मुख्य निवेश विकल्प

Investment Tips : स्मॉल कैप कंपनियों में लगाना है पैसा तो इस फंड से करें शुरू
नई दिल्ली. अगर आप भी शेयर बाजार में पैसे लगाने की योजना बना रहे हैं और इसकी शुरुआत स्मॉल कैप कंपनियों से करना चाहते हैं तो बेहतर होगा कि सीधे बाजार में निवेश करने के बजाए म्यूचुअल फंड के जरिये लगाना बेहतर होगा. ऐसे ही निवेशकों के लिए महिंद्रा ने नया म्यूचुअल फंड लांच किया है. 21 नवंबर से इसमें निवेश की शुरुआत हो चुकी है और आप 5 दिसंबर तक इस योजना में पैसे लगा सकते हैं.
महिंद्रा मनुलाइफ म्यूचुअल फंड ने उन निवेशकों के लिए स्मॉल कैप फंड लॉन्च किया जो लंबी अवधि के लिए संपत्ति बनाना चाहते हैं. यह एक ओपन-एंडेड इक्विटी स्कीम है, जिसका मुख्य निवेश विकल्प उद्देश्य मुख्य रूप से स्मॉल कैप शेयरों में निवेश करना है. एसेट एलोकेशन का न्यूनतम 65% स्मॉल कैप कंपनियों के लिए होगा. भारत अभी तेजी से उभरती अर्थव्यवस्था बन गया है और यहां कंपनियों के ग्रोथ की काफी संभावना है. ऐसे में स्मॉलकैप वाली कंपनियां तेजी से मिड कैप और लार्ज कैप की कंपनियां बन रही हैं.
क्यों बेहतर हैं स्मॉल कैप फंड
स्मॉल कैप म्युचुअल फंड लंबी अवधि में उच्च रिटर्न देने की प्रवृत्ति रखते हैं, क्योंकि वे उन कंपनियों को एक्सपोजर प्रदान करते हैं जो अपने उद्योगों में संभावित मार्केट लीडर हैं. महिंद्रा मनुलाइफ म्यूचुअल फंड के एमडी और सीईओ एंथोनी हेरेडिया ने बताया कि भारतीय अर्थव्यवस्था आने वाले दशक में दुनिया की अग्रणी अर्थव्यवस्थाओं में से एक हो जाएगी. इसमें समय के साथ बड़ा बनने की संभावना है और यह छोटी कंपनियों को बड़े अवसर उपलब्ध करा रही है.
स्मॉल कैप फंड लंबी अवधि के निवेशकों के लिए एक आदर्श विकल्प होंगे. ऐसे निवेशकों को इसे अपने पोर्टफोलियो का मुख्य हिस्सा बनाना चाहिए. हमारे विविध फंड रेंज में पिछले ट्रैक रिकॉर्ड को देखते हुए लगता है कि इस उत्पाद को बाजार में लाने का यह सही समय है. यह हमारे निवेशकों को लंबी अवधि में मोटा रिटर्न पाने में मदद करता है.
पैसे को बड़ा बना देता है स्मॉलकैप
फंड में निवेश का उद्देश्य स्मॉल कैप कंपनियों के इक्विटी और इक्विटी से संबंधित सिक्योरिटीज के डाइवर्सीफाइड पोर्टफोलियो में निवेश कर लांग टर्म कैपिटल बनाना है. भारतीय स्मॉल कैप छोटी कंपनियों की एक बड़ी रेंज ऑफर करते हैं जो अर्थव्यवस्था के साथ भाग लेने और बढ़ने की संभावना रखते हैं. एक सेगमेंट के रूप में स्मॉल कैप भी सेक्टर एलोकेशन में बड़े च्वॉइस प्रदान करता है. अगर स्मॉलकैप फंड को देखें तो कुछ फंडों में एक साल में ही 30 फीसदी तक रिटर्न दिया है. वहीं, पांच साल में अमूमन इन फंडों का औसत रिटर्न 10 फीसदी से ज्यादा ही रहा है.
