भारतीय विदेशी मुद्रा बाजार

भारतीय विदेशी मुद्रा बाजार
आदि डेरिवेटिव, मुद्रा बाजार के उपकरणों, प्रतिभूतियों, में लेनदेन का विनियमन.
45U इस अध्याय के प्रयोजनों के लिए,. -
(क) | "व्युत्पन्न" जिसका मूल्य ब्याज दर, विदेशी विनिमय दर, क्रेडिट रेटिंग या क्रेडिट सूचकांक (भी "अंतर्निहित" कहा जाता है) प्रतिभूतियों की कीमत, या का एक संयोजन में परिवर्तन से प्राप्त होता है एक भविष्य की तारीख, पर बसे होने के लिए एक साधन है, इसका मतलब है उनमें से एक से अधिक और ब्याज दर स्वैप, वायदा दर करार, विदेशी मुद्रा स्वैप, विदेशी मुद्रा रुपया स्वैप, विदेशी मुद्रा विकल्प, विदेशी मुद्रा रुपये के विकल्प या समय - समय पर बैंक द्वारा निर्दिष्ट किया जा सकता है जैसे अन्य उपकरणों में शामिल हैं; |
(ख) | "मुद्रा बाजार के साधन" समय से निर्दिष्ट कर सकता है रेपो, जमा का प्रमाण पत्र, वाणिज्यिक मुद्दत बिल, वाणिज्यिक पत्र और बैंक के रूप में मूल या प्रारंभिक परिपक्वता के ऐसे अन्य ऋण लिखत लिए एक साल तक रिवर्स, पैसा, मीयादी, रेपो फोन या सूचना शामिल समय के लिए; |
(ग) | "रेपो" उधार ली गई रकम के लिए ब्याज भी शामिल है जो एक सहमति मूल्य पर एक पारस्परिक रूप से सहमत हुए भविष्य की तारीख पर प्रतिभूतियों की पुनर्खरीद करने के लिए एक समझौते के साथ प्रतिभूतियों की बिक्री से धन उधार लेने के लिए एक उपकरण का मतलब है; |
(घ). | "रिवर्स रेपो" धन व्रत के लिए ब्याज भी शामिल है जो एक सहमति मूल्य पर एक पारस्परिक रूप से सहमत हुए भविष्य की तारीख पर प्रतिभूतियों फिर से बेचना करने के लिए एक समझौते के साथ प्रतिभूतियों की खरीद से धन उधार देने के लिए एक उपकरण का मतलब है; |
(च) | "प्रतिभूतियों," केन्द्र सरकार या राज्य सरकार या "रेपो" या "रिवर्स रेपो" के प्रयोजनों के लिए केन्द्र सरकार और, द्वारा इस संबंध में निर्दिष्ट किया जा सकता है के रूप में एक स्थानीय प्राधिकारी की ऐसी प्रतिभूतियों की प्रतिभूतियों का मतलब कॉरपोरेट बॉन्ड और शामिल डिबेंचरों. |
1 भारतीय रिजर्व बैंक (संशोधन) अधिनियम, 2006 से प्रभावी द्वारा डाला 45X के लिए वर्गों 45U से मिलकर अध्याय IIID,, 2007/09/01.
एकल प्राथमिक डीलरों को विदेशी मुद्रा विनिमय बाजार की सभी सुविधाओं की पेशकश की अनुमति पर विचार
नयी दिल्ली, पांच अगस्त (भाषा) एकल प्राथमिक डीलर (एसपीडी) विदेशी मुद्रा बाजार में खरीद-बिक्री से संबंधित सभी सुविधाओं की पेशकश कर सकेंगे। भारतीय रिजर्व बैंक (आरबीआई ने) देश में वित्तीय बाजार के विकास को सुगम बनाने के लिये शुक्रवार को यह प्रस्ताव किया।
फिलहाल श्रेणी-1 के अंतर्गत आने वाले अधिकृत डीलरों को इसकी पेशकश की अनुमति है।
इस कदम से ग्राहकों को अपने विदेशी मुद्रा जोखिम का प्रबंधन करने के लिये विभिन्न इकाइयों (मार्केट मेकर्स) का विकल्प मिलेगा। साथ ही इससे भारत में विदेशी मुद्रा विनिमय बाजार भी मजबूत होगा।
एसपीडी बैंक या अन्य वित्तीय संस्थान होते हैं, जिन्हें सरकारी प्रतिभूतियों में लेन-देन की अनुमति होती है।
मौद्रिक नीति समीक्षा के बाद रिजर्व गवर्नर शक्तिकांत दास ने कहा, ‘‘एकल प्राथमिक डीलरों ने देश के वित्तीय बाजारों के विकास में महत्वपूर्ण भूमिका निभाई है। इसको देखते हुए उन्हें विदेशी मुद्रा बाजार में भारतीय विदेशी मुद्रा बाजार खरीद-बिक्री से संबंधित सभी सुविधाओं की पेशकश करने की अनुमति देने का प्रस्ताव है…।’’
