विदेशी मुद्रा आदेश प्रकार

चार सप्ताह बाद विदेशी मुद्रा भंडार बढ़ा में इजाफा, जानें कितना है स्वर्ण भंडार
मुंबई: विदेशी पोर्टफोलियो निवेशकों ने एक बार फिर से भारतीय बाजार का रूख किया है। इसका असर देश के विदेशी मुद्रा भंडार पर भी दिखा। 29 जुलाई को समाप्त सप्ताह के दौरान भारत के विदेशी मुद्रा भंडार में 2.4 अरब डॉलर का इजाफा हुआ। इससे पहले लगातार चार सप्ताह तक इसमें कमी हुई थी।
चार सप्ताह बाद आई यह खबर
29 जुलाई को समाप्त सप्ताह के दौरान शेयर बाजार में लगभग हर रोज तेजी रही। उस सप्ताह फॉरेन पोर्टफोलियो इंस्वेस्टर्स (FII) नेट इनवेस्टर (Net Investor) थे। रिजर्व बैंक से मिली सूचना के अनुसार 29 जुलाई 2022 को समाप्त सप्ताह के दौरान देश का विदेशी मुद्रा भंडार 573.875 अरब डॉलर पर पहुंच गया। बीते 15 जुलाई को समाप्त सप्ताह के दौरान अपना विदेशी मुद्रा भंडार 7.541 अरब डॉलर घटा था। यदि 22 जुलाई को समाप्त सप्ताह की बात करें तो यह 571.5 अरब डॉलर पर था। आठ जुलाई को समाप्त सप्ताह के दौरान, विदेशी मुद्रा भंडार 8.062 अरब डॉलर घटकर 580.252 अरब डॉलर रह गया था। इसी महीने एक जुलाई को भी विदेशी मुद्रा भंडार 5.008 अरब डॉलर घटा था। उस समय अपना विदेशी मुद्रा भंडार 588.314 अरब डॉलर पर था।
फॉरेन करेंसी असेट भी घटे
29 जुलाई को समाप्त सप्ताह में विदेशी मुद्रा भंडार में जो बढ़ोतरी हुई, उसमें फॉरेन करेंसी असेट का बढ़ना भी शामिल है। यह कुल मुद्रा भंडार का एक महत्वपूर्ण हिस्सा है। इसके अलावा स्वर्ण आरक्षित भंडार बढ़ने से भी विदेशी मुद्रा भंडार में इजाफा हुआ है। भारतीय रिजर्व बैंक के शुक्रवार को जारी किये गये भारत के साप्ताहिक आंकड़ों के अनुसार समीक्षाधीन सप्ताह में विदेशी मुद्रा आस्तियां (FCA) 1.121 अरब डॉलर बढ़ कर 511.257 अरब डॉलर पर पहुंच। बीते 22 जुलाई को समाप्त सप्ताह के दौरान इसमें 1.426 अरब डॉलर में कमी हुई थी। अमेरिकी डॉलर में अभिव्यक्त विदेशी मुद्रा भंडार में रखे जाने वाली विदेशी मुद्रा आस्तियों में यूरो, पौंड और येन जैसी गैर-अमेरिकी मुद्राओं में मूल्यवृद्धि अथवा मूल्यह्रास के प्रभावों को शामिल किया जाता है।
स्वर्ण भंडार में भी इ़़जाफा
आंकड़ों के अनुसार, आलोच्य सप्ताह में स्वर्ण भंडार का मूल्य भी 1.140 अरब डॉलर बढ़ कर 39.642 अरब डॉलर पर पहुंच गया। समीक्षाधीन सप्ताह में, अंतर्राष्ट्रीय मुद्रा कोष (IMF) के पास जमा विशेष आहरण अधिकार (SDR) भी 2.2 करोड़ डॉलर बढ कर 17.985 अरब डॉलर पर चला गया। आईएमएफ में रखे देश का मुद्रा भंडार भी 3.1 करोड़ डॉलर बढ़ कर 4.991 अरब डॉलर पर पहुंच गया।
विदेशी मुद्रा भंडार में एक बार फिर गिरावट, रिकॉर्ड स्तर से आ चुका है इतना नीचे
देश का विदेशी मुद्रा भंडार सात जनवरी को समाप्त सप्ताह में 87.8 करोड़ डॉलर घटकर 632.736 अरब डॉलर रह गया। ये लगातार दूसरा महीना है जब विदेशी मुद्रा भंडार कम हुआ है। विदेशी मुद्रा भंडार की गिरावट.
