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मार्टिंगली पर प्रतिबिंब

मार्टिंगली पर प्रतिबिंब
विंडो डिस्प्ले की तस्वीर कैसे लगाएं

रियल एस्टेट फोटो संपादन सेवाएं

रियल एस्टेट, ई-कॉमर्स, फ़ोटोग्राफ़ी, यात्रा आदि का कारोबार करने वाले व्यवसायों को वेब और ऑफ़लाइन दोनों पर मार्केटिंग सामग्री की अत्यधिक आवश्यकता होती है। यह उन छवियों की भारी मांग उत्पन्न करता है जो स्वच्छ, आकर्षक और फोटोग्राफर के सामने आने वाली अव्यवस्था से मुक्त हैं। रंग सुधार के लिए उच्च-रिज़ॉल्यूशन संपादन के साथ पृष्ठभूमि के बिना एक छवि प्राप्त करना अंतिम विज़ुअलाइज़र / बाज़ारिया का सपना है। प्रत्येक टेबल टॉप और उत्पाद फोटोग्राफर एक विशेष टीम के लिए तरसता है जो छवियों को जीवंत कर सके जैसा कि उसके लेंस के माध्यम से देखा गया है।

हमारे विशेष संपादकों को छवि संपादन में वर्षों के अनुभव के साथ, छवि क्लिपिंग सेवाओं के लिए REPES सबसे अच्छा विकल्प है। रेप्स में हमारे पेशेवर फोटो क्लिपिंग में किसी भी स्तर की जटिलता को संभालने में सक्षम हैं।

सरल कतरन पथ- जिन परियोजनाओं में सरल छवियों (चिकनी, सीधे किनारों के साथ) की कतरन शामिल होती है, वे सरल कतरन पथ कार्यों के अंतर्गत आती हैं।

जटिल क्लिपिंग पथ- एकाधिक वक्रों, किनारों और असमान सतहों वाली छवियों पर क्लिपिंग पथ बनाने में बहुत समय लगता है। फूल और आभूषण जटिल कतरन पथ आवश्यकताओं का एक अच्छा उदाहरण हैं।

छाया के साथ क्लिपिंग पथ- छाया क्लिप की गई छवियों को अधिक यथार्थवादी रूप देती है। हम आपकी छवियों में एक प्राकृतिक ड्रॉप शैडो जोड़ सकते हैं, भले ही मूल छवियों के पास हो या नहीं।

प्रतिबिंब के साथ क्लिपिंग पथ- हम एक अच्छा तीन आयामी रूप देने के लिए कुंजी छवि या विषय में एक स्मार्ट दर्पण जैसा प्रतिबिंब जोड़ सकते हैं।

खुशखबरी: 'एक स्टेशन, एक उत्पाद' के तहत अब पटना जंक्शन पर मिलेंगे मधुबनी पेंटिंग के प्रोडक्ट्स

कुंदन सिंह

One Station, One Product: मधुबनी पेंटिंग से युक्त सामग्रियों को एक लोकप्रिय कला शैली के एक आदर्श प्रतिबिंब के रूप में देखा जा रहा है।

One Station, One Product: now Madhubani painting products will be available at Patna Junction

खुशखबरी: 'एक स्टेशन, एक उत्पाद' के तहत अब पटना जंक्शन पर मिलेंगे मधुबनी पेंटिंग के प्रोडक्ट्स  |  तस्वीर साभार: BCCL

One Station, One Product: मेक इन इंडिया (Make In India) के तहत लोकल उत्पादों को प्रमोट करने के तहत पटना के स्टेशनों पर अब मिथला की मशहूर मधुबनी पेंटिंग से जुड़े उत्पाद की खरीदारी की जा सकेगी। इस बार के बजट में एक स्टेशन एक उत्पाद योजना की शुरुआत की गई थी। इसी क्रम में पूर्व मध्य रेल पर 'एक स्टेशन, एक उत्पाद' योजना के तहत पायलट प्रोजेक्ट के रूप में पटना जंक्शन का चयन किया गया है। पटना जं (Patna Junction) पर मधुबनी पेंटिंग एवं इसके उत्पाद की प्रदर्शनी सह बिक्री केंद्र 25 मार्च, 2022 से 15 दिनों के लिये चलाया जायेगा।

