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विपणन अनुसंधान एवं बाजार अनुसंधान

विपणन अनुसंधान एवं बाजार अनुसंधान
शोध और विश्लेषण फर्म एडब्ल्यूएसीएस की अध्यक्ष (विपणन) शीतल सपले ने अगस्त में बिज़नेस स्टैंडर्ड को बताया था कि इस अणु के पेटेंट के खत्म होने के एक महीने के भीतर 5 फीसदी सिटाग्लिप्टिन बाजार पर जेनेरिक ब्रांडों का कब्जा है।

दवाओं का पेटेंट नहीं तो मूल्य निर्धारण जरूरी

केंद्र सरकार और फार्मा उद्योग उन दवाओं के लिए मूल्य निर्धारण तंत्र पर काम कर रहे हैं, जिनका पेटेंट नहीं हो रहा है। यह कदम प्रमुख मधुमेह दवाओं के हाल ही में पेटेंट की समाप्ति की पृष्ठभूमि को देखते हुए महत्त्वपूर्ण है। उद्योग जगत के कई सूत्रों ने बताया कि पिछले शुक्रवार को उद्योग के प्रतिनिधियों और फार्मास्युटिकल विभाग के बीच हितधारकों की बैठक हुई थी। उन्होंने कार्यों में मूल्य निर्धारण तंत्र का विवरण साझा किया।

उद्योग जगत से जुड़े एक सूत्र ने कहा कि अभी इस विषय पर अंतिम निर्णय निर्णय होना बाकी है, लेकिन मूल्य निर्धारण तंत्र के तहत प्रवर्तक मूल्य के 50 फीसदी पर पेटेंट समाप्त होने वाली दवाओं के लिए एक उच्चतम कीमत निर्धारित करने की संभावना है। सूत्र ने समझाया कि यदि कोई ऐसी दवा हैं जो पेटेंट किए गए अणु के साथ संयोजन में कीमत नियंत्रण के अधीन है, तो उस पर अधिकतम कीमत जो ली जा सकती है वह मौजूदा उच्चतम कीमत से 20 फीसदी कम है।

दवाओं का पेटेंट नहीं तो मूल्य निर्धारण जरूरी

केंद्र सरकार और फार्मा उद्योग उन दवाओं के लिए मूल्य निर्धारण तंत्र पर काम कर रहे हैं, जिनका पेटेंट नहीं हो रहा है। यह कदम प्रमुख मधुमेह दवाओं के हाल ही में पेटेंट की समाप्ति की पृष्ठभूमि को देखते हुए महत्त्वपूर्ण है। उद्योग जगत के कई सूत्रों ने बताया कि पिछले शुक्रवार को उद्योग के प्रतिनिधियों और फार्मास्युटिकल विभाग के बीच हितधारकों की बैठक हुई थी। उन्होंने कार्यों में मूल्य निर्धारण तंत्र का विवरण साझा किया।

उद्योग जगत से जुड़े एक सूत्र ने कहा कि अभी इस विषय पर अंतिम निर्णय निर्णय होना बाकी है, लेकिन मूल्य निर्धारण तंत्र के तहत प्रवर्तक मूल्य के 50 फीसदी पर पेटेंट समाप्त होने वाली दवाओं के लिए एक उच्चतम कीमत निर्धारित करने की संभावना है। सूत्र ने समझाया कि यदि कोई ऐसी दवा हैं जो पेटेंट किए गए अणु के साथ संयोजन में कीमत नियंत्रण के अधीन है, तो उस पर अधिकतम कीमत जो ली जा सकती है वह मौजूदा उच्चतम कीमत से 20 विपणन अनुसंधान एवं बाजार अनुसंधान फीसदी कम है।

विपणन अनुसंधान की परिभाषा | विपणन अनुसंधान के लाभ या महत्व

विपणन अनुसंधान का आशय किसी भी विपन्न समस्या को परिभाषित करने, वस्तुओं और सेवाओं के विपणन से विभिन्न समस्याओं के बारे में आवश्यक बातों का विश्लेषण करने एवं उनका समाधान करने से है। विपणन अनुसंधान को विभिन्न विद्वानों ने भिन्न-भिन्न शब्दों में परिभाषित किया है। इसके सम्बन्ध में कुछ मुख्य परिभाषाएँ निम्नलिखित हैं-