देश का विदेशी मुद्रा भंडार सात जनवरी को समाप्त सप्ताह में 87.8 करोड़ डॉलर घटकर 632.736 अरब डॉलर रह गया। ये लगातार दूसरा महीना है जब विदेशी मुद्रा भंडार कम हुआ है। विदेशी मुद्रा भंडार की गिरावट, इकोनॉमी के लिए अच्छी नहीं मानी जाती है।
भारतीय रिजर्व बैंक के शुक्रवार को जारी आंकड़ों के अनुसार इससे पहले 31 दिसंबर को समाप्त सप्ताह में विदेशी मुद्रा भंडार 1.466 अरब डॉलर घटकर 633.614 अरब डॉलर रह गया था। जबकि तीन सितंबर, 2021 को समाप्त सप्ताह में यह मुद्रा भंडार रिकार्ड 642.453 के उच्च स्तर पर पहुंच गया था।
आरबीआई के साप्ताहिक आंकड़ों के अनुसार सात जनवरी को समाप्त समीक्षाधीन सप्ताह में विदेशी विदेशी मुद्रा आदेश प्रकार मुद्रा भंडार में गिरावट आने की वजह विदेशी मुद्रा आस्तियों (एफसीए) में कमी आना है, जो कुल मुद्रा भंडार का अहम हिस्सा होता है। रिजर्व बैंक के आंकड़ों के अनुसार, सप्ताह के दौरान एफसीए 49.7 करोड़ डॉलर घटकर 569.392 अरब डॉलर रह गया। डॉलर में अभिव्यक्त किये जाने वाले विदेशीमुद्रा आस्तियों में विदेशी मुद्रा भंडार में रखे यूरो, पौंड और येन जैसे गैर-अमेरिकी मुद्रा के घट -बढ़ को भी शामिल किया जाता है।
स्वर्ण भंडार का क्या हाल: इस दौरान स्वर्ण भंडार का मूल्य 36 करोड़ डॉलर घटकर 39.044 अरब डॉलर रह गया। आलोच्य सप्ताह में अंतरराष्ट्रीय मुद्राकोष (आईएमएफ) के पास विशेष आहरण अधिकार 1.6 करोड़ डॉलर घटकर 19.098 अरब डॉलर रह गया। अंतररराष्ट्रीय मुद्राकोष में देश का मुद्रा भंडार भी 50 लाख डॉलर घटकर 5.202 अरब डॉलर रह गया।
भारतीय वैश्विक परिषद
अपनी वर्तमान विदेशी मुद्रा संकट के बीच श्रीलंका ने अगस्त 2021 में देश में आपातकाल की घोषणा विदेशी मुद्रा आदेश प्रकार की थी। श्रीलंका के ज्यादातर बैंक आवश्यक वस्तुओं के आयात के लिए धन मुहैया कराने हेतु विदेशी मुद्रा की कमी से जूझ रहे हैं। देश के राजस्व में करीब 80 अरब अमेरिकी डॉलर की कमी आई है। [i] सेंट्रल बैंक ने एक अमेरिकी डॉलर के मुकाबले 200 रुपये से अधिक की दर से वायदा कारोबार और रुपये के स्पॉट ट्रेडिंग (हाज़िर कारोबार) पर प्रतिबंध लगा दिया है [ii] । इसके कारण इस द्वीपीय राष्ट्र में विदेशी मुद्रा संकट और गंभीर हो गया है। हालांकि, यह स्थिति रातोंरात नहीं बनी है। इसके कई कारण हैं जैसे 2019 में ईस्टर बम हमले, कोविड-19 महामारी का फैलना और कई राजनीतिक फैसले जिन्होंने अपेक्षित परिणाम नहीं दिए। आसन्न संकट को भांपते हुए सरकार ने इस साल की शुरुआत में ही वाहनों, खाद्य तेलों और कुछ अन्य वस्तुओं के आयात पर प्रतिबंध लगाकर इसे टालने की कोशिश की लेकिन इससे कुछ विशेष लाभ नहीं हुआ। इस संकट की ओर ले जाने वाले कई महत्वपूर्ण कारकों में से कुछ महत्वपूर्ण कारकों का विश्लेषण इस लेख में किया गया है।
