क्या सरकारी कर्मचारी शेयर बाजार में निवेश कर सकते हैं

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सरकारी कर्मचारियों के लिए शेयर, म्यूचुअल फंड में निवेश के नियम बदले, 26 साल पुराने थे नियम
By: एजेंसी | Updated at : 08 Feb 2019 09:39 PM (IST)
नई दिल्लीः केंद्र सरकार ने कर्मचारियों के लिए शेयरों और म्यूचुअल फंडों में निवेश के खुलासे की सीमा बढ़ा दी है कार्मिक मंत्रालय की ओर से जारी आदेश के अनुसार अब यह सीमा बढ़ाकर कर्मचारियों के छह महीने के मूल वेतन के बराबर होगी. खुलासे की पुरानी मौद्रिक सीमा 26 साल से ज्यादा पुरानी है.
पहले के नियमों के अनुसार समूह ए और समूह बी के अधिकारियों को शेयरों, सिक्योरिटीज, डिबेंचरों या म्यूचुअल फंड योजनाओं में एक कैलेंडर साल में 50,000 रुपये से ज्यादा का लेनदेन करने पर उसका खुलासा करना होता था समूह सी और समूह डी के कर्मचारियों के लिए यह ऊपरी सीमा 25,000 रुपये थी.
सरकार ने अब फैसला किया है कि अब सभी कर्मचारियों को शेयरों, सिक्योरिटीज, डिबेंचर और म्यूचुअल फंड योजनाओं में अपने निवेश की सूचना तभी देनी होगी जबकि एक कैलेंडर साल में यह निवेश उनके क्या सरकारी कर्मचारी शेयर बाजार में निवेश कर सकते हैं छह महीने के मूल वेतन को पार कर जाए. मंत्रालय ने इस बारे में बृहस्पतिवार को केंद्र सरकार के सभी विभागों को आदेश जारी क्या सरकारी कर्मचारी शेयर बाजार में निवेश कर सकते हैं किया है.
सरकारी कर्मचारियों के लिए खुशखबरी! बदल गया पैसों से जुड़ा ये 26 साल पुराना नियम
केंद्र सरकार ने सरकारी कर्मचारियों को बड़ी राहत देते हुए शेयर और म्यूचुअल फंड से जुड़ा 26 साल पुराना नियम बदल दिया है.
केंद्र सरकार ने सरकारी कर्मचारियों को बड़ी राहत देते हुए शेयर और म्यूचुअल फंड से जुड़ा 26 साल पुराना नियम बदल दिया है.
- News18Hindi
- Last Updated : February 08, 2019, 21:21 IST
केंद्र सरकार ने क्या सरकारी कर्मचारी शेयर बाजार में निवेश कर सकते हैं सरकारी कर्मचारियों को बड़ी राहत देते हुए शेयर और म्यूचुअल फंड से जुड़ा 26 साल पुराना नियम बदल दिया है. कार्मिक मंत्रालय की ओर से जारी आदेश के अनुसार, अब सरकारी कर्मचारियों के छह माह के मूल वेतन (बेसिक सैलरी) के बराबर म्युचूअल फंड और शेयर खरीद सकते हैं. पहले के नियमों के अनुसार समूह ए और समूह बी के अधिकारियों को शेयरों, प्रतिभूतियों, डिबेंचरों या म्यूचुअल फंड योजनाओं में एक कैलेंडर साल में 50,000 रुपए से अधिक का लेनदेन करने पर उसका खुलासा करना होता था. समूह सी और समूह डी के कर्मचारियों के लिए यह ऊपरी सीमा 25,000 रुपए थी.