अमेरिकन मार्केटिंग एसोसिएशन के अनुसार, “विपणन अनुसंधान से तात्पर्य वस्तुओं और सेवाओं को उत्पादकों से उपभोक्ताओं तक हस्तान्तरित करने और बेचने से सम्बन्धित समस्याओं के बारे में तथ्यों का संकलन, अभिलेखन और विश्लेषण करना है। इस परिभाषा को और अधिक स्पष्ट करते हुए अमेरिकन मार्केटिंग एसोसिएशन ने बताया है कि विपणन अनुसंधान का एक विस्तृत शब्द है, जिसमें विपणन क्रिया के प्रबन्ध से सम्बन्धित की जाने वाली सभी अनुसंधान क्रियायें, जैसे- (1) बाजार विश्लेषण (Market Analysis)- इसके अन्तर्गत बाजार का आकार, स्थिति, प्रकृति एवं विशेषताओं का अध्ययन किया जाता है। (2) विक्रय विश्लेषण (Sales Analysis) – इसके अन्तर्गत मुख्यतः विक्रय सम्बन्धी आँकड़ों का अध्ययन किया जाता है। (3) उपभोक्ता अनुसंधान (Consumer Research)- इसके अन्तर्गत मुख्यतः उपभोक्ता प्रवृत्तियों, प्रतिक्रियाओं एवं प्राथमिकताओं की खोज करना आदि को सम्मिलित किया जाता है। (4) विज्ञापन अनुसंधान (Advertising Research) – इसके अन्तर्गत यह देखा जाता है कि निर्माण की गई वस्तुओं को किस प्रकार बेचा जाये एवं उपभोक्ताओं को किस प्रकार सूचित किया जाये। दूसरे शब्दों में, हम कह सकते हैं कि इसका कार्य विक्रय कार्यों के प्रबन्ध में सहायता पहुँचाना है।

विपणन अनुसंधान के लाभ या महत्व

(Advantages or Importance of Marketing Research)

प्राचीन काल में उत्पादक अपनी सुविधानुसार वस्तुयें बनाता था और उन्हें उपभोक्ताओं को बेचने में सफल हो जाता था, परन्तु आज की बदलती परिस्थितियों में उत्पादक को उपभोक्ताओं की आवश्यकताओं, रूचियों तथा आय और फैशन आदि को ध्यान में रखते हुए ही वस्तु का उत्पादन करना पड़ता है। अतः हम कह सकते हैं कि आज का युग उपभोक्ता प्रधान है, विक्रेता प्रधान नहीं। इसलिए इस क्रेता बाजार में विपणन अनुसंधान का विशेष महत्व है।