2019 में कोलंबो में हुए सीरियल बम विस्फोट के बाद से देश के सकल घरेलू उत्पाद (जीडीपी) में लगभग 10% का योगदान करने वाला पर्यटन उद्योग बुरे दौर से गुजर रहा है। 21 अप्रैल 2019, ईस्टर रविवार को, आत्मघाती हमलावरों ने कोलंबो के तीन चर्च और तीन आलिशान होटलों को अपना निशाना बनाया था। हमले के बाद से काफी समय तक श्रीलंका में पर्यटकों का आना कम रहा। पर्यटन के क्षेत्र में 70% तक की गिरावट दर्ज की गई और इसके कारण श्रीलंका की अर्थव्यवस्था पर बहुत बुरा प्रभाव पड़ा। पर्यटकों की कमी के कारण विदेशी मुद्रा संकट पैदा हो गया, जुलाई 2020 के आखिर में विदेशी मुद्रा भंडार कम हो कर 2.8 अरब अमेरिकी डॉलर रह गया जबकि पिछले वर्ष की तुलना में अर्थव्यवस्था में 3.6% [iii] की कमी दर्ज की गई।
इससे पहले की स्थिति सामान्य होती और पर्यटन उद्योग रफ्तार पकड़ता, कोविड -19 ने श्रीलंका समेत पूरे विश्व को प्रभावित कर दिया। हालांकि पहली दो लहरों ने श्रीलंका में कम बर्बादी मचाई लेकिन तीसरी विदेशी मुद्रा आदेश प्रकार लहर ने तो पूरे द्वीप को बर्बाद ही कर दिया। हालांकि कोविड महामारी के शुरुआती लहरों के दौरान श्रीलंका की स्थिति अन्य देशों की तुलना में अपेक्षाकृत अच्छी रही, लेकिन चीन और यूरोपीय संघ के देशों जैसे इसके प्रमुख निर्यात गंतव्य स्वास्थ्य संबंधी गंभीर आपात स्थितियों से जूझ रहे थे। इसलिए, इन देशों में श्रीलंका से किया जाना वाला निर्यात स्वाभाविक रूप से प्रभावित हुआ। परिधान के कई कारखाने, जो निर्यात की एक प्रमुख वस्तु और श्रीलंका के लिए विदेशी मुद्रा का प्रमुख स्रोत हैं, महीनों तक बंद पड़े रहे।
निर्माण क्षेत्र को छोड़कर, बीते कुछ वर्षों में श्रीलंकाई उद्योगों को शायद ही कोई प्रत्यक्ष विदेशी निवेश (एफडीआई) मिला हो। इसके अलावा, मार्च 2020 में, कोलंबो स्टॉक एक्सचेंज (सीएसई/ CSE) में विदेशी फंडों के बहिर्वाह के कारण एक दिन में सबसे अधिक गिरावट दर्ज की गई। विदेशी निवेशकों द्वारा रखी गई सरकारी हुंडी और सरकारी बॉन्ड में 9.03% (8.236 अरब रुपये) की जबरदस्त कमी हुई, इसके कारण इसी माह के पहले दो सप्ताहों में 19.6 अरब रुपयों का कुल विदेशी मुद्रा बहिर्वाह हुआ [iv] । स्टॉक एक्सचेंज में हुई गिरावट निश्चित रूप से कोविड-19 का नतीजा था। साल 2020 के दौरान विदेशी प्रेषण में 2.7 अरब अमेरिकी डॉलर की गिरावट के साथ समस्या बढ़ गई थी क्योंकि विदेशों में काम करने वाले श्रीलंकाई महामारी से बुरी तरह प्रभावित थे [v] ।