मिलेगा बेहतर बाजार
पटना जंक्शन के प्लेटफार्म नं. 01 पर मधुबनी पेंटिंग एवं इससे संबंधित उत्पादों जैसे हैंड पेंटेड सिल्क एवं कॉटन की साड़ियां, दुपट्टा, फाइल फोल्डर, बैग, पर्स, मोबाईल कवर, पेन होल्डर, वाल पेंटिंग, हेंगिंग लैंप, टेबल लैंप, मास्क, कुर्ता, जैकेट, बंडी, की-रिंग होल्डर, टी ग्लास, नोट पैड बॉक्स, नोट बुक, बेड कवर सहित अन्य चीजों के प्रदर्शनी सह बिक्री हेतु एक संस्था को स्टाल लगाने के लिये स्थान उपलब्ध कराया जाएगा। जहां आने-जाने वाले यात्रियों की पहुंच आसान हो। रेलवे स्टेशन पर इसके स्टॉल लगाये जाने से यहां के हस्तशिल्पियों का उत्साहबर्धन होगा तथा उत्पाद को एक बेहतर बाजार मिलेगा।

दुनिया भर के यात्रियों को आकर्षित कर रही है मधुबनी पेंटिंग
विश्वप्रसिद्ध मार्टिंगली पर प्रतिबिंब पारंपरिक कला, मधुबनी शैली की चित्रकारी 'मधुबनी पेंटिंग' स्थानीय लोगों के साथ-साथ दुनिया भर के यात्रियों को आकर्षित कर रही है। इसके पहले भी पूर्व मध्य रेल द्वारा ट्रेनों एवं स्टेशनों पर मधुबनी पेंटिंग का प्रयोग कर इस कला को अंतर्राष्ट्रीय स्तर पर पहचान दिलायी गयी है। पूर्व मध्य रेल के लिए यह गौरव की बात है मार्टिंगली पर प्रतिबिंब कि मधुबनी पेंटिंग से युक्त सामग्रियों को एक लोकप्रिय कला शैली के एक आदर्श प्रतिबिंब के रूप में देखा जा रहा है जिसका सीधा लाभ स्थानीय कलाकारों को नई पहचान एवं उनके उत्पादों को नए बाजार उपलब्ध कराने में मील का पत्थर साबित।

बजट 2022-23 (Budget 2022-23) में 'एक स्टेशन, एक उत्पाद' से संबंधित की गई घोषणा के अनुरूप स्थानीय कारीगरों, शिल्पकारों, कुम्हारों, बुनकरों एवं जन-जातियों के बेहतर जीविकोपार्जन एवं कल्याण हेतु रेलवे स्टेशनों के प्लेटफार्म पर स्थानीय उत्पादों की मार्केटिंग हेतु निर्धारित स्थान पर 'स्टॉल' उपलब्ध कराया जा रहा है । इसी कड़ी में आत्मनिर्भर भारत अभियान के तहत स्थानीय हस्तशिल्प व उद्योगों को बढ़ावा देने की पहल के तहत स्थानीय उत्पादों जैसे कि खाद्य पदार्थ, हस्त शिल्प उत्पाद, कलाकृतियां, हथकरघा इत्यादि क्षेत्र विशेष के अनुसार रेलवे स्टेशन के प्लेटफॉर्म पर प्रदर्शनी सह बिक्री किया जायेगा। यह स्थानीय लोगों के लिए स्वरोजगार का एक नया अवसर भी पैदा करेगा। इसका उद्देश्य रेलवे परिसर का उपयोग कर स्थानीय उत्पादों की आपूर्ति श्रृंखला को बढ़ावा देना है।

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विंडो डिस्प्ले की तस्वीर कैसे लगाएं

विंडो डिस्प्ले की तस्वीरें लेते समय, आपको कुछ समस्याओं का सामना करना पड़ सकता है जो खराब गुणवत्ता की छवियां बनाती हैं। इसलिए, इसे आज़माने से पहले, यह जानना अच्छा है कि शोकेस की तस्वीरें कैसे ली जाती हैं? चूंकि प्रकाश, परावर्तन और रंग जैसे कारक हैं जो तस्वीर में प्रतिबिंबित नहीं हो सकते हैं जैसा कि आप वास्तव में देखते हैं।

यह आमतौर पर तब होता है जब कम रोशनी होती है या उस स्थान पर मौजूद प्रकाश स्पॉटलाइट से आता है जहां कैमरे का सफेद संतुलन भ्रमित होता है। इससे फोटो धुली हुई दिखती है।