विपणन अनुसंधान से निर्माताओं को निम्नलिखित लाभ प्राप्त होते हैं-

  1. नई उत्पादों का उत्पादन (Production of New Products) – विपणन अनुसंधान से ग्राहकों को नयी-नयी आवश्यकताओं का पता चलता है और उन आवश्यकताओं को पूरा करने के लिए संस्था को नये उत्पादों का उत्पादन करने हेतु लाभकारी अवसर प्राप्त होते हैं।
  2. वस्तुओं के नये उपयोग (New Uses of Products) – विपणन अनुसंधान के द्वारा उत्पादकों को यह भी पता चलता रहता है कि क्या उपभोक्ता संस्था द्वारा सुझाये गये उपयोग के अतिरिक्त वस्तु का कोई और उपयोग भी कर रहे हैं? यदि वस्तु के उन नये उपयोगों का उत्पादक को पता लग जाये तो संस्था नये उपयोगों का अधिक प्रचार कराकर अपनी वस्तु की मांग बढ़ा सकती है।
  3. उपयोगी सूचनाएँ (Valuable Information’s) – विपणन अनुसंधान से यह पता चल जाता है कि हमारे ग्राहक कौन हैं? वे वस्तु का क्रय क्यों करते हैं? वे वस्तु का क्रय कब और कहाँ से करते हैं? आदि। इस प्रकार की सूचना की जानकारी से विपणनकर्त्ता अपनी विपणन क्रियाओं को और अधिक प्रभावशाली बनाने के लिए प्रयत्न करते हैं।
  4. विपणन श्रृंखला का चयन (Selection of Channel of Distribution) – विपणन अनुसंधानों के द्वारा विपणनकर्ता को ग्राहकों के विषय में जानकारी हो जाती है और प्रतिस्पर्धियों की वितरण नीति का ज्ञान हो जाता है। विपणनकर्ता यह जानकारी प्राप्त करने के पश्चात् आसानी से अपनी संस्था के लिए वितरण शृंखला का चयन कर सकता है।
  5. वस्तुओं में सुधार (Improvement in Products) – विपणन अनुसंधान से ज्ञात किया जा सकता है कि उपभोक्ता किस प्रकार की वस्तु चाहते हैं? हमारी संस्था द्वारा निर्मित वस्तु में क्या कमियाँ हैं? अर्थात् हमारी संस्था की वस्तुओं में किन-किन सुधारों की आवश्यकता है? विपणनकर्त्ता यह जानकारी प्राप्त करके अपनी वस्तु में सुधार करके वस्तु की माँग बढ़ा सकता है।
  6. माँग का ज्ञान (Knowledge of Demand) – विपणन अनुसंधान द्वारा निर्मित वस्तु की माँग का अध्ययन करके यह पता लगाया जाता है कि वस्तु की माँग लोचदार है या विपणन अनुसंधान एवं बाजार अनुसंधान बेलोचदार या मौसमी इन तथ्यों का ज्ञान प्राप्त करने के पश्चात् विपणनकर्त्ता सुव्यवस्थित उत्पाद कार्यक्रम तैयार कर सकता है।
  7. नए बाजारों की खोज (Discoveryof New Markets) – विपणन अनुसंधान के द्वारा वस्तु के नये-नये बाजारों की विपणन अनुसंधान एवं बाजार अनुसंधान खोज करके वस्तु का बाजार विस्तृत करने में सहायता मिलती है।
  8. प्रतिस्पर्धा में स्थायित्व (Existence in Competitive Situation) – विपणन अनुसंधान के द्वारा प्रतिस्पर्धियों की नीतियों का अध्ययन करके संस्था अपनी नीतियों में आवश्यक परिवर्तन करके प्रतिस्पर्धी की स्थिति में अपनी वस्तु बेचने में सफल हो सकती है।
  9. नियोजित उत्पादन (Planned Production) – विपणन अनुसंधान के द्वारा वस्तुओं की माँग के सही-सही पूर्वानुमान के आधार पर निर्माता आयोजित उत्पादन कर सकते हैं जिससे माँग और पूर्ति में सामंजस्य स्थापित हो जाता है।

प्राकृतिक खेती के गुर सीख रहे हैं कृषि वैज्ञानिक

17 नवम्बर 2022, जबलपुर: प्राकृतिक खेती के गुर सीख रहे हैं कृषि वैज्ञानिक – कृषि महाविद्यालय जबलपुर के अंतर्गत संचालित मृदा विज्ञान विभाग द्वारा भारतीय कृषि अनुसंधान परिषद द्वारा पोषित ‘‘सेंटर फॉर एडवांस फैकेल्टी’’ (काफ्ट) ट्रेनिंग के अंतर्गत पूरे देश के विभिन्न राज्यों से आए कृषि वैज्ञानिकों को वर्तमान समय में अति महत्वपूर्ण विषय ‘‘प्राकृतिक खेती-चुनौतियां एवं अवसर’’ विषय पर सतत् प्रशिक्षण जारी है। प्रशिक्षण के संचालक, आचार्य एवं विभागाध्यक्ष डॉ. एन. जी. मित्रा ने बताया कि आज प्राथमिकता है प्राकृतिक खेती, जैविक खेती जैसे महत्वपूर्ण विषयों पर किसानों को जागरूक करना। इसी उद्देश्य को लेकर कृषि वैज्ञानिकों को इस विषय पर यह महत्वपूर्ण प्रशिक्षण प्रदान किया जा रहा है, ताकि अपने कार्य क्षेत्र में जाकर किसानों को इस दिशा में जानकारी देकर जागरूक कर सकें और लाभ पहुंचा सके।

विपणन अनुसंधान के लाभ या महत्व

(Advantages or Importance of Marketing Research)

प्राचीन काल में उत्पादक अपनी सुविधानुसार वस्तुयें बनाता था और उन्हें उपभोक्ताओं को बेचने में सफल हो जाता था, परन्तु आज की बदलती परिस्थितियों में उत्पादक को उपभोक्ताओं की आवश्यकताओं, रूचियों तथा आय और फैशन आदि को ध्यान में रखते हुए ही वस्तु का उत्पादन करना पड़ता है। अतः हम कह सकते हैं कि आज का युग उपभोक्ता प्रधान है, विक्रेता प्रधान नहीं। इसलिए इस क्रेता बाजार में विपणन अनुसंधान का विशेष महत्व है।