Fixed Deposit Rates: ये 5 बैंक 3 साल की FD पर दे रहे हैं सबसे ज्यादा ब्याज, निवेश पर मिलेगा बंपर रिटर्न
अगर आप एफडी पर अधिक ब्याज चाहते हैं तो auto-renewal विकल्प से बचें। बैंक आमतौर पर फिक्स्ड डिपॉजिट में निवेश करने वाले ग्राहकों को ऑटो-रिन्यूअल का विकल्प देते हैं।
Fixed deposit rates: पिछले कुछ महीनों में भारतीय रिजर्व बैंक (RBI) द्वारा रेपो रेट में बड़ी वृद्धि के बाद देश के सभी प्रमुख बैंकों ने नए ग्राहकों को आकर्षित करने के लिए अपनी सावधि जमा यानी FD पर दी जाने वाली ब्याज दरों में कई बार वृद्धि की है। इसके चलते एफडी में निवेश करना एक बार फिर फायदेमंद हो गया है। अगर, आप भी एफडी में निवेश करना चाहते हैं तो हम आपको उन पांच बैंकों की सूची दे रहे हैं, जिसमें तीन साल की एफडी पर सबसे ज्यादा ब्याज मिल रहा है।
इन बैंकों में 3 साल की FD पर सबसे ज्यादा ब्याज
- प्राइवेट सेक्टर के डीसीबी बैंक और स्मॉल फाइनेंस बैंक एयू स्मॉल फाइनेंस बैंक तीन साल की एफडी पर 7.5 फीसदी की दर से ब्याज दे रहे हैं।
- वहीं, बंधन बैंक, सिटी यूनियन बैंक और करूर वैश्य बैंक तीन साल की सावधि जमा यानी एफडी पर 7 फीसदी की ब्याज दर की पेशकश कर रहे हैं।
अधिक ब्याज के लिए इन बैंकों का भी कर सकते हैं रुख
Tips: इस तरह पाएं एफडी पर अधिक ब्याज
अगर आप एफडी पर अधिक ब्याज चाहते हैं तो Auto-Renewal विकल्प से बचें। बैंक आमतौर पर फिक्स्ड डिपॉजिट में निवेश करने वाले ग्राहकों को ऑटो-रिन्यूअल का विकल्प देते हैं। यदि कोई ग्राहक ऑटो-रिन्यूअल विकल्प चुनता है, तो बैंक परिपक्वता के समय वर्तमान ब्याज दर के साथ उसी अवधि के लिए सावधि जमा को स्वतः नवीनीकृत कर देता है।
ऐसे में मौजूदा ब्याज दर सावधि जमा की पिछली ब्याज दर से अधिक या कम हो सकती है। इससे निवेशकों को नुकसान उठाना पड़ सकता है। इसलिए जब भी एफडी की अवधि पूरी हो तो रिसर्च करें और पता करें कि कौन बैंक और किस मुख्य निवेश विकल्प अवधि पर सबसे ज्यादा ब्याज मिल रही है। इसके बाद ही निवेश करें।
महंगाई को कम करने के लिए रेपो रेट में बढ़ोतरी
गौरतलब है कि महंगाई को कम करने के लिए आरबीआई रेपो दर में बढ़ोतरी कर रहा है। मई से लेबर अब तक आरबीआई कुल 190 आधार अंकों की दर में वृद्धि कर चुका है। आगे भी यह बढ़ोतरी होने की संभावना है। यानी आगे भी एफडी पर दरों में वृद्धि जारी रह सकती है। यह निवेशकों के लिए अच्छी खबर है। कोरोना के बाद बैंकों ने एफडी पर ब्याज दरों में बड़ी कमी कर दी थी। अब उसमें मुख्य निवेश विकल्प बढ़ोतरी शुरू हुई है।
FD Tips:एफडी में निवेश करने से पहले जान लें ये बात, बदल जाएगा मूड
अगर आप भी एफडी में निवेश करना चाह रहे है तो यह खबर आपके लिए है। आज हम आपको एफडी में निवेश को लेकर उन जरूरी बातों के बारे में बताने जा रहे है। जिन्हें जान लेने के बाद आपका मूड बदल जाएगा। आइए नीचे खबर में जानते है विस्तार से
HR Breaking News, डिजिटल डेस्क नई दिल्ली, यदि आपके पास कुछ पैसा है, जिसे आप अगले कुछ वर्षों तक बैंक में फिक्सड डिपॉजिट (FD) में रखना चाहते हैं को रुकिए. ऐसा करने से पहले आपको कुछ दूसरे विकल्पों को देख लेना चाहिए, जो बैंक की FD से सुरक्षित ब्याज दे सकें और वह निवेश FD जितना ही सुरक्षित भी हो. आप सोच रहे होंगे कि भला ऐसे कौन-से निवेश विकल्प होंगे. आज हम आपको कुछ डेट्स फंड्स और फिक्सड डिपॉजिट से जुड़ी कुछ चीजें बता रहे हैं, जिससे आपके सामने निवेश का एक और ऑप्शन होगा.