विंडो डिस्प्ले की तस्वीर कैसे लगाएं

विंडो डिस्प्ले की तस्वीर कैसे लगाएं

शोकेस फ़ोटोग्राफ़ के लिए अनुशंसाएँ

शोकेस का प्रतिबिंब

शोकेस का प्रतिबिंब उसके अंदर की वस्तु को नुकसान पहुंचा सकता है। यदि आप ज़ूम लागू करते हैं तो आप इसे और अधिक विस्तार से देख सकते हैं।

एक अच्छा शॉट लेने के लिए, कांच के करीब इस तरह से जाएं कि वस्तु कांच के मामले के अंदर हो, इस तरह आप परावर्तित किरणों को खत्म कर देते हैं।

आप प्रतिबिंब को हटाने के लिए बाएं से दाएं एक छोटा सा आंदोलन देकर भी अपनी मदद कर सकते हैं, आप शूट करते हैं और बस! मानो जादू से प्रतिबिंब विलीन हो जाएगा। इस तरह शोकेस का शीशा थोड़ा गंदा हो तो कोई फर्क नहीं पड़ता, क्योंकि कैमरा ग्लास के काफी करीब होने से गंदगी फोकस से बाहर नहीं आएगी।

शोकेस के शीशे के पास शॉट लेने के अन्य लाभ यह है कि आप धीमी गति से शूट कर सकते हैं और सबसे सुरक्षित बात यह है कि आपको आईएसओ को बढ़ाने की आवश्यकता नहीं है। ऐसा इसलिए है क्योंकि कांच, शरीर के साथ मिलकर, एक तिपाई के रूप में काम करता है और आपको एक्सपोजर में 3 से अधिक स्टॉप नीचे जाने की अनुमति देता है।

वस्तु का रंग

जैसा कि हमने उल्लेख किया है, एक समस्या जो आमतौर पर उत्पन्न होती है वह यह है कि वस्तु का रंग छवि के समान नहीं होता है। सबसे अधिक संभावना है कि सफेद संतुलन ठीक से काम नहीं कर रहा है, इसलिए आपको तदनुसार कैमरे को समायोजित करने की आवश्यकता है।

ताकि आप छवि को कैप्चर कर सकें जैसा कि आप इसे देख रहे हैं, आपको कैमरे को लाइव व्यू में रखना होगा, रंग तापमान समायोजन पर जाना होगा, जब तक कि यह वही न हो जो विंडो में दिखाई देता है। एक बार समायोजन हो जाने के बाद, आप शूट करते हैं और अंतिम परिणाम वही होगा जो आप शोकेस में देख रहे थे।

प्रकाश

प्रकाश पिछले दो की तुलना में कम महत्वपूर्ण नहीं है, कई फोटोग्राफर डर के साथ आईएसओ का उपयोग करते हैं, निश्चित रूप से क्योंकि वे नहीं जानते कि इसे कैसे प्राप्त किया जाए और यह एक बेहतर छवि प्राप्त करने की गारंटी है, जो बिना किसी जोखिम के ली गई है और स्थानांतरित हो गई है। कुंजी सही आईएसओ का उपयोग करना है।

आप आईएसओ 1000 के साथ प्रयास कर सकते हैं और फिर नॉइज़वेयर के साथ धीरे से प्रयास कर सकते हैं, उदाहरण के लिए संपादित करने के लिए कि आप कितना छोटा शोर पैदा कर पाए हैं।

अंत में, आपको धैर्य रखना और कई परीक्षण करना नहीं भूलना चाहिए जब तक कि आप जो चाहते हैं उसे प्राप्त नहीं कर लेते। भाग्य!

आईआईएम इंदौर में NASMEI 2019 का समापन

तीन दिवसीय आईआईएम इंदौर NASMEI 2019 ग्रीष्मकालीन विपणन और सूचना प्रणाली सम्मेलन 28 जुलाई, 2019 को संपन्न हुआ। सम्मेलन में तीन पूर्व-सम्मेलन कार्यशालाएं, 13 ट्रैक पर 300 से अधिक पेपर प्रेजेंटेशन और एक पैनल डिस्कशन हुआ।

सम्मेलन के तीसरे दिन प्रो. आशुतोष दीक्षित, मोंटे आहूजा कॉलेज ऑफ बिजनेस, क्लीवलैंड; प्रो. सतीश नरगुंडकर, जे मैक रॉबिन्सन कॉलेज ऑफ बिजनेस जॉर्जिया स्टेट यूनिवर्सिटी और प्रो. संजय गौर, सनवे यूनिवर्सिटी बिजनेस स्कूल, मलेशिया अतिथि के रूप में मौजूद थे।

