एक विजेता व्यापार स्थापित करना

झारखंड स्टूडेंट यूनियन ने मनाया अपना पहला स्थापना दिवस
राँची- झारखंड स्टूडेंट यूनियन यानि जेएसयू ने सोमवार को अपना पहला स्थापना दिवस मनाया । यूनियन ने स्थापना दिवस को संकल्प दिवस के तौर पर मनाया । जेएसयू के संकल्प दिवस कार्यक्रम के दौरान गुजरात के मोरबी में हुई घटना मे मरने वाले लोगों को श्रद्धांजलि दी गई । इसके अलावा झारखंड के वीर शहीदों को भी याद किया गया । इस मौके पर झारखंड स्टूडेंट यूनियन के पदाधिकारियों के द्वारा केक काटकर एक दूसरे को खिलाया गया । एवं झारखंड स्टूडेंट यूनियन के स्थापना दिवस की बधाई दी गई। हालांकि इस सब के बीच झारखंड स्टूडेंट यूनियन के सीनियर इंचार्ज सैय्यद अकबर ने झारखंड सरकार पर हमला करने का कोई भी मौका नहीं गंवाया । उन्होंने शिक्षा, रोजगार और कोविड काल में हुए कामों को लेकर सरकार पर हमला बोला । जबकि झारखंड स्टूडेंट यूनियन के प्रेसिडेंट सह राँची के चर्चित समाजसेवी अजहर आलम ने जेएसयू
के स्थापना दिवस के मौके पर यूनियन के गठन और उसके विकास को याद किया । इसके अलावा भविष्य की रणनीतियों पर भी बात की । अजहर आलम ने कहा की यूनियन जल्द संगठन विस्तार के तहत बंगाल और ओड़िशा का रुख करेगी । बंगाल के कई क्षेत्रों में जनमत तैयार कर उनकी भावना को सम्मान देते हुए बड़े आंदोलन की तैयारी की जाएगी । ओड़िशा में भी यूनियन भविष्य में अपनी भागीदारी सुनिश्चित करेगी । वही झारखंड स्टूडेंट यूनियन की ज्वाइंट सेकेट्ररी सह मिस इंडिया ग्लैमर 2022 की विजेता समीक्षा भारद्वाज ने कहा कि राज्य सरकार शिक्षा और रोज़गार के लिए व्यवस्था तैयार कर नहीं पा रही है । लोगों का विश्वास जीतना सरकार की जिम्मेदारी, लेकिन अब तक कोई कार्यक्रम स्पष्ट नहीं है उन्होंने आगे कहा कि सरकार सब को लेकर चलती है, लेकिन यह सरकार एक विजेता व्यापार स्थापित करना एक विजेता व्यापार स्थापित करना संकोचित सोच के साथ चल रही है जिसकी वजह से हम पहले ही कल्याणकारी स्टेट का दर्जा हम खो चुके हैं ।
मौके पर मुख्य रूप उपस्थित होने वालो में सैय्यद अकबर, अज़हर आलम, सरफराज आलम, समीक्षा, अनुष्का, पलक, नुमाल, तोशिफ, अरबाज़ अख्तर, रेहान, अतुल , सौरव समेत कई छात्र मौके पर मौजूद थे ।
Supreme Court: जबरन धर्मांतरण गंभीर मसला, देश की सुरक्षा के लिए भी खतरा,केंद्र को नोटिस, 28 नवंबर को अगली सुनवाई
New Delhi: देश की शीर्ष अदालत सुप्रीम कोर्ट में सोमवार को जबरन धर्मांतरण मसले पर सुनवाई हुई. इस दौरान सुप्रीम कोर्ट ने कहा कि ये एक गंभीर मसला है. इससे देश की सुरक्षा के लिए भी खतरा पैदा हो सकता है. सुप्रीम कोर्ट का कहना है कि जहां तक धर्म का संबंध है, इससे नागरिकों की अंतरात्मा की स्वतंत्रता भी प्रभावित हो सकती है. सुप्रीम कोर्ट ने केंद्र सरकार को नोटिस जारी कर मामले का अपना रुख स्पष्ट करने को कहा है. कोर्ट ने केंद्र से हलफनामा दाखिल कर जबरन धर्मांतरण के मामलों को रोकने के लिए उठाए गए कदमों और एहतियातों के बारे में बताने को कहा है. मामले की अगली सुनवाई 28 नवंबर को होगी.