भारतीय रिजर्व बैंक (आरबीआई) रेपो रेट्स में वृद्धि कर रहा है. यह वह दर है, केंद्रीय बैंक दूसरे बैंकों को उधार देता है. आरबीआई पिछले 5 महीनों में सिस्टम में लिक्विडिटी को कम कर रहा है. मई 2020 से इसे लंबे समय तक प्रमुख बेंचमार्क दर में वृद्धि रखने के बाद, मैच्योरिटी अवधि के दौरान बॉन्ड यील्ड में वृद्धि हुई है. उदाहरण के लिए, बेंचमार्क 10-वर्षीय G-Sec यील्ड्स पिछले 2 वर्षों में लगभग 160 आधार अंक बढ़कर 7.49 प्रतिशत हो गया है.
बॉन्ड की कीमत बनाम NAV
यदि आज (सोमवार, 21 नवम्बर) को मौजूदा FD ब्याज दरों पर नजर डालें तो 2 करोड़ रुपये से कम की राशि पर स्टेट बैंक ऑफ इंडिया (SBI) 3.00% से 6.10%, HDFC बैंक 3.00% से 6.25%, ICICI बैंक 3.00% से 6.35% तक, पंजाब नेशनल बैंक 3.50% से 7.00% तक, बैंक ऑफ बड़ौदा 3.00% से 5.65% तक ब्याज दरें ऑफर कर रहे हैं. जबकि कुछ टारगेट मैच्योरिटी फंड 4 से 6 साल की अवधि पर 7 से 7.25 फीसदी तक ऑफर करते हैं.
पिछले 2 वर्षों में, डेट फंडों ने अच्छा प्रदर्शन नहीं किया है, क्योंकि उनकी अपनी होल्डिंग्स की कीमतों में गिरावट आई है. इसका कारण यह है कि जब ब्याज दरें बढ़ती हैं, बांड की कीमतें गिरती हैं, और चूंकि डेट म्यूचुअल फंडों को अपने NAV को बाजार में दैनिक रूप से चिह्नित करने की आवश्यकता होती है. बॉन्ड की कीमतों में गिरावट के साथ एनएवी भी गिरती है.
ट्रस्ट म्यूचुअल फंड्स के सीईओ संदीप बागला ने बिजनेस टुडे को बताया, “इस कैलेंडर वर्ष में डेट फंडों ने निवेशकों को करीब 2 लाख करोड़ रुपये निकाले हैं और रिटर्न ज्यादातर 3-4 फीसदी के बीच सकारात्मक रहा है.”
FD से अच्छा रिटर्न देने की क्षमता
लेकिन बॉन्ड के यील्ड-टू-मैच्योरिटी बढ़ने के साथ, कई विशेषज्ञों का कहना है कि डेट फंडों में निवेश करने का यह एक अच्छा समय है. उदाहरण के लिए, यदि किसी के पास मध्यम अवधि (4-6 वर्ष) है, तो रिटर्न में अल्पकालिक उतार-चढ़ाव से कोई फर्क नहीं पड़ता है, और यदि वह टैक्स के बाद रिटर्न देख रहा है, तो डेट फंड्स में से कुछ खास फंड्स फिक्स्ड डिपॉजिट से अधिक रिटर्न दे सकते हैं. इन डेट फंड्स को टारगेट मैच्योरिटी फंड्स (Target Maturity Funds) कहा जाता है.
NAV के अस्थायी उतार-चढ़ाव पर न दें ध्यान
बजाज कैपिटल लिमिटेड के चीफ रिसर्च ऑफिसर आलोक अग्रवाल कहते हैं, “टारगेट मैच्योरिटी फंड्स 4 से 6 साल की मैच्योरिटी पर 7 से 7.25 फीसदी की रेंज में यील्ड (नेट YTM) ऑफर करते हैं. वे मुख्य रूप से सरकारी प्रतिभूतियों, पीएसयू बॉन्ड और राज्य विकास ऋण (SDLs) में निवेश करते हैं, और योजना की मैच्योरिटी तक इन्हें होल्ड किया जाता है. यदि कोई उन्हें ओपन-एंडेड फिक्स्ड मैच्योरिटी प्लान (FMPs) की तरह मानता है, तो वे अच्छे निवेश विकल्प हैं. ये अच्छा रिटर्न देने में सक्षम हैं. इनसे संबंधित एकमात्र चेतावनी यह है कि निवेशक को NAV में अस्थायी उतार-चढ़ाव पर ध्यान नहीं देना चाहिए.” अग्रवाल कहते हैं कि इस तरह यदि कोई ब्याज-दर में उतार-चढ़ाव का लाभ उठाना चाहता है, तो यह डेट फंड्स में निवेश करने का एक अच्छा समय है.