कार्यक्रम की शुरुआत आईआईएम इंदौर के निदेशक प्रोफेसर हिमांशु राय के संबोधन से हुई। उन्होंने सम्मेलन के आयोजन के लिए आयोजन समिति को बधाई दी। उन्होंने कहा कि शोधकर्ता उत्सुक रहते हैं, कि शोध के सही और गलत तरीके के बीच अंतर कैसे किया जाए - आसान तरीका गलत हो सकता है, लेकिन हमेशा आकर्षक होता है। ईशोपनिषद से सीख साझा करते हुए, उन्होंने कहा कि विवेक व्यक्ति को सही और गलत के बीच के अंतर को मार्टिंगली पर प्रतिबिंब पहचानने में मदद करता है। 'मेरा मानना है कि अगर आप कुछ भी करते हैं और आप शर्म महसूस करते हैं, या डर जाते हैं या इसे लेकर भ्रम की स्थिति में रहते हैं, तो कभी भी वो काम न करें- लज्जा, भाय या शंका होने पर कुछ भी करना गलत है', उन्होंने कहा। उन्होंने यह भी कहा कि FIRE (भाग्य, पहचान, प्रतिबिंब और समरूपता) सही दिशा की ओर ले जाता है। ‘हिम्मत रखो, उसूलों से रहो, अपने आंतरिक आत्म और सिद्धांतों को प्रतिबिंबित करो और याद रखो कि कुछ भी हमेशा के लिए तुम्हारा नहीं है। आप इस FIRE को बार-बार अभ्यास करके प्राप्त कर सकते हैं ', उन्होंने कहा। उन्होंने अपनी बात समाप्त करते हुए कहा कि आने वाले समय में, केवल वही नेता पनपेगें जो न केवल सही काम करते हैं, बल्कि जो सही तरीके से सही काम करते हैं।

इसके मार्टिंगली पर प्रतिबिंब बाद प्रोफेसर सतीश नरगुंडकर ने एक संबोधन दिया। उन्होंने 'एनालिटिक्स रिजल्ट्स टू एक्जिक्यूटिव' पर बात करते हुए कहा कि विश्लेषिकी पेशेवर आमतौर पर सरल भाषा में समझाने में विफल रहते हैं कि वे आखिर कहना क्या चाहते हैं। शोधकर्ताओं के लिए भी यही सच है। उन्होंने एक सरल और आसान प्रस्तुति देने के लिए तीन युक्तियों को साझा किया। ये टिप्स हैं- काम की बात कम शब्दों में बोलो, ख़ास बात सबसे पहले बोलो और चार्ट में सरल भाषा का उपयोग करो। उन्होंने कहा कि हमें इस बात को समझने की जरूरत है कि हम क्या पेश कर रहे हैं या किस बारे में बात कर रहे हैं और हमारे दर्शकों को सुनने में क्या दिलचस्पी है।

इसके बाद प्रोफेसर संजय सिंह गौर ने भी चर्चा की, जिन्होंने डिजिटल युग में स्मार्ट मार्केटिंग पर प्रौद्योगिकी और विघटनकारी विपणन पर ध्यान केंद्रित किया। उन्होंने विभिन्न वीडियो दिखाते हुए बताया कि कैसे प्रौद्योगिकी- विपणन और व्यवसाय को बढ़ा रही है। चर्चा की गई प्रौद्योगिकी की छह श्रेणियां - कृत्रिम बुद्धिमत्ता, 3 डी प्रिंटिंग, संवर्धित वास्तविकता, ब्लॉक चेन, इंटरनेट ऑफ थिंग्स और रोबोटिक्स थीं।

आखिर में प्रोफेसर आशुतोष दीक्षित ने चर्चा की, जिन्होंने मार्केटिंग में स्ट्रैटेजी और एप्लीकेशन्स ऑफ इंटेलिजेंट एजेंट टेक्नोलॉजीज पर विचार साझा किये। उन्होंने कहा कि प्रौद्योगिकी में क्रांति है और इसलिए विपणन भी आगे बढ़ रहा है। ‘हमें यह समझने की आवश्यकता है कि विपणन करते समय और शोध करते समय दोनों के बीच क्या सम्बन्ध है। मार्केटर के रूप में हमें यह पता लगाने की ज़रूरत है कि हमारे ग्राहक क्या चाहते हैं, और एक शोधकर्ता के रूप में हमें यह समझने की ज़रूरत है कि हमारा शोध लक्ष्य के लिए कितना उपयोगी होगा। ' उन्होंने कहा।