इसे भी पढ़ें: जनजातीय गौरव दिवस के उपलक्ष्य पर खूंटी में मल्टीमीडिया चित्र प्रदर्शनी का आयोजन, प्रदर्शनी युवा पीढ़ी को अपने सुनहरे संघर्षपूर्ण इतिहास से कराएगी अवगत: अखिल कुमार मिश्रा
सुनवाई के दौरान सॉलिसिटर जनरल तुषार मेहता ने कहा कि इस तरह के धर्मांतरण आदिवासी क्षेत्रों में बड़े पैमाने पर होते हैं. ऐसे में सरकार क्या कर रही है. राज्यों के पास कानून हो सकते हैं, केंद्र को भी हस्तक्षेप करना चाहिए. पीठ ने केंद्र से कहा कि जबरन धर्मांतरण के खिलाफ उठाए गए 22 कदमों का विवरण देते हुए एक हलफनामा दायर करें. कोर्ट ने केंद्र को 22 नवंबर तक हलफनामा दाखिल करने को कहा है. अब इस मामले पर 28 नवंबर को सुनवाई होगी. सुप्रीम कोर्ट उस जनहित याचिका पर सुनवाई कर रही है, जिसमें याचिकाकर्ता के वकील ने कहा था कि लोगों को धमकाकर, उपहारों के जरिए और पैसे का लाभ देकर धोखे से धार्मिक रूपांतरण और धर्मांतरण देश में बड़े पैमाने पर कराया जा रहा है. इसे रोकने के लिए भारतीय दंड संहिता में प्रावधान कड़े किए जाए. अर्जी में केंद्र और राज्यों से कड़े कदम उठाने का निर्देश देने की मांग की गई है. कानून आयोग से तीन महीने में धोखाधड़ी से धर्मांतरण कराए जाने के मामले पर विधेयक और धर्मांतरण को नियंत्रित करने के लिए एक रिपोर्ट तैयार करने का निर्देश देने की मांग की गई है. भाजपा नेता और वकील अश्विनी उपाध्याय ने याचिका दाखिल की है.
Supreme Court: जबरन धर्मांतरण गंभीर मसला, देश की सुरक्षा के लिए भी खतरा,केंद्र को नोटिस, 28 नवंबर को अगली सुनवाई
New Delhi: देश की शीर्ष अदालत सुप्रीम कोर्ट में सोमवार को जबरन धर्मांतरण मसले पर सुनवाई हुई. इस दौरान सुप्रीम कोर्ट ने कहा कि ये एक गंभीर मसला है. इससे देश की सुरक्षा के लिए भी खतरा पैदा हो सकता है. सुप्रीम कोर्ट का कहना है कि जहां तक धर्म का संबंध है, इससे नागरिकों की अंतरात्मा की स्वतंत्रता भी प्रभावित हो सकती है. सुप्रीम कोर्ट ने केंद्र सरकार को नोटिस जारी कर मामले का अपना रुख स्पष्ट करने को कहा है. कोर्ट ने केंद्र से हलफनामा दाखिल कर जबरन धर्मांतरण के मामलों को रोकने के लिए उठाए गए एक विजेता व्यापार स्थापित करना कदमों और एहतियातों के बारे में बताने को कहा है. मामले की अगली सुनवाई 28 नवंबर को होगी.
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सुनवाई के दौरान सॉलिसिटर जनरल तुषार मेहता ने कहा कि इस तरह के धर्मांतरण आदिवासी क्षेत्रों में बड़े पैमाने पर होते हैं. ऐसे में सरकार क्या कर रही है. राज्यों के पास कानून हो सकते हैं, केंद्र को भी हस्तक्षेप करना चाहिए. पीठ ने केंद्र से कहा कि जबरन धर्मांतरण के खिलाफ उठाए गए 22 कदमों का विवरण देते हुए एक हलफनामा दायर करें. कोर्ट ने केंद्र को 22 नवंबर तक हलफनामा दाखिल करने को कहा है. अब इस मामले पर 28 नवंबर को सुनवाई होगी. सुप्रीम कोर्ट उस जनहित याचिका पर सुनवाई कर रही है, जिसमें याचिकाकर्ता के वकील ने कहा था कि लोगों को धमकाकर, उपहारों के जरिए और पैसे का लाभ देकर धोखे से धार्मिक रूपांतरण और धर्मांतरण देश में बड़े पैमाने पर कराया जा रहा है. इसे रोकने के लिए भारतीय दंड संहिता में प्रावधान कड़े किए जाए. अर्जी में केंद्र और राज्यों से कड़े कदम उठाने का निर्देश देने की मांग की गई है. कानून एक विजेता व्यापार स्थापित करना आयोग से तीन महीने में धोखाधड़ी से धर्मांतरण कराए जाने के मामले पर विधेयक और धर्मांतरण को नियंत्रित करने के लिए एक रिपोर्ट तैयार करने का निर्देश देने की मांग की गई है. भाजपा नेता और वकील अश्विनी उपाध्याय ने याचिका दाखिल की है.