अब तक श्रीलंका पहले से ही मुद्रा संकट के कठिन दौर से गुजर रहा था। नकदी की कमी से निपटने के लिए श्रीलंका के सेंट्रल बैंक ने बीते 18 महीनों में 800 अरब रुपए छापे हैं, जिससे अर्थव्यवस्था में तरलता बढ़ रही है [vi] । पैसे के इस प्रवाह ने आपूर्ति को स्थिर बनाए रखते हुए मांग में वृद्धि की है। इसके कारण उच्च मुद्रास्फीति की बुनियादी आर्थिक समस्या पैदा हुई जिसके परिणामस्वरूप मुद्रा का अवमूल्यन हुआ, आयात महंगा हो गया और विदेशी मुद्रा भंडार पर दबाव बहुत बढ़ गया। मार्च 2020 के पहले सप्ताह से ज्यादातर प्रमुख मुद्राओं के मुकाबले श्रीलंकाई रुपये का अवमूल्यन शुरु हो गया। विशेष रूप से, यह अमेरिकी डॉलर के मुकाबले कमज़ोर हुआ और 198.46 रुपये (30 मई 2021 को) के स्तर पर पहुँच गया, यह इतिहास में अब तक के सबसे बड़े अवमूल्यन में से एक था [vii] । रुपये के वर्तमान अवमूल्यन ने अनिवार्य रूप से देश के आयात खर्च में वृद्धि की और परिणामस्वरूप इसका विदेशी ऋण बोझ बढ़ गया।
इस विदेशी मुद्रा संकट का एक अन्य कारण देश का अपनी आवश्यक वस्तुओं के लिए आयात पर अत्यधिक निर्भरता भी है। श्रीलंका दैनिक आवश्यकता की वस्तुओं जैसे चीनी, दालें, अनाज और दवाओं के लिए लगभग पूरी तरह से आयात पर निर्भर है विदेशी मुद्रा आदेश प्रकार और इस स्थिति में देश अपने आयात बिलों का भुगतान करने के लिए विदेशी मुद्रा की कमी से जूझ रहा है, भोजन की कमी भी है। सरकार द्वारा जैविक खेती करने और रसायानिक उर्वरकों के प्रयोग पर रोक लगाने के अचानक किए गए फैसले से घरेलू खाद्य उत्पादन में भारी गिरावट आई और खाद्य मूल्य में बहुत अधिक वृद्धि हुई।
उपरोक्त सभी कारकों विदेशी मुद्रा आदेश प्रकार ने श्रीलंका को गंभीर विदेशी मुद्रा संकट में डाल दिया है। अब वह ऐसी स्थिति में है जहां सरकार के लिए आपातस्थिति से बाहर निकलने के लिए दूसरे देशों से मदद लेना अनिवार्य हो गया है। देखना यह होगा कि अब श्रीलंका की सरकार क्या कदम उठाती है।
*डॉ. राहुल नाथ चौधरी, रिसर्च फेलो, इंडियन काउंसिल ऑफ़ वर्ल्ड अफेयर्स।
अस्वीकरण: व्यक्त किए गए विचार व्यक्तिगत हैं।
डिस्क्लेमर: इस अनुवादित लेख में यदि किसी प्रकार की त्रुटी पाई जाती है तो पाठक अंग्रेजी में लिखे मूल लेख को ही मान्य माने ।
[i] Central Bank of Sri Lanka.