सरकार ने स्पष्ट किया है कि ताजा खुलासा पहले से कर्मचारियों के लिए सेंट्रल सिविल सर्विसेज या सीसीएस (कंडक्ट) नियम, 1964 के तहत खुलासे की जरूरत के अतिरिक्त होगा. (ये भी पढ़ें-बाइक और कार चलाने वालों के लिए बड़ी खबर! सरकार का नया नियम पड़ेगा जेब पर भारी)
क्या सरकारी कर्मचारी शेयर बाजार में निवेश कर सकते हैं
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सरकार ने नियम बदले, कर्मचारियों के लिए शेयर, MF में निवेश के खुलासे की सीमा बढ़ाई
नई दिल्लीः केंद्र सरकार ने कर्मचारियों के लिए शेयरों और म्यूचुअल फंडों में निवेश के खुलासे की सीमा बढ़ा दी है। कार्मिक मंत्रालय की ओर से जारी आदेश के अनुसार अब यह सीमा बढ़ाकर कर्मचारियों के छह माह के मूल वेतन के बराबर होगी। खुलासे की पुरानी मौद्रिक सीमा 26 साल से अधिक पुरानी है। पहले के नियमों के अनुसार समूह ए और समूह बी के अधिकारियों को शेयरों, प्रतिभूतियों, डिबेंचरों या म्यूचुअल फंड योजनाओं में एक कैलेंडर साल में 50,000 रुपए से अधिक का लेनदेन करने पर उसका खुलासा करना होता था। समूह सी और समूह डी के कर्मचारियों के लिए यह ऊपरी सीमा 25,000 रुपए थी।
सरकार ने अब फैसला किया है कि अब सभी कर्मचारियों को शेयरों, प्रतिभूतियों, डिबेंचर और म्यूचुअल फंड योजनाओं में अपने निवेश की सूचना तभी देनी होगी जबकि एक कैलेंडर साल में यह निवेश उनके छह माह के मूल वेतन को पार कर जाए। मंत्रालय ने इस बारे में बृहस्पतिवार को केंद्र सरकार के सभी विभागों को आदेश जारी किया है। प्रशासनिक अधिकारी इस तरह के लेनदेन पर निगाह रख सकें इसके मद्देनजर सरकार ने कर्मचारियों को इस ब्योरे को साझा करने के बारे में प्रारूप भी जारी किया है।
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निवेश: शेयर बाजार से आम आदमी के पैसों पर भी पड़ता है फर्क, यहां जानें इसकी 5 वजह
बिजनेस डेस्क. क्या सरकारी कर्मचारी शेयर बाजार में निवेश कर सकते हैं कोरोनावायरस के असर से पिछले कुछ हफ्तों के दौरान वैश्विक बाज़ारों के साथ-साथ भारतीय शेयर बाज़ार में भी भारी गिरावट आई है। इससे वे 9 करोड़ निवेशक जरूर चिंतित हैं जो सीधे अपने डीमैट और ट्रेडिंग अकाउंट सेया म्यूचुअल फंड के जरिए स्टॉक /इक्विटी में निवेश करते हैं। लेकिन चिंतित सिर्फ इन 7-8 फीसदी लोगों को ही नहीं होना चाहिए, बल्कि उन लोगों के माथे पर भी शिकन पड़नी चाहिए जिन्हें शेयर बाज़ार, सेंसेक्स या निफ्टी के बारेमें बहुत कम या न के बराबर जानकारी है। जानते हैं वे 5 बड़ी वजहें जो साबित करती हैं कि शेयर बाजार के गिरने से हम सभी को चिंतित क्यों होना चाहिए।
1. ईपीएफ : क्योंकि हर नौकरीपेशा व्यक्ति इससे जुड़ा है
प्रत्येक नौकरीपेशा व्यक्ति (चाहे सरकारी हो या गैर सरकारी), ईपीएफ यानी कर्मचारी भविष्य निधि में योगदान देता है। नियमों के मुताबिक जिस कंपनी में 20 से अधिक कर्मचारी कार्यरत हैं, उसका पंजीकरण कर्मचारी भविष्य निधि संगठन में होना अनिवार्य है। इस फंड को मैनेज करनेवाला संगठन ईपीएफओ अपने एनुअल कॉर्पस/ एक्यूमुलेशन का 15 फीसदी हिस्सा इक्विटी (शेयर बाजार) में एक्सचेंज ट्रेडेड फंड यानी ईटीएफ के जरिए निवेश करता है। इसलिए अगर शेयर बाजार गिरता है तो इसका असर ईपीएफओ के कॉर्पस (फंड) पर भी पड़ता है। जाहिर सी बात है अगर ईपीएफओ के पास ज्यादा कॉर्पस होगा तो वह अपने सदस्यों को ज्यादा सुविधाएं दे सकेगा। कॉर्पस कम होने का सबसे ज्यादा असर ब्याज पर पड़ता है। ईपीएफओ ने वित्त वर्ष 2019-20 के लिए ब्याज दर को 8.65 फीसदी से घटाकर 8.50 फीसदी कर दिया है, जो पिछले सात सालों (2011-12 के बाद) में सबसे कम है। देश में फिलहाल 6 करोड़ से ज्यादा एक्टिव ईपीएफ खाताधारक हैं। यानी शेयर बाज़ार से इतने परिवार सीधे प्रभावित होते हैं।