सत्र का समापन प्रोफेसर राजेंद्र नरगुंडकर, सम्मेलन सह अध्यक्ष और संकाय, आईआईएम इंदौर द्वारा धन्यवाद ज्ञापन के साथ हुआ। तीन दिवसीय सम्मेलन रविवार को समाप्त हो गया, जिसमें भारत और विदेश के रिसर्च स्कॉलर्स को एक मार्टिंगली पर प्रतिबिंब मंच प्रदान किया गया, ताकि वे विपणन और सूचना प्रणालियों से संबंधित विभिन्न विषयों पर चर्चा कर सकें।

'बिहार में हार मोदी के लिए बड़ा राजनीतिक झटका'

Defeat in Bihar election is biggest political shock for Modi:

अमेरिकी मीडिया ने बिहार विधानसभा चुनाव में भाजपा की आश्चर्यजनक हार को प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी के लिए बड़ा राजनीतिक झटका करार दिया है। साथ ही नीतीश कुमार के नेतृत्व वाले महागठबंधन के हाथों भाजपा की हार को काफी तवज्जो दी है। इस खबर को वाशिंगटन पोस्ट ने ‘भारत की सत्तारूढ़ पार्टी भाजपा ने महत्वपूर्ण राज्य चुनाव में हार स्वीकार की’ शीर्षक दिया।

वहीं, न्यूयॉर्क टाइम्स ने ‘मोदी ने महत्वपूर्ण राज्य के विधानसभा चुनाव में पार्र्टी की हार स्वीकारी’ शीर्षक से इसे पीएम मोदी के लिए ‘बड़ा राजनीतिक झटका’ बताया है। अखबार ने कहा कि इस चुनाव ने भाजपा को महत्वपूर्ण स्थान से बाहर कर दिया।

वॉल स्ट्रीट जर्नल, फाइनेंशियल डेली और लोकप्रिय नेशनल पब्लिक रेडियो ने भी जनता दल (यूनाइटेड) के हाथों हार को भाजपा के लिए करारा झटका बताया है। इनका कहना है कि इससे सरकार का आर्थिक एजेंडा प्रभावित हो सकता है।

इस बाबत यूनिवर्सिटी ऑफ मिशिगन में मार्केटिंग के प्रोफेसर पुनीत मानचंद का कहना है कि दिल्ली में आम आदमी पार्टी की शानदार जीत सामान्य तौर पर भाजपा के राजनेताओं मार्टिंगली पर प्रतिबिंब के प्रति मतदाताओं के मोहभंग का प्रतिबिंब था, लेकिन पिछले साल की तुलना में बिहार विधानसभा चुनाव में हार भाजपा के प्रदर्शन का ज्यादा प्रत्यक्ष एवं नकारात्मक मूल्यांकन है। ऐसा मालूम होता है कि सरकार की आर्थिक और सामाजिक नीतियां चिंता का विषय हैं।

उन्होंने कहा कि बिहार जैसे बड़े राज्य में हार भाजपा के लिए निश्चित मार्टिंगली पर प्रतिबिंब तौर पर बड़ा राजनीतिक झटका है। मानचंद ने कहा कि बिहार में महागठबंधन की जीत दर्शाती है कि सत्तारूढ़ भाजपा का मुकाबला करने के लिए विपक्ष के पास पार्टियों का गठबंधन बेहतरीन रास्ता है। वर्तमान में कोई भी पार्टी अकेले ऐसा करने में सक्षम नहीं है।

वहीं बसपा सुप्रीमो मायावती ने बिहार विधानसभा के आमचुनाव में बसपा की करारी हार के कारणों का खुलासा किया है। उन्होंने कहा है कि वहां आमने-सामने की प्रत्यक्ष लड़ाई में बीएसपी को नुकसान उठाना पड़ा है। हालांकि उन्होंने भाजपा की हार पर संतोष जताया है। उन्होंने अपने बयान में कहा है कि केंद्र में बीजेपी गठबंधन सरकार की गलत नीतियों व सांप्रदायिक मानसिकता से त्रस्त बिहार की जनता ने राजग को सत्ता में आने से रोकने के लिए अपना एकतरफा वोट नीतिश कुमार व लालू प्रसाद यादव के महागठबंधन को ही दे दिया।