उन्होंने कहा कि इस कदम से ग्राहकों को अपने विदेशी मुद्रा जोखिम का प्रबंधन करने के लिये विभिन्न इकाइयों (मार्केट मेकर्स) के साथ काम करने का विकल्प मिलेगा।
व्यापक स्तर पर मौजूदगी से एसपीडी सरकारी प्रतिभूतियों के मामले में प्राथमिक और द्वितीयक बाजार गतिविधियों को समर्थन दे पाएंगे।
दास ने बयान में यह भी कहा, ‘‘एकल प्राथमिक डीलरों (एसपीडी) को सीधे प्रवासी भारतीयों और अन्य से विदेशी मुद्रा निपटान ओवरनाइट इंडेक्स्ड स्वैप (एफसीएस-ओआईएस) लेनदेन की अनुमति दे दी है।
वर्तमान में एकल प्राथमिक डीलरों को सीमित उद्देश्यों के लिए विदेशी मुद्रा व्यापार करने की अनुमति है।
इस साल फरवरी में बैंकों को विदेशी एफसीएस-ओआईएसबाजार में प्रवासियों और अन्य से लेनदेन की अनुमति दी गयी थी।
इस संबंध में दिशानिर्देश अलग से जारी किये जाएंगे।
(इस खबर को भारतीय विदेशी मुद्रा बाजार IBC24 टीम ने संपादित नहीं किया है. यह सिंडीकेट फीड से सीधे प्रकाशित की गई है।)
RBI के कदमों से विदेशी मुद्रा भंडार में गिरावट की रफ्तार कम हुईः रिपोर्ट
मुंबईः भारतीय रिजर्व बैंक के हस्तक्षेप से मुद्रा बाजार में उतार-चढ़ाव के दौरान विदेशी मुद्रा भंडार घटने की दर में कमी आई है। आरबीआई अधिकारियों के अध्ययन में यह कहा गया है। अध्ययन में 2007 से लेकर रूस-यूक्रेन युद्ध के कारण मौजूदा समय में उत्पन्न उतार-चढ़ाव को शामिल किया गया है। केंद्रीय बैंक की विदेशी मुद्रा बाजार में हस्तक्षेप की एक घोषित नीति है। केंद्रीय बैंक यदि बाजार में अस्थिरता देखता है, तो हस्तक्षेप करता है। हालांकि, रिजर्व बैंक मुद्रा को लेकर कभी भी लक्षित स्तर नहीं देता है।
आरबीआई के वित्तीय बाजार संचालन विभाग के सौरभ नाथ, विक्रम राजपूत और गोपालकृष्णन एस के अध्ययन में कहा गया है कि 2008-09 के वैश्विक वित्तीय संकट के दौरान भंडार 22 प्रतिशत कम हुआ था। यूक्रेन-रूस युद्ध के बाद उत्पन्न उतार-चढ़ाव के दौरान इसमें केवल छह प्रतिशत की कमी आई है। अध्ययन में कहा गया है कि इसमें व्यक्त विचार लेखकों के हैं और यह कोई जरूरी नहीं है कि यह केंद्रीय बैंक की सोच से मेल खाए। रिजर्व बैंक विदेशी मुद्रा भंडार को लेकर अपने हस्तक्षेप उद्देश्य को प्राप्त करने में सफल रहा है। यह विदेशी मुद्रा भंडार में घटने की कम दर से पता चलता है।
अध्ययन के अनुसार, निरपेक्ष रूप से 2008-09 के वैश्विक वित्तीय संकट के कारण मुद्रा भंडार में 70 अरब अमेरिकी डॉलर की गिरावट आई। जबकि कोविड-19 अवधि के दौरान इसमें 17 अरब डॉलर की ही कमी हुई। वहीं रूस-यूक्रेन युद्ध के कारण इस वर्ष 29 जुलाई तक 56 अरब डॉलर की कमी आई है। अध्ययन में कहा गया है कि उतार-चढ़ाव को प्रभावित करने वाले प्रमुख तत्वों में ब्याज दर, मुद्रास्फीति, सरकारी कर्ज, चालू खाते का घाटा, जिंसों पर निर्भरता राजनीतिक स्थिरता के साथ-साथ वैश्विक स्तर पर घटनाक्रम शामिल हैं।
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विदेशी मुद्रा बाज़ार
विदेशी मुद्रा बाजार, विश्व की मुद्राओं के क्रय-विक्रय (व्यापार) का बाजार है जो विकेन्द्रित, चौबीसों घंटे चलने वाला, काउन्टर पर किया जाने वाले (over the counter) कारोबार है। अन्य वित्तीय बाजारों की अपेक्षा यह बहुत नया है और पिछली शताब्दी में सत्तर के दशक में आरम्भ हुआ। फिर भी सम्पूर्ण कारोबार की दृष्टि से यह सबसे बड़ा बाजार है। विदेशी मुद्राओं में प्रतिदिन लगभग ४ ट्रिलियन अमेरिकी डालर के तुल्य कामकाज होता है। अन्य बाजारों की तुलना में यह सबसे अधिक स्थायित्व वाला बाजार है। .