[iv] Deyshappriya, N R Ravindra. (17 Jul, 2021). Covid 19 and the Sri Lankan Economy. Engage-Economic and Political Weekly. Vol. 56, Issue No. 29
[v] Gunadasa, S (2020): Sri Lankan Government Responds to COVID-19 by Mobilising the Military and Helping the Financial Elite. World Socialist Website, Available at: https://www.wsws.org/en/articles/2020/03/18/sril-m18.html. Accessed on10.9.2021
[vi] Nirupama Subramanian (Sep. 9,2021) Explained: The perfect storm that has led to Sri Lanka’s national ‘food emergency’. Indian Express. Available at: https://indianexpress.com/article/explained/sri-lanka-food-emergency-debt-burden-7496044/ Accessed विदेशी मुद्रा आदेश प्रकार on: 10.9.2021
[vii] Deyshappriya, N R Ravindra. (17 Jul, 2021). Covid 19 and the Sri Lankan Economy. Engage-Economic and Political Weekly. Vol. 56, Issue No. 29
देश के विदेशी मुद्रा भंडार में फिर आई कमी, जानें कितना रह गया है?
रिजर्व बैंक की ओर से जारी साप्ताहिक आंकड़े के अनुसार, 04 नवंबर को समाप्त सप्ताह में विदेशी मुद्रा भंडार के सबसे बड़े घटक विदेशी मुद्रा परिसंपत्ति 12 करोड़ डॉलर कम होकर 470.73 अरब डॉलर रह गई।
देश के विदेशी मुद्रा भंडार में एक बार फिर कमी आई है। विदेशी मुद्रा परिसंपत्ति, स्वर्ण, विशेष आहरण अधिकार (एसडीआर) और अंतर्राष्ट्रीय मुद्रा कोष (आईएमएफ) के पास आरक्षित निधि घटने से देश का विदेशी मुद्रा भंडार 4 नवंबर को समाप्त सप्ताह में 1.09 अरब डॉलर घटकर 529.9 अरब डॉलर रह गया, जबकि इसके पिछले सप्ताह यह 6.6 अरब डॉलर बढ़कर 531.1 अरब डॉलर पर रहा था।
रिजर्व बैंक की ओर से जारी साप्ताहिक आंकड़े के अनुसार, 04 नवंबर को समाप्त सप्ताह में विदेशी मुद्रा भंडार के सबसे बड़े घटक विदेशी मुद्रा परिसंपत्ति 12 करोड़ डॉलर कम होकर 470.73 अरब डॉलर रह गई। इसी तरह इस अवधि में स्वर्ण भंडार में 70.5 करोड़ डॉलर की गिरावट आई और यह घटकर 37.06 अरब डॉलर हो गया।
आलोच्य सप्ताह एसडीआर में 23.5 करोड़ डॉलर की कमी हुई और यह घटकर 17.4 अरब डॉलर पर आ गया। इस अवधि में आईएमएफ के पास आरक्षित निधि 2.7 करोड़ डॉलर घटकर 4.82 अरब डॉलर पर आ गई।
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भारतीय वैश्विक परिषद
अपनी वर्तमान विदेशी मुद्रा संकट के बीच श्रीलंका ने अगस्त 2021 में देश में आपातकाल की घोषणा की थी। श्रीलंका के ज्यादातर बैंक आवश्यक वस्तुओं के आयात के लिए धन मुहैया कराने हेतु विदेशी मुद्रा की कमी से जूझ रहे हैं। देश के राजस्व में करीब 80 अरब अमेरिकी डॉलर की कमी आई है। [i] सेंट्रल बैंक ने एक अमेरिकी डॉलर के मुकाबले 200 रुपये से अधिक की दर से वायदा कारोबार और रुपये के स्पॉट ट्रेडिंग (हाज़िर कारोबार) पर प्रतिबंध लगा दिया है [ii] । इसके कारण इस द्वीपीय राष्ट्र में विदेशी मुद्रा संकट और गंभीर हो गया है। हालांकि, यह स्थिति रातोंरात नहीं बनी है। इसके कई कारण हैं जैसे 2019 में ईस्टर बम हमले, कोविड-19 महामारी का फैलना और कई राजनीतिक फैसले जिन्होंने अपेक्षित परिणाम नहीं दिए। आसन्न संकट को भांपते हुए सरकार ने इस साल की शुरुआत में ही वाहनों, खाद्य तेलों और कुछ अन्य वस्तुओं के आयात पर प्रतिबंध लगाकर इसे टालने की कोशिश की लेकिन इससे कुछ विशेष लाभ नहीं हुआ। इस संकट की ओर ले जाने वाले कई महत्वपूर्ण कारकों में से कुछ महत्वपूर्ण कारकों का विश्लेषण इस लेख में किया गया है।
