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कॉमर्स का कार्य

कॉमर्स का कार्य

E-commerce kya hai : जानिये ई – कॉमर्स क्या होता है.

E-commerce kya hai : Hello friends, Aryavarta talk में आपका स्वागत कॉमर्स का कार्य है. आज के आधुनिक दौर में e – commerce का प्रचलन तेज़ी से बढ़ रहा है. यदि आप भी जानना चाहते हैं कि e-commerce kya hai? तो बने रहिये हमारे आज के लेख के साथ. आज हम आपको विस्तारपूर्वक इस विषय पर पूरी जानकारी प्रदान करने का प्रयास करेंगे.

आज लगभग बहुत सारे काम इन्टरनेट के माध्यम से आसानी से हो रहे हैं. बहुत सारे लोगों के द्वारा इन्टरनेट के माध्यम से चीज़ें खरीदी और बेंची जाती है. जैसे कपडे, जूते, या अन्य कोई सामान इन्टरनेट के माध्यम से मंगाया जाता है या अपनी कोई पुरानी चीज़ें जैसे मोबाइल, लैपटॉप आदि बेंची जाती है.

इन्टरनेट के माध्यम से चीज़ें खरीदना या चीज़ें बेचना e-commerce का एक हिस्सा है जो रोजमर्रा की ज़िन्दगी में हमारे आस – पास घटित होती है.

आपके द्वारा भी कभी न कभी ऑनलाइन shopping किया गया होगा जैसे आपने कभी shopping websites (Flipkart, Amazon etc.) से कोई न कोई सामान मंगवाया होगा, यदि हाँ, तो आप भी e-commerce का हिस्सा बन चुके हैं.

यह बात जानना आवश्यक है की e-commerce का मतलब सिर्फ इन्टरनेट के माध्यम से सामान खरीदने और बेंचने तक ही सिमित नहीं है, इसका अर्थ और भी व्यापक है. तो चलिए विस्तार से जानते हैं कि e-commerce kya hai?

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E – commerce kya hai? ई – कॉमर्स क्या है?

यदि सरल भाषा में e-commerce की व्याख्या की जाय तो इन्टरनेट के माध्यम से व्यापार का संचालन, चीज़ें खरीदना और बेंचना, ग्राहकों के लिए सेवाएं उपलब्ध करना आदि शामिल है. e-commerce का लाभ लेने के लिए हमें कहीं जाकर पैसे देने नहीं पड़ते बल्कि इसके लिए हम इन्टरनेट बैंकिंग, डेबिट कार्ड या क्रेडिट कार्ड का उपयोग करते हैं. इसे इलेक्ट्रॉनिक कॉमर्स के नाम से भी जाना जाता है और हिंदी भाषा में कहें तो इसे हम ई – वाणिज्य कह सकते हैं.

e-commerce एक ऐसी प्रक्रिया है जिसके द्वारा इलेक्ट्रॉनिक माध्यम से माल और सेवाएं (Services) खरीदी और बेंची जाती है. आप सभी तो इस बात से भलीभांति परिचित होंगे की आज के समय में इन्टरनेट का नेटवर्क चारों ओर फैला हुआ है जो हर एक को दुसरे से जोड़ता है. बस इसी चारों ओर फैले इलेक्ट्रॉनिक नेटवर्क पर व्यापार करने का एक तरीका है ई – कॉमर्स.

इन्टरनेट पर सबसे महत्वपूर्ण पहलु यदि किसी को माना जाय तो वह है ई – कॉमर्स. यह समय और दूरी के बाधाओं से रहित सेवाओं और वस्तुओं को आदान – प्रदान करने का अवसर प्रदान करता है. Amazon, OLX, Paytm, Flipcart, ebay आदि कुछ ई- कॉमर्स कंपनी के उदाहरण हैं.

इंडिया में IRCTC जहाँ आप online train ticket booking कर सकते हैं भी एक ई – कॉमर्स का उदाहरण है. Online shopping, e – ticketing, internet banking, electronic payments ये सभी ई – कॉमर्स के उदाहरण हैं.

