मिडिल स्कूल में अपने क्लासरूम के बाहर भूकंप सुरक्षा बचाओमॉकड्रिल में भाग लेते बच्चे

आपात स्थिति और मानवीय संदर्भों में, बच्चे विशेष रूप से बीमारी, कुपोषण और हिंसा के प्रति अतिसंवेदनशील होते हैं। प्राकृतिक आपदाएं कई लोगों को अस्थायी आश्रयों में विस्थापित करती हैं जहाँ उन्हें जीवन रक्षक बहुआयामी सहायता की सख्त जरूरत होती है। आपदा और आपात स्थिति महत्वपूर्ण सामाजिक बुनियादी ढांचे को नष्ट करती या नुकसान पहुंचाती है, जिसमें काफी बड़े क्षेत्रों में अस्पताल, स्कूल और पानी और सफाई व्यवस्था प्रभावित होते हैं, ऐसे में एक ऐसा वातावरण बनता है जिसमें बीमारी तेजी से फैलती है और शिक्षा आदि बाधित हो जाती है।

आपातकालीन तत्परता और प्रतिक्रिया

राष्ट्रीय क्षमता और यूनिसेफ के तुलनात्मक फायदे के साथ आने से आपातकालीन तैयारी और राहत एवं बचाव तंत्र द्वारा जोखिम रणनीति आपातकालीन एवं मानवीय संकट में प्रभावी रूप से सामना करने में मदद मिलती है । यूनिसेफ बच्चों के लिए अपनी मुख्य प्रतिबद्धताओं को पूरा करने और आपातकालीन तैयारियों पर सरकार के अनुरोधों को पूरा करने हेतु अपनी क्षमता को निरंतर विकसित करता है।

रणनीतिक साझेदारी

सरकार में यूनिसेफ की मुख्य समकक्ष संस्था

गृह मंत्रालय के अधीन राष्ट्रीय आपदा प्रबंधन प्राधिकरण यूनिसेफ का मुख्य सरकारी समकक्ष है। अन्य रणनीतिक भागीदारों में नेशनल इंस्टीट्यूट फॉर डिजास्टर मैनेजमेंट, शहरी स्थानीय निकाय, थिंक टैंक, सिविल सोसाइटी संगठन, सेक्टोरल ट्रेनिंग इंस्टीट्यूट और अन्य संयुक्त राष्ट्र एजेंसियों और विकास संगठन शामिल हैं। आपदा जोखिम में कमी पर काम करने वाले बाल-केन्द्रित गैर सरकारी संगठन (एन.जी.ओ.) समुदाय और क्षमता निर्माण गतिविधियों के प्रमुख भागीदार हैं। मीडिया, विशेष रूप से रेडियो, भी यूनिसेफ के एक महत्वपूर्ण भागीदार की भूमिका निभाता है।

मेन्स प्रैक्टिस प्रश्न

उपर्युक्त कारणों से भूस्खलन के प्रभाव व्यापक हो सकते हैं, जिनमें जीवन की हानि, आधारभूत ढाँचे का विनाश एवं प्राकृतिक संसाधनों की हानि आदि शामिल हैं। इससे नदियाँ गाद और अवशेषों से भरकर बाढ़ ला सकती हैं, जो भूमि, खड़ी फसलों, बीज, पशुधन और खाद्य भंडार को नष्ट करके किसानों की आजीविका को कुप्रभावित कर सकती है।

राष्ट्रीय भूस्खलन जोखिम प्रबंधन रणनीति के महत्त्वपूर्ण घटक निम्नलिखित हैं:

________ एक जोखिम प्रबंधन रणनीति है जो संबंधित परिसंपत्ति में विपरीत स्थिति लेकर निवेश में होने वाले नुकसान की भरपाई करने के लिए नियोजित है।

Key Points

  • प्रतिरक्षा एक जोखिम प्रबंधन रणनीति है जो संबंधित परिसंपत्ति में विपरीत स्थिति लेकर निवेश में नुकसान की भरपाई के लिए नियोजित है।
  • प्रतिरक्षा द्वारा प्रदान किए गए जोखिम में कमी भी आम तौर पर संभावित मुनाफे में कमी का परिणाम है।
  • प्रतिरक्षा को इसके द्वारा प्रदान की जाने वाली सुरक्षा जोखिम रणनीति के लिए पैसे का भुगतान करने की आवश्यकता होती है, जिसे प्रीमियम के रूप में जाना जाता है।​

Important Points

  • अनुमापकता
    • अनुमापकता , चाहे वह वित्तीय संदर्भ में हो या व्यावसायिक रणनीति के संदर्भ में हो, कंपनी की क्षमता का वर्णन करती है, बिना उसकी संरचना या उपलब्ध संसाधनों से बाधित हुए बिना उत्पादन में वृद्धि का सामना करना पड़ता है।
    • परिशोधन आम तौर पर एक ऋण या एक अमूर्त संपत्ति के मूल्य को लिखने की प्रक्रिया को संदर्भित करता है।
    • परिशोधन कार्यक्रम का उपयोग ऋणदाताओं द्वारा किया जाता है, जैसे कि वित्तीय संस्थान, एक विशिष्ट परिपक्वता तिथि के आधार पर ऋण चुकौती अनुसूची प्रस्तुत करने के लिए।
    • संपार्श्विक मूल्य की एक वस्तु है जिसे एक ऋणदाता एक उधारकर्ता से जब्त कर सकता है यदि वह सहमत शर्तों के अनुसार ऋण चुकाने में विफल रहता है।
    • एक सामान्य उदाहरण है जब आप एक बंधक निकालते हैं। आम तौर पर, बैंक आपसे आपके घर को संपार्श्विक के रूप में उपलब्ध कराने के लिए कहेगा।

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    Last updated on Nov 29, 2022

    SSC GD Constable Vacancies Increased from 24369 to 45284. Earlier, the SSC GD Constable Exam Dates were out for the 2022 cycle. The exam will be conducted from 10th January 2023 to 14th February 2023. The candidates who will be appearing in exam must attempt SSC GD Constable Previous Year Papers. The vacancies have been released for the recruitment of GD Constables in various departments like BSF, CRPF, CISF, etc. Candidates can apply for SSC GD Constable 2022 till 30th November 2022. Applicants must note that they can apply for this जोखिम रणनीति recruitment only through the official website. The SSC GD Constable Exam Pattern has also been changed.

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