2019 में कोलंबो में हुए सीरियल बम विस्फोट के बाद से देश के सकल घरेलू उत्पाद (जीडीपी) में लगभग 10% का योगदान करने वाला पर्यटन उद्योग बुरे दौर से गुजर रहा है। 21 अप्रैल 2019, ईस्टर रविवार को, आत्मघाती हमलावरों विदेशी मुद्रा आदेश प्रकार ने कोलंबो के तीन चर्च और तीन आलिशान होटलों को अपना निशाना बनाया था। हमले के बाद से काफी समय तक श्रीलंका में पर्यटकों का आना कम रहा। पर्यटन के क्षेत्र में 70% तक की गिरावट दर्ज की गई और इसके कारण श्रीलंका की अर्थव्यवस्था पर बहुत बुरा प्रभाव पड़ा। पर्यटकों की कमी के कारण विदेशी मुद्रा संकट पैदा हो गया, जुलाई 2020 के आखिर में विदेशी मुद्रा भंडार कम हो कर 2.8 अरब अमेरिकी डॉलर रह गया जबकि पिछले वर्ष की तुलना में अर्थव्यवस्था में 3.6% [iii] की कमी दर्ज की गई।
इससे पहले की स्थिति सामान्य होती और पर्यटन उद्योग रफ्तार पकड़ता, कोविड -19 ने श्रीलंका समेत पूरे विश्व को प्रभावित कर दिया। हालांकि पहली दो लहरों ने श्रीलंका में कम बर्बादी मचाई लेकिन तीसरी लहर ने तो पूरे द्वीप को बर्बाद ही कर दिया। हालांकि कोविड महामारी के शुरुआती लहरों के दौरान श्रीलंका की स्थिति अन्य देशों की तुलना में अपेक्षाकृत अच्छी रही, लेकिन चीन और यूरोपीय संघ के देशों जैसे इसके प्रमुख निर्यात गंतव्य स्वास्थ्य संबंधी गंभीर आपात स्थितियों से जूझ रहे थे। इसलिए, इन देशों में श्रीलंका से किया जाना वाला निर्यात स्वाभाविक रूप से प्रभावित हुआ। परिधान के कई कारखाने, जो निर्यात की एक प्रमुख वस्तु और श्रीलंका के लिए विदेशी मुद्रा का प्रमुख स्रोत हैं, महीनों तक बंद पड़े रहे।
निर्माण क्षेत्र को छोड़कर, बीते कुछ वर्षों में श्रीलंकाई उद्योगों को शायद ही कोई प्रत्यक्ष विदेशी निवेश (एफडीआई) मिला हो। इसके अलावा, मार्च 2020 में, कोलंबो स्टॉक एक्सचेंज (सीएसई/ CSE) में विदेशी फंडों के बहिर्वाह के कारण एक दिन में सबसे अधिक गिरावट दर्ज की गई। विदेशी निवेशकों द्वारा रखी गई सरकारी हुंडी और सरकारी बॉन्ड में 9.03% (8.236 अरब रुपये) की जबरदस्त कमी हुई, इसके कारण इसी माह के पहले दो सप्ताहों में 19.6 अरब रुपयों का कुल विदेशी मुद्रा बहिर्वाह हुआ [iv] । स्टॉक एक्सचेंज में हुई गिरावट निश्चित रूप से कोविड-19 का नतीजा था। साल 2020 के दौरान विदेशी प्रेषण में 2.7 अरब अमेरिकी डॉलर की गिरावट के साथ समस्या बढ़ गई थी क्योंकि विदेशों में काम करने वाले श्रीलंकाई महामारी से बुरी तरह प्रभावित थे [v] ।