E – commerce के प्रकार

मुख्य रूप से e – commerce के चार प्रकार होते हैं जो निम्नलिखित हैं –

  1. B2B (Business to Business) e – commerce
  2. B2C (Business to Consumer) e – commerce
  3. C2B (Consumer to Business) e – commerce
  4. C2C (Consumer to Consumer) e – commerce

1) B2B (Business to Business) e – commerce

जब कोई कंपनी के द्वारा किसी दुसरे कंपनी से प्रोडक्ट खरीदकर बेंची जाती है तो यह B2B के अंतर्गत आता है. यहाँ पर दो व्यवसायों के मध्य लेन – देन होता है. ऐसी बहुत सारी कंपनी हैं जो खुद का प्रोडक्ट न बनाकर किसी दुसरे कंपनी से प्रोडक्ट खरीदकर बेचती है.

इसप्रकार कम्पनियाँ इन्टरनेट के माध्यम से किसी दुसरे कंपनी की प्रोडक्ट या सर्विस बेंचती है. अतः हम कह सकते हैं कि B2B e – commerce में क्रेता और विक्रेता दोनों business organisation होते हैं.

2) B2C (Business to Consumer) e – commerce

B2C e – commerce मॉडल के लेनदेन में business और consumer के बीच लेनदेन होता है. यहाँ पर उपभोक्ता सीधे कंपनी से सामान खरीदता है. जैसे amazon या flipkart आदि कंपनी सीधे ऑनलाइन माध्यम से अपना सामान कस्टमर को बेचती है.

हमारे दैनिक जीवन में इसतरह के लेनदेन रोज होते हैं. बहुत सारे कस्टमर ऑनलाइन प्रोडक्ट्स वेबसाइटस पर देखकर आर्डर कॉमर्स का कार्य करते हैं. कंपनी आर्डर के मुताबिक कस्टमर को आर्डर की हुई वस्तु उपलब्ध कराती है.

3) C2B (Consumer to Business) e – commerce

B2C e – commerce मॉडल के ठीक उल्टा लेनदेन है C2B यानि consumer to business e – commerce. इसप्रकार के मॉडल में consumer और business के मध्य लेनदेन होता है. जहाँ पर एक कस्टमर अपना प्रोडक्ट या सर्विस किसी कंपनी को बेचता है.

उदाहरण के तौर पे मान लेते हैं की आप एक graphic designer हैं तो आप अपना डिजाईन की हुई ग्राफ़िक्स को किसी कंपनी को बेंचते हैं. यह लेनदेन आपके यानि consumer और कंपनी के बीच हुई.

4) C2C (Consumer to Consumer) e – commerce

इसका सबसे अच्छा उदाहरण है OLX. यहाँ पर क्या होता है की एक consumer किसी दुसरे consumer को ऑनलाइन माध्यम से अपना सामान बेचता है. बहुत सारे लोग आजकल अपनी कोई पुरानी सामान जैसे कम्पुटर, मोबाइल, गाड़ी आदि OLX के माध्यम से दुसरे लोगों को ऑनलाइन बेचते हैं. दो consumers के बीच हुई आपसी लेनदेन C2C e – commerce मॉडल के अंतर्गत आते हैं.

उपरोक्त चारों प्रकार के आलावा और भी प्रकार हैं जैसे B2G (Business to Government) e – commerce में कंपनी और सरकार या सार्वजनिक प्रशासन के मध्य ऑनलाइन लेनदेन (सूचना का आदान – प्रदान) शामिल हैं. C2G (Consumer to Government) e – commerce इसमें consumer और government के मध्य सूचना का आदान – प्रदान होता है. सूचनाएं वेबसाइट के माध्यम से आदान – प्रदान की जाती है.

E – commerce की विशेषताएं

यदि इसकी उपलब्धता की बात करें तो यह हर जगह और हर समय उपलब्ध होता है. उपभोक्ताओं के द्वारा किसी भी समय कहीं से भी इन्टरनेट के माध्यम से लेनदेन किया जा सकता है. इन्टरनेट की स्पीड अच्छी होनी चाहिए नहीं तो बाधायें आ सकती है.