Mutual funds: वरिष्ठ नागरिकों के लिए भी निवेश का बेहतर साधन है म्यूचुअल फंड, पढ़ें काम की खबर
म्यूचुअल फंड को लेकर आमतौर पर धारणा है कि यह वरिष्ठ नागरिकों के लिए जोखिम भरा होता है। इसकी बड़ी वजह वरिष्ठ नागरिकों की बढ़ती उम्र है। लेकिन, वर्तमान में ऐसे नागरिकों के लिए निवेश के कई विकल्प मौजूद हैं। इन्हीं में एक है म्यूचुअल फंड। मौजूदा समय में ऐसे कई म्यूचुअल फंड हैं, जिन्हें खासतौर पर ऐसे नागरिकों की जरूरतों और कम जोखिम को ध्यान में रखकर डिजाइन किया गया है।
रिटर्न के लिहाज से भी यह वरिष्ठ नागरिकों के लिए निवेश का अच्छा विकल्प है। म्यूचुअल फंड के जरिये फंड मैनेजर निवेशकों की कमाई को उन योजनाओं में लगाते हैं, जहां बेहतर रिटर्न मिलता है। इससे निवेश में विविधता भी आती है। इसकी रकम को शेयर, बॉन्ड और ईटीएफ (एक्सचेंज ट्रेडेड फंड) आदि में लगाया जाता है। इसलिए इसके प्रदर्शन यानी रिटर्न पर बाजार के उतार-चढ़ाव का असर रहता है।
महंगाई के असर से बचाने में मददगार
निवेश विशेषज्ञों का मानना है कि म्यूचुअल फंड वरिष्ठ नागरिकों की ओर से किए जाने वाले निवेश को महंगाई के असर से भी बचाता है।
- सिस्टमैटिक इन्वेस्टमेंट प्लान (एसआईपी) या एकमुश्त भुगतान के जरिये निवेश कर सकते हैं।
- उन वरिष्ठ नागरिकों के लिए पैसे लगाने का यह बेहतर विकल्प साबित हो सकता है, जिन्हें अपने निवेश में लचीलेपन की जरूरत होती है।
लंबी अवधि में अधिक मुनाफा
दरअसल, फिक्स्ड डिपॉजिट (एफडी) और रिकरिंग डिपॉजिट (आरडी) में किए गए निवेश पर महंगाई का असर पड़ता है। इसलिए रिटर्न के लिहाज से एफडी व आरडी के मुकाबले लंबी अवधि के लिए म्यूचुअल फंड में निवेश ज्यादा मुनाफा दिला सकता है। हालांकि, कम अवधि के निवेश में नुकसान की आशंका रहती है।
वर्तमान में वरिष्ठ नागरिकों को एफडी पर 3 से 7 फीसदी तक मिल रहा ब्याज
7.6% रिटर्न की पेशकश की जा रही है डाकघर में बचत योजना पर
मौका : राष्ट्रीय पेंशन योजना में 9 से 12 फीसदी तक ब्याज
निवेश वापस लेने की होती है छूट
वरिष्ठ नागरिकों को शुरुआती पांच साल के लिए डेट म्यूचुअल फंड में निवेश करना चाहिए। वहीं, अगले पांच साल के नियमित खर्चों के लिए बैलेंस्ड म्यूचुअल फंड में पैसे लगा सकते हैं। म्यूचुअल फंड निवेशक कभी भी अपना निवेश वापस ले सकता है। हालांकि, राष्ट्रीय पेंशन योजना या अन्य में ऐसी छूट नहीं होती है। इसके अलावा, म्यूचुअल फंड वरिष्ठ नागरिकों को अपने पोर्टफोलियो में बदलाव करने की भी छूट देता है। -स्वीटी मनोज जैन, निवेश सलाहकार
…तो कम अवधि में मिल सकता है अच्छा फायदा
हर म्चूयुअल फंड में इक्विटी और डेट के हिसाब से एक अलग प्रकार का जोखिम रहता है। ऐसे में रिटायर हो चुके वरिष्ठ नागरिक लंबी अवधि के अलावा कम अवधि के लिए भी म्यूचुअल फंड में निवेश कर सकते हैं। इसके लिए जरूरी है कि अच्छी क्रेडिट रेटिंग वाली कंपनियों के शॉर्ट टर्म बॉन्ड में निवेश करें। इसमें बैंक एफडी के मुकाबले बेहतर रिटर्न मिलता है।