अब तक श्रीलंका पहले से ही मुद्रा संकट के कठिन दौर से गुजर रहा था। नकदी की कमी से निपटने के लिए श्रीलंका के सेंट्रल बैंक ने बीते 18 महीनों में 800 अरब रुपए छापे हैं, जिससे अर्थव्यवस्था में तरलता बढ़ रही है [vi] । पैसे के इस प्रवाह ने आपूर्ति को स्थिर बनाए रखते हुए मांग में वृद्धि की है। इसके कारण उच्च मुद्रास्फीति की बुनियादी आर्थिक समस्या पैदा हुई जिसके परिणामस्वरूप मुद्रा का अवमूल्यन हुआ, आयात महंगा हो गया और विदेशी मुद्रा भंडार पर दबाव बहुत बढ़ गया। मार्च 2020 के पहले सप्ताह से ज्यादातर प्रमुख मुद्राओं के मुकाबले श्रीलंकाई रुपये का अवमूल्यन शुरु हो गया। विशेष रूप से, यह अमेरिकी डॉलर के मुकाबले कमज़ोर हुआ और 198.46 रुपये (30 मई 2021 को) के स्तर पर पहुँच गया, यह इतिहास में अब तक के सबसे बड़े अवमूल्यन में से एक था [vii] । रुपये के वर्तमान अवमूल्यन ने अनिवार्य रूप से देश के आयात खर्च में वृद्धि की और परिणामस्वरूप इसका विदेशी ऋण बोझ बढ़ गया।
इस विदेशी मुद्रा संकट का एक अन्य कारण देश का अपनी आवश्यक वस्तुओं के लिए आयात पर अत्यधिक निर्भरता भी है। श्रीलंका दैनिक आवश्यकता की वस्तुओं जैसे चीनी, दालें, अनाज और दवाओं के लिए लगभग पूरी तरह से आयात पर निर्भर है और इस स्थिति में देश अपने आयात बिलों का भुगतान करने के लिए विदेशी मुद्रा की कमी से जूझ रहा है, भोजन की कमी भी है। सरकार द्वारा जैविक खेती करने और रसायानिक उर्वरकों के प्रयोग पर रोक लगाने के अचानक किए गए फैसले से घरेलू खाद्य उत्पादन में भारी गिरावट आई और खाद्य मूल्य में बहुत अधिक वृद्धि हुई।
उपरोक्त सभी कारकों ने श्रीलंका को गंभीर विदेशी मुद्रा संकट में डाल दिया है। अब वह ऐसी स्थिति में है जहां सरकार के लिए आपातस्थिति से बाहर निकलने के लिए दूसरे देशों से मदद लेना अनिवार्य हो गया है। देखना यह होगा कि अब श्रीलंका की सरकार क्या कदम उठाती है।
*डॉ. राहुल नाथ चौधरी, रिसर्च फेलो, इंडियन काउंसिल विदेशी मुद्रा आदेश प्रकार ऑफ़ वर्ल्ड अफेयर्स।
अस्वीकरण: व्यक्त किए गए विचार व्यक्तिगत हैं।
डिस्क्लेमर: इस अनुवादित लेख में यदि किसी प्रकार की त्रुटी पाई जाती है तो पाठक अंग्रेजी में लिखे मूल लेख को ही मान्य माने ।
[i] Central Bank of Sri Lanka.
[iv] Deyshappriya, N R Ravindra. (17 Jul, 2021). Covid 19 and the Sri Lankan Economy. Engage-Economic and Political Weekly. Vol. 56, Issue No. 29
[v] Gunadasa, S (2020): Sri Lankan Government Responds to COVID-19 by Mobilising the Military and Helping the Financial Elite. World Socialist Website, Available at: https://www.wsws.org/en/articles/2020/03/18/sril-m18.html. Accessed on10.9.2021
[vi] Nirupama Subramanian (Sep. 9,2021) Explained: The perfect storm that has led to Sri Lanka’s national ‘food emergency’. Indian Express. Available at: https://indianexpress.com/article/explained/sri-lanka-food-emergency-debt-burden-7496044/ Accessed on: 10.9.2021
[vii] Deyshappriya, N R Ravindra. (17 Jul, 2021). Covid 19 and the Sri Lankan Economy. Engage-Economic and Political Weekly. Vol. 56, Issue No. 29