मुद्रा (भाव भंगिमा)
---- एक मुद्रा (संस्कृत: मुद्रा, (अंग्रेजी में: "seal", "mark," या "gesture")) हिंदू धर्म और बौद्ध धर्म में एक प्रतीकात्मक या आनुष्ठानिक भाव या भाव-भंगिमा है। जबकि कुछ मुद्राओं में पूरा शरीर शामिल रहता है, लेकिन ज्यादातर मुद्राएं हाथों और उंगलियों से की जाती हैं। एक मुद्रा एक आध्यात्मिक भाव-भंगिमा है और भारतीय धर्म तथा धर्म और ताओवाद की परंपराओं के प्रतिमा शास्त्र व आध्यात्मिक कर्म में नियोजित प्रामाणिकता की एक ऊर्जावान छाप है। नियमित तांत्रिक अनुष्ठानों में एक सौ आठ मुद्राओं का प्रयोग होता है। योग में, आम तौर पर जब वज्रासन की मुद्रा में बैठा जाता है, तब सांस के साथ शामिल शरीर के विभिन्न भागों को संतुलित रखने के लिए और शरीर में प्राण के प्रवाह को प्रभावित करने के लिए मुद्राओं का प्रयोग प्राणायाम (सांस लेने के योगिक व्यायाम) के संयोजन के साथ किया जाता है। नवंबर 2009 में राष्ट्रीय विज्ञान अकादमी में प्रकाशित एक शोध आलेख में दिखाया गया है कि हाथ की मुद्राएं मस्तिष्क के उसी क्षेत्र को उत्तेजित या प्रोत्साहित करती हैं जो भाषा की हैं। .
शेयर बाज़ार
मुंबई का शेयर बाजार - सन् १८७५ में स्थापित यह एशिया का पहला शेयर बाजार है। शेयर बाज़ार एक ऐसा बाज़ार है जहाँ कंपनियों के शेयर खरीदे-बेचे जा सकते हैं। किसी भी दूसरे बाज़ार की तरह शेयर बाज़ार में भी खरीदने और बेचने वाले एक-दूसरे से मिलते हैं और मोल-भाव कर के सौदे पक्के करते हैं। पहले शेयरों की खरीद-बिक्री मौखिक बोलियों से होती थी और खरीदने-बेचने वाले मुंहजबानी ही सौदे किया करते थे। लेकिन अब यह सारा लेन-देन स्टॉक एक्सचेंज के नेटवर्क से जुड़े कंप्यूटरों के जरिये होता है। इंटरनेट पर भी यह सुविधा मिलती है। आज स्थिति यह है कि खरीदने-बेचने वाले एक-दूसरे को जान भी नहीं पाते। एक प्रकार से देखे तो यहा पे शेयरो की नीलामी होती है। अगर किसी को बेंचना होता है तो सबसे ऊंची बोली लगाने वाले को ये शेयर बेंच दिया जाता है। या अगर कोई शेयर खरीदना चाह्ता है तो बेचने वालो मे से जो सबसे कम कीमत पे तैयार होता है उससे शेयर खरीद लिया जता है। शेयर मन्डी (जैसे बॉम्बे स्टॉक एक्सचेंज या नैशनल स्टॉक एक्सचेंज इस तरह कि बोलियाँ लगाने के लिये ज़रूरी सभी तरह कि सुविधाये मुहैया कराते है। सोचिये, एक दिन मे करोड़ो शेयरों का आदान-प्रदान होता है। कित्ना मुश्किल हो जाये अगर सभी कारोबरियोँ को चिल्ला चिल्ला के ही खरीदे और बेंचने वालो को ढूंढ्ना हो। अगर ऐसा हो तो शेयर खरीद्ना और बेंचना कमोबेश असम्भव हो जायेगा। शेयर मन्डियाँ इस काम को सरल और सही ढंग से करने का मूलभूत ढांचा प्रदान करती है। कई प्रकार के नियम, कम्प्यूटर भारतीय विदेशी मुद्रा बाजार की मदत, शेयर ब्रोकर, इंटेर्नेट के मध्यम से ये मूलभूत ढांचा दिया जाता है। असल मे शेयर बाज़ार एक बहुत ही सुविधाजनक भारतीय विदेशी मुद्रा बाजार सब्ज़ी मंडी से ज़्यादा कुछ भी