दिन ट्रेडिंग

डॉलर और रुपये के बीच चल क्या रहा है?

डॉलर और रुपये के बीच चल क्या रहा है?
जैसा कि हमारे आसान उदाहरण से साबित होता है, बिक्री और बाजार से निकासी का चक्र उलट जाएगा. किसी अर्थव्यवस्था में, जैसे-जैसे एसेट्स की कीमतें गिरती हैं, और रुपया भी गिरता है, विदेशी विक्रेता खरीदार बन जाते हैं. अब एसेट्स की कीमतें मजबूत होने लगती हैं, रुपया गिरना बंद हो जाता है, घरेलू निवेश बढ़ जाता है, आयात की जगह घरेलू माल बाजार में उपलब्ध होता है (जिसे आयात प्रतिस्थापन कहते हैं), जीडीपी तेजी से बढ़ती है, सरकार का राजस्व बढ़ता है.

'लक्ष्मण रेखा' करोगे पार तो नहीं बचेगी सरकार

Dollar-Rupee Rate Today: रुपये ने पहली बार छुआ 80 का आंकड़ा, 79.98 पर हुआ बंद

Dollar-Rupee Rate Today: रुपये ने पहली बार छुआ 80 का आंकड़ा, 79.98 पर हुआ बंद

सोमवार को डॉलर के मुकाबले रुपया 79.76 पर खुला और दिन में 80 का स्तर छूने के बाद 79.98 पर बंद हुआ

Rupee Crashes Further Against Dollar : अमेरिकी डॉलर के मुकाबले रुपये में गिरावट का सिलसिला सोमवार 18 जुलाई को भी जारी रहा. इंट्रा डे कारोबार डॉलर और रुपये के बीच चल क्या रहा है? के दौरान डॉलर के मुकाबले भारतीय करेंसी ने पहली बार 80 का आंकड़ा भी छू लिया. हालांकि डॉलर और रुपये के बीच चल क्या रहा है? कारोबार बंद होने तक इसमें कुछ सुधार हुआ और पिछले कारोबारी दिन के मुकाबले यह 16 पैसे की गिरावट के साथ 79.98 पर बंद हुआ. दिन की शुरुआत में डॉलर के मुकाबले रुपया 79.76 पर खुला था.

79 से 80.20 के बीच रह सकता है रुपया

मोतीलाल ओसवाल फाइनेंशियल सर्विसेज़ के फॉरेक्स एनालिस्ट गौरांग सोमैया के मुताबिक शुक्रवार को आए सुधार के बावजूद रुपये पर दबाव बना हुआ था. फेडरल रिजर्व के नई पॉलिसी के एलान से पहले बाजार के खिलाड़ी सावधानी बरत रहे हैं. सोमैया का कहना है कि आने वाले दिनों में डॉलर के मुकाबले रुपये का स्पॉट रेट शॉर्ट टर्म में 79.79 से 80.20 के बीच रह सकता है.

Petrol and Diesel Price Today: क्रूड 90 डॉलर के नीचे, पेट्रोल और डीजल के जारी हुए लेटेस्‍ट रेट, कहां है सबसे सस्‍ता

Goldman Sachs ने भारत का विकास दर अनुमान घटाकर 5.9% किया, लेकिन 2023 की दूसरी छमाही में फिर आएगी तेजी

भारतीय रुपया 32 पैसे मजबूत, 71.70 रुपये प्रति डॉलर पर पहुंचा

दिल्ली। अमेरिका-चीन के बीच व्यापार वार्ता फिर शुरु होने की उम्मीदों के बीच मंगलवार को शुरुआती कारोबार में रुपये में मजबूती दर्ज की गयी। डॉलर के मुकाबले रुपया 32 पैसे चढ़कर 71.70 पर चल रहा है। सोमवार को डॉलर के मुकाबले रुपया डॉलर और रुपये के बीच चल क्या रहा है? 36 पैसे टूटकर 72 के स्तर से नीचे बंद हुआ था। यह पिछले नौ महीने में पहली बार डॉलर के मुकाबले रुपये का सबसे निचला स्तर था।