यूपी के मुख्यमंत्री अखिलेश यादव ने बिहार में भाजपा की करारी हार के पीछे दादरी में हुए अखलाक की हत्या और बीफ जैसे मुद्दों को जिम्मेदार बताया। अखिलेश ने कहा है कि सांप्रदायिकता के जरिए बिहार में जीत का ख्वाब देखने वालों को जनता ने जवाब दे दिया। इसका नतीजा यह हुआ की नरेंद्र मोदी के धुंआधार चुनाव प्रचार के बावजूद बिहार की जनता ने नीतीश कुमार को एक बार फिर मौका दिया।

अमेरिकी मीडिया ने बिहार विधानसभा चुनाव में भाजपा की आश्चर्यजनक हार को प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी के लिए बड़ा राजनीतिक झटका करार दिया है। साथ ही नीतीश कुमार के नेतृत्व वाले महागठबंधन के हाथों भाजपा की हार को काफी तवज्जो दी है। इस खबर को वाशिंगटन पोस्ट ने ‘भारत की सत्तारूढ़ पार्टी भाजपा ने महत्वपूर्ण राज्य चुनाव में हार स्वीकार की’ शीर्षक दिया।

वहीं, न्यूयॉर्क टाइम्स ने ‘मोदी ने महत्वपूर्ण राज्य के विधानसभा चुनाव में पार्र्टी की हार स्वीकारी’ शीर्षक से इसे पीएम मोदी के लिए ‘बड़ा राजनीतिक झटका’ बताया है। अखबार ने कहा कि इस चुनाव ने भाजपा को महत्वपूर्ण स्थान से बाहर कर दिया।

वॉल मार्टिंगली पर प्रतिबिंब स्ट्रीट जर्नल, फाइनेंशियल डेली और लोकप्रिय नेशनल पब्लिक रेडियो ने भी जनता दल (यूनाइटेड) के हाथों हार को भाजपा के लिए करारा झटका बताया है। इनका कहना है कि इससे सरकार का आर्थिक एजेंडा प्रभावित हो सकता है।

बड़ा राजनीतिक झटका

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इस बाबत यूनिवर्सिटी ऑफ मिशिगन में मार्केटिंग के प्रोफेसर पुनीत मानचंद का कहना है कि दिल्ली में आम आदमी पार्टी की शानदार जीत सामान्य तौर पर भाजपा के राजनेताओं के प्रति मतदाताओं के मोहभंग का प्रतिबिंब था, लेकिन पिछले साल की तुलना में बिहार विधानसभा चुनाव में हार भाजपा के प्रदर्शन का ज्यादा प्रत्यक्ष एवं नकारात्मक मूल्यांकन है। ऐसा मालूम होता है कि सरकार की आर्थिक और सामाजिक नीतियां चिंता का विषय हैं।

उन्होंने कहा कि बिहार जैसे बड़े राज्य में हार भाजपा के लिए निश्चित तौर पर बड़ा राजनीतिक झटका है। मानचंद ने कहा कि बिहार में महागठबंधन की जीत दर्शाती है कि सत्तारूढ़ भाजपा का मुकाबला करने के लिए विपक्ष के पास पार्टियों का गठबंधन बेहतरीन रास्ता है। वर्तमान में कोई भी पार्टी अकेले ऐसा करने में सक्षम नहीं है।

मायवती और अखिलेश ने ली चुटकी

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वहीं बसपा सुप्रीमो मायावती ने बिहार विधानसभा के आमचुनाव में बसपा की करारी हार के कारणों का खुलासा किया है। उन्होंने कहा है कि वहां आमने-सामने की प्रत्यक्ष लड़ाई में बीएसपी को नुकसान उठाना पड़ा है। हालांकि उन्होंने भाजपा की हार पर संतोष जताया है। उन्होंने अपने बयान में कहा है कि केंद्र में बीजेपी गठबंधन सरकार की गलत नीतियों व सांप्रदायिक मानसिकता से त्रस्त बिहार की जनता ने राजग को सत्ता में आने से रोकने के लिए अपना एकतरफा वोट नीतिश कुमार व लालू प्रसाद यादव के महागठबंधन को ही दे दिया।

यूपी के मुख्यमंत्री अखिलेश यादव ने बिहार में भाजपा की करारी हार के पीछे दादरी में हुए अखलाक की हत्या और बीफ जैसे मुद्दों को जिम्मेदार बताया। अखिलेश ने कहा है कि सांप्रदायिकता के जरिए बिहार में जीत का ख्वाब देखने वालों को जनता ने जवाब दे दिया। इसका नतीजा यह हुआ की नरेंद्र मोदी के धुंआधार चुनाव प्रचार के बावजूद बिहार की जनता ने नीतीश कुमार को एक बार फिर मौका दिया।

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