हम घर बैठे इसका उपयोग कर सकते हैं, हमें कहीं जाने की जरुरत नहीं पड़ती.

सीमा की कोई बाधा नहीं होती आप राष्ट्रीय सीमाओं से पार दुनिया में कहीं से भी खरीद और बिक्री कर सकते हैं.

आशा है की आपको e – commerce kya hai? जिसे हिंदी में ई – वाणिज्य कॉमर्स का कार्य कहा जाता है समझ में आ गया होगा. आगे भी हम फिर मिलेंगे कुछ नए अपडेटस के साथ. यदि आपलोगों के द्वारा भी ई – कॉमर्स का उपयोग किया जाता है तो अपना अनुभव मेरे साथ शेयर करना ना भूलें.

मैं इस हिंदी ब्लॉग का संस्थापक हूँ जहाँ मैं नियमित रूप से अपने पाठकों के लिए उपयोगी जानकारी प्रस्तुत करता हूँ. मैं अपनी शिक्षा की बात करूँ तो मैंने Accounts Hons. (B.Com) किया हुआ है और मैं पेशे से एक Accountant भी रहा हूँ.

ई-कॉमर्स व्यवसाय पर निबंध

भूमिका : आजकल लोग प्राचीन तरीकों को बहुत ही कम अपनाते है वे प्राचीन तरीकों को अपनाने की जगह पर आधुनिक तरीकों को अधिक अपनाते हैं। पुराने तरीकों में काम बहुत ही समय में होता है लेकिन आधुनिक तरीकों से काम बहुत ही जल्दी हो जाता है।

ई-कॉमर्स का अर्थ : ई कॉमर्स का अर्थ होता है इलेक्ट्रॉनिक कॉमर्स या हम कह सकते हैं इंटरनेट द्वारा व्यापार करना। आज के समय में इटरनेट के व्यापार में बहुत तेजी से वृद्धि हो रही है। सन् 1998 में इस मिडिया से 43 अरब डॉलर का व्यापार हुआ था। यह आज तक बहुत उन्नति कर रहा है।

ई-कॉमर्स का प्रारंभ : भारत में ई कॉमर्स अभी अधिक लोकप्रिय नहीं हुआ है लेकिन ऐसी आशा कॉमर्स का कार्य की जा रही है कि यह बहुत जल्दी लोकप्रिय हो जायेगा। अभी कुछ दिनों पहले हिमाचल में इंटरनेट के द्वारा एक तर्क सेब बेचा गया था। सुनील मेहता ने इस प्रकार का पहला विक्रय किया था।

इंटरनेट पर ऐसी नीलामी बैंगलोर की एक फर्म संजीवनी इंफाटेक ने की और खरीददारी चेन्नई के अमीर-उल-हसन ने की थी। कंपनी ने ये नीलामी फर्मारबजारा.कॉम वेबसाइट से की थी। इसे देखकर ऐसा लगता है जैसे आगे चलकर ई-कॉमर्स से व्यापार में बहुत वृद्धि होगी।

ई-कॉमर्स से कार्यप्रणाली : इंटरनेट से व्यापार प्रणाली बहुत ही सरल होती है। अगर कोई व्यापारी कुछ खरीदना चाहता है तो वह वेब पेज से व्यापारी के इलेक्ट्रोनिक स्टोर में से उत्पादों को चुन लेता है। उस समय वह आर्डरफार्म को भर देता है। इसमें उत्पादों के साथ-साथ चीजों की कीमत भी दी जाती है।

जब वे चीजों का चुनाव कर लेते है तो साईट में हरकत होती है और वो खरीददार के अकाउंट को सूचना देते है। साईट को खरीदने वाले और बेचने वाले की सुरक्षा और प्रामाणिकता का मापदंड होता है। ये संदेश को सुरक्षित भेजने के लिए गुप्त संदेश की विधि को अपनाता है।

जब बेचने वाले को आर्डर मिल जाता है तो वह खरीददार के बैंक को कीमत देने के लिए इजाजत दे देता है। जब उसे इसकी स्वीकृति मिल जाती है तो वह कार्डहोल्डर को इसकी पुष्टि की खबर देने के बाद माल भेज देता है।