अंतरबैंक विदेशी मुद्रा विनिमय बाजार पर मंगलवार को रुपया पिछले बंद 72.02 रुपये प्रति डॉलर के मुकाबले 32 पैसे चढ़कर 71.70 रुपया प्रति डॉलर पर कारोबार कर रहा है। मुद्रा कारोबारियों के अनुसार अमेरिकी राष्ट्रपति डोनाल्ड ट्रंप द्वारा चीन-अमेरिका के बीच व्यापार वार्ता फिर शुरू करने की घोषणा से निवेशकों की धारणा मजबूत हुई। हालांकि कच्चे तेल की कीमतों में तेजी और विदेशी पोर्टफोलियो निवेशकों की निकासी से यह बढ़त थमी रही।

रुपए में गिरावट का नुकसान गिनाइए

क्या कोई मुझे दो, सिर्फ दो वजहें बता सकता है कि रुपए में गिरावट का बुरा नतीजा क्या होगा? मैं देख सकता हूं कि लोगों ने झट से अपने हाथ उठा लिए क्योंकि एक प्रतिकूल प्रभाव तो सार्वभौमिक और निर्विवाद है. रुपये में गिरावट से आयातित वस्तुएं कुछ समय के लिए महंगी हो जाएंगी. तेल की कीमतें, उर्वरक, पूंजीगत वस्तुओं का निवेश सब महंगा हो जाएगा- आयात के लिए ज्यादा कीमत चुकानी पड़ेगी. तो, कोई शक नहीं कि कमजोर रुपये का एक भयानक नतीजा आयातित मुद्रास्फीति है.

चलिए अब यह बताइए कि दूसरा बुरा नतीजा क्या है? खामोशी. बहुत से लोग चुप हो जाएंगे. दूसरा नतीजा. हम्म मेरे ख्याल से, रुपए में गिरावट देश के स्वाभिमान को मिट्टी में मिला देगा.

अरे छोड़िए भी. यह कोई आर्थिक दलील नहीं, सिर्फ एक मूर्खतापूर्ण, राजनीतिक और भावुक टिप्पणी है. क्योंकि कड़वी सच्चाई यह है कि आयात महंगा होने के अलावा, रुपए में गिरावट का ऐसा कोई- मैं दोहराता हूं- ऐसा कोई बहुत बड़ा नुकसान नहीं होने वाला. हां, इसमें बहुत सी अच्छी बातें छिपी हुई हैं, जैसे उच्च निर्यात आय, एसेट्स की कीमत में सुधार, अधिक घरेलू निवेश वगैरह वगैरह.

इसका फायदा है- इसे समझने के लिए कुछ उदाहरण

विडंबना यह है कि एक डॉलर को खरीदने के लिए जैसे-जैसे ज्यादा से ज्यादा रुपये की जरूरत होती है, तो धीरे-धीरे यह पहिया उलटने लगता है. भारतीय एसेट्स और निवेश, जिन्हें पहले 'महंगा' होने के लिए छोड़ दिया गया था, अब आकर्षक लगने लगते हैं. यह साबित करने के लिए हम एक आसान सा उदाहरण दे रहे हैं-

कल्पना कीजिए कि डॉलर और रुपये के बीच चल क्या रहा है? छह महीने पहले, एक विदेशी निवेशक ने शेयर A को 75 रुपये में बेच दिया और एक डॉलर वापस घर ले गया. इसके दो पहलू हैं. एक, A के शेयर की कीमत गिर गई. और दो, रुपया भी गिर गया.

अब दूसरे विदेशी निवेशक, रुपये और शेयर की कीमत में गिरावट (यानी, उनके पोर्टफोलियो की कीमत पर दोहरी मार), दोनों के डर से बिक्री शुरू करते हैं.