नही है। कुछ साल पहले तक बॉम्बे स्टॉक एक्सचेंज मे सीधे खरीद फरोख्त करनी पड़ती थी। पिछ्ले कुछ सालो से कम्प्यूटरो और इंटरनेट के माध्यम से कोई भी घर बैठे शेयर खरीद और बेंच सकता है। सूचना क्रांति का ये एक उत्कृष्ट नमुना है। जो काम पहले कुछ पैसे वाले लोग ही कर सकते थे अब वो सब एक आम आदमी भी कर सक्ता है। आजकल सभी शेयर डीमटीरिअलाइज़्ड होते है। शेयरो के अलावा निवेशक भारतीय म्यूचुअल फंड मे भी पैसा लगा सक्ते है। आम ग्राहक को किसी डीमैट सर्विस देने वाले बैंक मे अपना खाता खोलना पडता है। आजकल कई बैंक जैसे आइसीआइसीआइ, एच डी एफ सी, भारतीय स्टटे बैंक, इत्यादि डीमैट सर्विस देते है। इस तरह के खाते की सालाना फीस 500-800 रु तक होती है। शेयर बाज़ार किसी भी विकसित देश की अर्थ्व्यवस्था का एक महत्वपूर्ण हिस्सा होते है। जिस तरह से किसी देश, गाँव या शहर के विकास के लिये सडके, रेल यातायात, बिजली, पानी सबसे ज़रूरी होते है, वैसे ही देश के उद्योगों के विकास के लिये शेयर बाज़ार भारतीय विदेशी मुद्रा बाजार ज़रूरी है। उद्योग धंधो को चलाने के लिये कैपिटल चहिये होता है। ये उन्हे शेयर बाज़ार से मिलता है। शेयर बाज़ार के माध्यम से हर आम आदमी बडे़ से बडे़ उद्योग मे अपनी भागिदारी कर सकता है। इस तरह की भागीदारी से वो बड़े उद्योगों मे होने वाले मुनाफे मे बराबर का हिस्सेदार बन सकता है। मान लीजिये, अगर किसी भी नागरिक को ये लग्ता है कि आने वाले समय मे रिलायंस या इंफोसिस भारी मुनाफा कमाने वाली है, तो वह इस कम्पनियों के शेयर खरीद के इस मुनाफे मे भागीदार बन सकता है। और ऐसा करने के लिये तो व्यवस्था चहिये वो शेयर बाज़ार प्रदान करता है। एक अछा शेयर बाज़ार इस बात का ख्याल रखता है कि किसी भी निवेशक को बराबर का मौका मिले। बॉम्बे स्टॉक एक्सचेंज व नैशनल स्टॉक एक्सचेंज के अलावा देशभरर मे 27 क्षेत्रीय स्टॉक एक्सचेंज है। .
वित्त बाज़ार
अर्थ के संबंध में वित्त बाजार (financial market) वह व्यवस्था है जो लोगों को वित्तीय प्रतिभूतियों (जैसे शेयर, बांड आदि), वस्तुओं (जैसे मूल्यवान धातुएँ, कृषि उत्पाद आदि) एवं अन्य सामानों के क्रय-विक्रय (व्यापार) की सुविधा देता है ताकि वे कम खर्चे पर दक्षतापूर्वक क्रय-विक्रय कर सकें। .
कमोडिटी एक्सचेंज
अमेरिका के 'शिकागो बोट' में कमोडिटी कारोबार का दृष्य कमोडिटी एक्सचेंज (commodities exchange) यानि वस्तुओं के विनिमय का कारोबार, वह विनिमय है, जहाँ विभिन्न जिंसों (कमोडिटीज) एवं उनके व्युत्पन्न वस्तुओं का व्यापार होता है। विश्व के अधिकांश जींस बाजार कृषि उत्पादों एवं अन्य कच्चे उपादों (जैसे गेहूँ, चीनी, दाल, तेल, कपास, धातुएँ आदि) का व्यापार करते हैं। इनके व्यापार में तरह-तरह के सौदे (कांट्रैक्ट) होते हैं जैसे स्पॉट मूल्य (spot prices), फारवर्ड (forwards), वायदा (futures) आदि। .
यहां पुनर्निर्देश करता है:
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