ई-कॉमर्स के लाभ : इस प्रिक्रिया को करने के बाद बेचने वाला खरीददार के बैंक को वास्तविक मूल्य की अदायगी का अनुरोध करता है। अंततः खरीददार के बैंक से धन राशि को बेचने वाले के बैंक में ट्रांफर कर देता है। व्यापार की इस प्रणाली से व्यापरी और ग्राहक कॉमर्स का कार्य का सीधा संपर्क हो जाता है।

इस प्रणाली में बिचौलियों को कमीशन नहीं देना पड़ता है। व्यापार का क्षेत्र बहुत बड़ा होता है और बिक्री से फायदा ज्यादा होता है। व्यापार प्रक्रिया को मिनटों में पूरा किया जाता है। इसके साथ-साथ पैसे की अदायगी भी पूरी हो जाती है। इसमें समय की बचत होती है।

घर पर बैठे व्यक्ति के सामने पूरा बाजार स्क्रीन पर आ जाता है और उसे खरीदने के लिए बाजार नहीं जाना पड़ता है। इस प्रक्रिया से जो माल खरीदा जाता है वो विश्वसनीय होता है। अगर इसमें कोई समस्या हुई तो बेचने वाले और खरीदने वाले दोनों ही सीधे बात करके समस्या का कोई न कोई हल ढूँढ लेते हैं।

उपसंहार : ई कॉमर्स के संचालन के लिए विशेष प्रकार के प्रशिक्षण की जरूरत होती है। आज के युवा के लिए इस क्षेत्र में काम के बहुत अधिक अवसर हैं। इसी लिए युवा ई-कॉमर्स में प्रशिक्षण प्राप्त करके अपना करियर बना सकते हैं।

ई-कॉमर्स व इसके उपयोग भाग दो/e commerce and its uses part 2

इलेक्ट्रॉनिक बाजार से तात्पर्य उस नेटवर्क से है जहां विभिन्न प्रकार के सेवाओं, उत्पादों, भुगतानों तथा सूचनाओं के विनिमय कॉमर्स का कार्य से संबंधित क्रियाएं इलेक्ट्रॉनिक रूप में होती है। इलेक्ट्रॉनिक बाजार में भौतिक केंद्रों का अभाव होता है। एकल स्टोर तथा इलेक्ट्रॉनिक मॉल अथवा साइबर मॉल आदि इलेक्ट्रॉनिक बाजार के उदाहरण है।

इलेक्ट्रॉनिक व्यापार प्रणाली उच्च गति की संचार लाइनों के माध्यम से केंद्रीय अतिथेय कंप्यूटर(Central supplementary computer) से संबंधित कंप्यूटर टर्मिनलों का एक सेट है। इसमें ब्रोकर या दलाल द्वारा वेबसाइट का प्रयोग करते हुए आर्डर प्रेषित करने के लिए इंटरनेट का प्रयोग किया जाता है। इसके अंतर्गत सभी कार्य रियल टाइम पर संभव हो पाते हैं। वर्तमान में प्रतिभूति बाजार प्रकार्य (securities market operations) पर इलेक्ट्रॉनिक बाजार प्रणाली का अत्यधिक प्रभाव है।

धीरे-धीरे इलेक्ट्रॉनिक बाजार प्रणाली परंपरागत बाजारों को प्रतिस्थापित कर रही है या उनके सहायक के रूप में कार्य कर रही है।

फेस्टिव सीजन में ई-कॉमर्स पर फर्जीवाड़े को लेकर सतर्क हुई सरकार, नियमों की अनदेखी पर भेजे 200 से अधिक नोटिस

CCPA notice to E-commerce platforms: फेस्टिव सीजन के दौरान CCPA ने ई-कॉमर्स कंपनियों को नियमों की अनदेखी के चलते कॉमर्स का कार्य 200 से अधिक नोटिस भेजा है.