कल्पना कीजिए कि इस बिक्री की होड़ में शेयर A की कीमत 75 रुपये से घटकर 60 रुपये हो जाती है, जबकि अब एक डॉलर खरीदने के लिए 80 रुपये की जरूरत है, जो पहले 75 रुपये में उपलब्ध था.

महंगाई जोखिम है पर उससे निपटने में समझदारी दिखानी होगी

लेकिन मुद्रास्फीति एक बड़ा जोखिम बनी हुई है. इसलिए, नीति निर्माता मुद्रास्फीति को काबू में करने के लिए ब्याज दरों में वृद्धि करते हैं. यह खपत और निवेश की मांग को डॉलर और रुपये के बीच चल क्या रहा है? कम करता है. कीमतें बढ़ना बंद हो जाती हैं.

लेकिन विडंबना यह है कि उच्च ब्याज दरों से विदेशी मुद्रा आकर्षित नहीं होती. जैसा कि हमने ऊपर देखा, विदेशी मुद्रा का प्रवाह ज्यादा होता है तो एसेट्स की कीमतें और निवेश बढ़ते हैं. आमदनी तेजी से बढ़ने लगती है. आय बढ़ती है तो मांग भी बढ़ती है.

आर्थिक आत्मविश्वास बढ़ता है तो ब्याज दर का चक्र भी उलटने लगता है, जिससे टिकाऊ उपभोक्ता वस्तुएं, निर्माण, आवास, पूंजीगत वस्तुओं और अन्य चीजों की मांग बढ़ जाती है. अर्थव्यवस्था में वृद्धि होने लगती है.

स्टॉक की कीमतें, जो रुपए में गिरावट की वजह से गिरने लगी थीं, अब ब्याज की दर कम होने की वजह से बढ़ने लगती हैं. इससे अर्थव्यवस्था में पूंजी निर्माण को और बढ़ावा मिलता है. आय प्रभाव लौटता है, डॉलर और रुपये के बीच चल क्या रहा है? यानी उपभोक्ता की आय में परिवर्तन होने के कारण उत्पाद या सेवा की मांग बदलती है. आखिर में, अगर निवेश और आयात प्रतिस्थापन चतुराई से होता है, तो अर्थव्यवस्था अधिक असरकारक और प्रतिस्पर्धी बन जाती है.

डॉलर के मुकाबले रुपया 13 पैसे की गिर कर 73.61 पर

विदेशी निवेशकों की ओर से पूंजी की सतत निकासी और अन्य मुद्राओं के समक्ष अमेरिकी डॉलर के मजबूत होने के बीच बुधवार को डालर के मुकाबले रुपये में में 13 पैसे की गिरावट दर्ज की गयी। दिन में रुपया मजबूत चल रहा था पर अंत में यह गिरावट के साथ 73.61 प्रति डॉलर पर बंद […]

डॉलर के मुकाबले रुपया 13 पैसे की गिर कर 73.61 पर

विदेशी निवेशकों की ओर से पूंजी की सतत निकासी और अन्य डॉलर और रुपये के बीच चल क्या रहा है? मुद्राओं के समक्ष अमेरिकी डॉलर के मजबूत होने के बीच बुधवार को डालर के मुकाबले रुपये डॉलर और रुपये के बीच चल क्या रहा है? में में 13 पैसे की गिरावट दर्ज की गयी। दिन में रुपया मजबूत चल रहा था पर अंत में यह गिरावट के साथ 73.61 प्रति डॉलर पर बंद हुआ।

बाजार सूत्रों ने कहा कि अमेरिका के केंद्रीय बैंक फेडरल रिजर्व की सितंबर की बैठक का ब्यौरा जारी होने से पहले अमेरिकी डॉलर प्रमुख विदेशी मुद्राओं की तुलना में मजबूत हो गया है। दिन में घरेलू शेयरों में भारी बिकवाली से भी रुपये पर दबाव बढ़ गया।