विस्तार
म्यूचुअल फंड को लेकर आमतौर पर धारणा है कि यह वरिष्ठ नागरिकों के लिए जोखिम भरा होता है। इसकी बड़ी वजह वरिष्ठ नागरिकों की बढ़ती उम्र है। लेकिन, वर्तमान में ऐसे नागरिकों के लिए निवेश के कई विकल्प मौजूद हैं। इन्हीं में एक है म्यूचुअल फंड। मौजूदा समय में ऐसे कई म्यूचुअल फंड हैं, जिन्हें खासतौर पर ऐसे नागरिकों की जरूरतों और कम जोखिम को ध्यान में रखकर डिजाइन किया गया है।
रिटर्न के लिहाज से भी यह वरिष्ठ नागरिकों के लिए निवेश का अच्छा विकल्प है। म्यूचुअल फंड के जरिये फंड मैनेजर निवेशकों की कमाई को उन योजनाओं में लगाते हैं, जहां बेहतर रिटर्न मिलता है। इससे निवेश में विविधता भी आती है। इसकी रकम को शेयर, बॉन्ड और ईटीएफ (एक्सचेंज ट्रेडेड फंड) आदि में लगाया जाता है। इसलिए इसके प्रदर्शन यानी रिटर्न पर बाजार के उतार-चढ़ाव का असर रहता है।
महंगाई के असर से बचाने में मददगार
निवेश विशेषज्ञों का मानना है कि म्यूचुअल फंड वरिष्ठ नागरिकों की ओर से किए जाने वाले निवेश को महंगाई के असर से भी बचाता है।
- सिस्टमैटिक इन्वेस्टमेंट प्लान (एसआईपी) या एकमुश्त भुगतान के जरिये निवेश कर सकते हैं।
- उन वरिष्ठ नागरिकों के लिए पैसे लगाने का यह बेहतर विकल्प साबित हो सकता है, जिन्हें अपने निवेश में लचीलेपन की जरूरत होती है।
लंबी अवधि में अधिक मुनाफा
दरअसल, फिक्स्ड डिपॉजिट (एफडी) और रिकरिंग डिपॉजिट (आरडी) में किए गए निवेश पर महंगाई का असर पड़ता है। इसलिए रिटर्न के लिहाज से एफडी व आरडी के मुकाबले लंबी अवधि के लिए म्यूचुअल फंड में निवेश ज्यादा मुनाफा दिला सकता है। हालांकि, कम अवधि के निवेश में नुकसान की आशंका रहती है।
वर्तमान में वरिष्ठ नागरिकों को एफडी पर 3 से 7 फीसदी तक मिल रहा ब्याज
7.6% रिटर्न की पेशकश की जा रही है डाकघर में बचत योजना पर
मौका : राष्ट्रीय पेंशन योजना में 9 से 12 फीसदी तक ब्याज
निवेश वापस लेने की होती है छूट
वरिष्ठ नागरिकों को शुरुआती पांच साल के लिए डेट म्यूचुअल फंड में निवेश करना चाहिए। वहीं, अगले पांच साल के नियमित खर्चों के लिए बैलेंस्ड म्यूचुअल फंड में पैसे लगा सकते हैं। म्यूचुअल फंड निवेशक कभी भी अपना निवेश वापस ले सकता है। हालांकि, राष्ट्रीय पेंशन योजना या अन्य में ऐसी छूट नहीं होती है। इसके अलावा, म्यूचुअल फंड वरिष्ठ नागरिकों को अपने पोर्टफोलियो में बदलाव करने की भी छूट देता है। -स्वीटी मनोज जैन, निवेश सलाहकार
…तो कम अवधि में मिल सकता है अच्छा फायदा
हर म्चूयुअल फंड में इक्विटी और डेट के हिसाब से एक अलग प्रकार का जोखिम रहता है। ऐसे में रिटायर हो चुके वरिष्ठ नागरिक लंबी अवधि के अलावा कम अवधि के लिए भी म्यूचुअल फंड में निवेश कर सकते हैं। इसके लिए जरूरी है कि अच्छी क्रेडिट रेटिंग वाली कंपनियों के शॉर्ट टर्म बॉन्ड में निवेश करें। इसमें बैंक एफडी के मुकाबले बेहतर रिटर्न मिलता है।