CCPA notice to E-commerce platforms: फेस्टिव सीजन के दौरान कस्टमर्स के हितों की रक्षा के लिए केंद्रीय उभोक्ता संरक्षण प्राधिकरण (CCPA) ने 16-22 अक्टूबर के बीच में ई-कॉमर्स प्लेटफॉर्म्स (E-commerce platforms) को किसी प्रोडेक्ट के मूल देश (Country of Origin) के बारे में गलत जानकारी देने को लेकर 202 नोटिस जारी किए हैं.

इसमें सबसे ज्यादा नोटिस इलेक्ट्रॉनिक प्रोडक्ट्स को लेकर भेजे गए हैं. इलेक्ट्रॉनिक प्रोडेक्ट्स (Electronic Product) को लेकर CCPA ने कुल 47 नोटिस भेजा. इसके बाद परिधानों को लेकर 35 नोटिस भेजे गएं.

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75 कंपनियों को भेजा नोटिस

इसमें से लगभग 75 कंपनियों ने अपना अपराध स्वीकार किया है, जिसमें से 68 कंपनियों ने प्रोडक्ट के मूल स्थान को लेकर गलत जानकारी देने की बात स्वीकारी है. कंपनियों को भेजे गए इन नोटिस से सरकार ने कुल 41,85,500 रुपये एकत्र किए हैं.

क्या करती है CCPA

CCPA जो डिपार्टमेंट ऑफ कंज्यूमर अफेयर्स, उपभोक्ता मामले, खाद्य और सार्वजनिक वितरण मंत्रालय के अधीन कार्य करता है, को कन्ज्यूमर्स के हितों की रक्षा (Consumer Protection) करने और उल्लंघन करने वालों को कार्रवाई करने का कर्तव्य सौंपा गया है.

CCPA ने पाया है कि ई-कॉमर्स प्लेटफॉर्म पर लिस्टेड प्रोडक्ट्स पर किसी प्रोडक्ट्स के ओरिजन देश को घोषित करने में कुछ मामलों में खामियां है. इस संबंध में नेशनल कंज्यूमर हेल्पलाइन पोर्टल पर कई कस्टमर्स से प्राप्त शिकायतों के आधार पर स्वत: संज्ञान लिया गया है.

क्या है नियम

कन्ज्यूमर प्रोटेक्शन (ई-कॉमर्स) नियम (Consumer Protection Rules), 2020 के नियम 6(5)(डी) के अनुसार किसी भी सेलर को ई-कॉमर्स प्लेटफॉर्म (E-commerce) पर बेचे जाने वाले सामान या सर्विस की पेशकश में सभी आवश्यक डीटेल्स देने का आदेश दिया गया है. इसमें प्रोडेक्ट के बनने के मूल देश का विवरण भी देना जरूरी है.

नहीं बताएं ई-कॉमर्स प्लेटफॉर्म्स के नाम

हालांकि उपभोक्ता मामलों के मंत्रालय ने उन ई-कॉमर्स कंपनियों का नाम नहीं बताया, जिन्हें नोटिस दिये गये हैं.

यह पूछे जाने पर कि आखिर सरकार नियमों का उल्लंघन करने वाली कंपनियों के नाम क्यों नहीं सार्वजनिक कर रही, उपभोक्ता मामलों की सचिव लीना नंदन ने कहा, "हम इसके जरिये कंपनियों और उपभोक्ताओं दोनों को सतर्क करने का प्रयास कर रहे हैं."

उन्होंने संवाददाता सम्मेलन में कहा कि कंपनियों को इस बात की जानकारी होनी चाहिए कि उपभोक्ताओं की शिकायतों के समाधान के संदर्भ में वह सब किया जाता है, जो कानूनी रूप से बनाए रखने योग्य है और उपभोक्ताओं को अपने अधिकारों को जानने की जरूरत है.

भारत सरकार

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वाणिज्य और उद्योग मंत्री, नई दिल्ली में 14.02.20 को पुर्तगाल के विदेश मंत्रालय के अंतर्राष्ट्रीयकरण के लिए राज्य के सचिव, यूरिको ब्रिलेंटे डायस के नेतृत्व में पुर्तगाली व्यापार प्रतिनिधिमंडल के साथ बैठक।

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