राहुल ने PM मोदी पर बोला हमला , कहा – महंगाई के हाहाकार पर ‘56 इंच के सीने वाले’ खामोश क्यों हैं

अन्तरबैंक विदेशी मुद्रा बाजार में रुपया 73.43 रुपये प्रति डॉलर पर मजबूत खुला और कारोबार के दौरान 73.37 तक मजबूत हो गयां। बाद में रुपये का आरंभिक लाभ लुप्त होता चला गया और अंत में यह 13 पैसे की गिरावट दर्शाता 73.61 रुपये प्रति डॉलर पर बंद हुआ।

मंगलवार को रुपया 35 पैसों की तेजी के साथ करीब दो सप्ताह के उच्च स्तर 73.48 रुपये प्रति डॉलर पर बंद हुआ था। इस बीच बेहद उतार चढ़ाव भरे कारोबार के बीच बंबई शेयर बाजार का 30 शेयरों वाला सेंसेक्स बुधवार को 383 अंक नीचे बंद हुआ।

विदेशी संस्थानों पूंजी का सिलसिला बने रहने से भी रुपये की धारणा प्रभावित हुई। प्रारंभिक आंकड़ों के अनुसार विदेशी निवेशकों ने 1,165.63 करोड़ रुपये के शेयरों की बिकवाली की।

फाइनेंशल बेंचमार्क इंडिया प्रा लि (एफबीआईएल) ने संदर्भ दर अमेरिकी मुद्रा के लिए 73.4846 रुपये प्रति डॉलर, यूरो के लिए 84.9800 रुपये प्रति यूरो, ब्रिटिश पौंड के लिए 96.8684 रुपये प्रति पौंड और जापानी येन के लिए 65.47 रुपये प्रति सैकड़ा येन निर्धारित की थी।

एक अमेरिकी डॉलर 79.04 रुपये का हो गया है,

भारतीय रुपये (Indian Rupee) में गिरावट का सिलसिला लगातार जारी है. अमेरिकी डॉलर (Dollar) डॉलर और रुपये के बीच चल क्या रहा है? की तुलना में रुपया अपने रिकॉड निचले स्तर पर है. मतलब एक अमेरिकी डॉलर की कीमत 79.डॉलर और रुपये के बीच चल क्या रहा है? 04 रुपये पहुंच गया है. यह स्तर अब तक का सर्वाधिक निचला स्तर है. देश की आजादी के बाद से ही रुपये की वैल्यू लगातार कमजोर ही हो रही है. भले ही रुपये में आने वाली ये गिरावट आपको समझ में न आती हो या आप इसे गंभीरता से ना लेते हों, लेकिन हमारे और आपके जीवन पर इनका बड़ा असर पड़ता है.

आपके और हमारे लिए रुपया गिरने का क्या अर्थ है? रुपये की गिरती कीमत हम पर किस तरह से असर डालती है. आइए जानते हैं.

क्या होता है एक्सचेंज रेट

दो करेंसी के बीच में जो कनवर्जन रेट होता है उसे एक्सचेंज रेट या विनिमय दर कहते हैं. यानी एक देश की करेंसी की दूसरे देश की करेंसी की तुलना में वैल्यू ही विनिमय दर कहलाती है. एक्सचेंज रेट तीन तरह के होते हैं. फिक्स एक्सचेंज रेट में सरकार तय करती है कि करेंसी का कनवर्जन रेट क्या होगा. मार्केट में सप्लाई और डिमांड के आधार पर करेंसी की विनिमय दर बदलती रहती है. अधिकांश एक्सचेंज रेट फ्री-फ्लोटिंग होती हैं. ज्यादातर देशों में पहले फिक्स एक्सचेंज रेट था.

रेटिंग: 4.82
अधिकतम अंक: 5
न्यूनतम अंक: 1
मतदाताओं की संख्या: 875
उत्तर छोड़ दें

आपका ईमेल पता प्रकाशित नहीं किया जाएगा| अपेक्षित स्थानों को रेखांकित कर दिया गया है *