विपणन अनुसंधान से निर्माताओं को निम्नलिखित लाभ प्राप्त होते हैं-

  1. नई उत्पादों का उत्पादन (Production of New Products) – विपणन अनुसंधान से ग्राहकों को नयी-नयी आवश्यकताओं का पता चलता है और उन आवश्यकताओं को पूरा करने के लिए संस्था को नये उत्पादों का उत्पादन करने हेतु लाभकारी अवसर प्राप्त होते हैं।
  2. वस्तुओं के नये उपयोग (New Uses of Products) – विपणन अनुसंधान के द्वारा उत्पादकों को यह भी पता चलता रहता है कि विपणन अनुसंधान एवं बाजार अनुसंधान क्या उपभोक्ता संस्था द्वारा सुझाये गये उपयोग के अतिरिक्त वस्तु का कोई और उपयोग भी कर रहे हैं? यदि वस्तु के उन नये उपयोगों का उत्पादक को पता लग जाये तो संस्था नये उपयोगों का अधिक प्रचार कराकर अपनी वस्तु की मांग बढ़ा सकती है।
  3. उपयोगी सूचनाएँ (Valuable Information’s) – विपणन अनुसंधान से यह विपणन अनुसंधान एवं बाजार अनुसंधान पता चल जाता है कि हमारे ग्राहक कौन हैं? वे वस्तु का क्रय क्यों करते हैं? वे वस्तु का क्रय कब और कहाँ से करते हैं? आदि। इस प्रकार की सूचना की जानकारी से विपणनकर्त्ता अपनी विपणन क्रियाओं को और अधिक प्रभावशाली बनाने के लिए प्रयत्न करते हैं।
  4. विपणन श्रृंखला का चयन (Selection of Channel of Distribution) – विपणन अनुसंधानों के द्वारा विपणनकर्ता को ग्राहकों के विषय में जानकारी हो जाती है और प्रतिस्पर्धियों की वितरण नीति का ज्ञान हो जाता है। विपणनकर्ता यह जानकारी प्राप्त करने के पश्चात् आसानी से अपनी संस्था के लिए वितरण शृंखला का चयन कर सकता है।
  5. वस्तुओं में सुधार (Improvement in Products) विपणन अनुसंधान एवं बाजार अनुसंधान विपणन अनुसंधान से ज्ञात किया जा सकता है कि उपभोक्ता किस प्रकार की वस्तु चाहते हैं? हमारी संस्था द्वारा निर्मित वस्तु में क्या कमियाँ हैं? अर्थात् हमारी संस्था की वस्तुओं में किन-किन सुधारों की आवश्यकता है? विपणनकर्त्ता यह जानकारी प्राप्त करके अपनी वस्तु में सुधार करके वस्तु की माँग बढ़ा सकता है।
  6. माँग का ज्ञान (Knowledge of Demand) – विपणन अनुसंधान द्वारा निर्मित वस्तु की माँग का अध्ययन करके यह पता लगाया जाता है कि वस्तु की माँग लोचदार है या बेलोचदार या मौसमी इन तथ्यों का ज्ञान प्राप्त करने के पश्चात् विपणनकर्त्ता सुव्यवस्थित उत्पाद कार्यक्रम तैयार कर सकता है।
  7. नए बाजारों की खोज (Discoveryof New Markets) – विपणन अनुसंधान के द्वारा वस्तु के नये-नये बाजारों की खोज करके वस्तु का बाजार विस्तृत करने में सहायता मिलती है।
  8. प्रतिस्पर्धा में स्थायित्व (Existence in Competitive Situation) – विपणन अनुसंधान के द्वारा प्रतिस्पर्धियों की नीतियों का अध्ययन करके संस्था अपनी नीतियों में आवश्यक परिवर्तन करके प्रतिस्पर्धी की स्थिति में अपनी वस्तु बेचने में सफल हो सकती है।
  9. नियोजित उत्पादन (Planned Production) – विपणन अनुसंधान के द्वारा वस्तुओं की माँग के सही-सही पूर्वानुमान के आधार पर निर्माता आयोजित उत्पादन कर सकते हैं जिससे माँग और पूर्ति में सामंजस्य स्थापित हो जाता है।
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