क्यों विदेशी मुद्रा व्यापार

इसे सुनेंरोकेंपूँजी के बर्हिगमन को रोकने के लिए- यदि पूँजी को, अचानक ही एक देश से दूसरे देशों में, विशाल मात्राओं में, जाने की छूट दी जाय, तो इससे उस देश के स्वर्ण व विदेशी- विनिमय-कोष एक बहुत ही अल्पकाल में खत्म हो जायेंगे। अत: ऐसे आवागमनों को विनिमय- नियन्त्रण द्वारा रोकना आवश्यक है।
क्या आपने विदेशी मुद्रा व्यापार के बारे में सुना है?
इसे सुनेंरोकेंअन्य वित्तीय बाजारों की अपेक्षा यह बहुत नया है और पिछली शताब्दी में सत्तर क्यों विदेशी मुद्रा व्यापार के दशक में आरम्भ हुआ। फिर भी सम्पूर्ण कारोबार की दृष्टि से यह सबसे बड़ा बाजार है। विदेशी मुद्राओं में प्रतिदिन लगभग ४ ट्रिलियन अमेरिकी डालर के तुल्य कामकाज होता है। अन्य बाजारों की तुलना में यह सबसे अधिक स्थायित्व वाला बाजार है।
क्या व्यापार के लिए विदेशी मुद्रा की स्थापना की मानक मात्रा है?
इसे सुनेंरोकेंविदेशी मुद्रा भंडार की पर्याप्तता अधिकांश समय एक पूर्ण स्तर के रूप में व्यक्त नहीं होती है, बल्कि अल्पकालिक विदेशी ऋण के एक प्रतिशत, पैसे की आपूर्ति, या औसत मासिक आयात के रूप में व्यक्त होती है।
वर्तमान समय में भारत का विदेशी मुद्रा भंडार कितना है?
इसे सुनेंरोकेंवहीं, अंतरराष्ट्रीय मुद्राकोष के पास मौजूद विशेष आहरण अधिकार (एसडीआर) 60 लाख डॉलर बढ़कर 1.552 अरब डॉलर हो गया। रिजर्व बैंक ने बताया कि आलोच्य सप्ताह के दौरान आईएमएफ के पास मौजूद भारत का विदेशी मुद्रा भंडार भी 6.5 करोड़ डॉलर बढ़कर 5.156 अरब डॉलर हो गया।
विदेशी मुद्रा क्या है इसका उपयोग क्यों किया जाता है हिंदी में समझाएं?
इसे सुनेंरोकेंविदेशी मुद्रा भंडार किसी भी देश के केंद्रीय बैंक द्वारा रखी गई धनराशि या अन्य परिसंपत्तियां हैं ताकि जरूरत पड़ने पर वह अपनी देनदारियों का भुगतान कर सकें. इस तरह की मुद्राएं केंद्रीय बैंक जारी करता है. साथ ही साथ सरकार और अन्य वित्तीय संस्थानों की तरफ से केंद्रीय बैंक के पास जमा किये गई राशि होती है.
विदेशी बाजार की पहचान का क्या अर्थ है?
इसे सुनेंरोकेंविदेशी विनिमय बाजार एक विकेन्द्रीकृत वैश्विक बाजार है जहां सभी दुनिया की मुद्राओं का कारोबार होता है एक दूसरे, और व्यापारी मुद्राओं के मूल्य परिवर्तन से लाभ या हानि बनाते हैं। विदेशी मुद्रा बाजार को विदेशी मुद्रा बाजार, FX या मुद्रा ट्रेडिंग मार्केट के रूप में भी जाना जाता है।
विदेशी मुद्रा प्रबंधन अधिनियम 2000 क्या है इसके मुख्य उद्देश्यों पर चर्चा करें?
भारतीय अर्थव्यवस्था
भारत जीडीपी के संदर्भ में विश्व की नवीं सबसे बड़ी अर्थव्यवस्था है । यह अपने भौगोलिक आकार के संदर्भ में विश्व में सातवां सबसे बड़ा देश है और जनसंख्या की दृष्टि से दूसरा सबसे बड़ा देश है । हाल के वर्षों में भारत गरीबी और बेरोजगारी से संबंधित मुद्दों के बावजूद विश्व में सबसे तेजी से उभरती हुई अर्थव्यवस्थाओं में से एक के रूप में उभरा है । महत्वपूर्ण समावेशी विकास प्राप्त करने की दृष्टि से भारत सरकार द्वारा कई गरीबी उन्मूलन और रोजगार उत्पन्न करने वाले कार्यक्रम चलाए जा रहे हैं ।
इतिहास
ऐतिहासिक रूप से भारत एक बहुत विकसित आर्थिक व्यवस्था थी जिसके विश्व के अन्य भागों के साथ मजबूत व्यापारिक संबंध थे । औपनिवेशिक युग ( 1773-1947 ) के दौरान ब्रिटिश भारत से सस्ती दरों पर कच्ची सामग्री खरीदा करते थे और तैयार माल भारतीय बाजारों में सामान्य मूल्य से कहीं अधिक उच्चतर कीमत पर बेचा जाता था जिसके परिणामस्वरूप स्रोतों का द्धिमार्गी ह्रास होता था । इस अवधि के दौरान विश्व की आय में भारत का हिस्सा 1700 ए डी के 22.3 प्रतिशत से गिरकर 1952 में 3.8 प्रतिशत रह गया । 1947 में भारत के स्वतंत्रता प्राप्ति के पश्चात अर्थव्यवस्था की पुननिर्माण प्रक्रिया प्रारंभ हुई । इस उद्देश्य से विभिन्न नीतियॉं और योजनाऍं बनाई गयीं और पंचवर्षीय योजनाओं के माध्यम से कार्यान्वित की गयी ।
विदेश से होने वाले पर्यटन को प्रोत्साहन - क्यों विदेशी मुद्रा व्यापार आगमन पर पर्यटक वीज़ा (टीवीओए) योजना
पर्यटन देश में आर्थिक वृद्धि और रोजगार उत्पादन का एक महत्वपूर्ण साधन है। पर्यटन क्षेत्र में भारत के क्यों विदेशी मुद्रा व्यापार निष्पादन में पिछले तीन वर्षों में उल्लेखनीय वृद्धि दर्शाई गई है। वर्ष 2012 में विदेशी पर्यटकों की संख्या बढ़कर 207.31 लाख और पर्यटन से विदेशी मुद्रा विनिमय से प्राप्ति (एफईई) 94,487 करोड़ रु. हो गई।
इस वृद्धि आंकड़े में आगमन पर पर्यटक वीज़ा (टीवीओए) योजना ने एक अहम भूमिका निभाई है। भारत सरकार ने ग्यारह देशों के नागरिकों के लिए यह योजना आरंभ की है, जो हैं जापान, सिंगापुर, फिलीपीन्स, फिनलैंड, लक्सेमबर्ग, न्यूजीलैंड, कम्बोडिया, लाओस, वियतनाम, म्यांमार और इंडोनेशिया।
वे देश जहां के नागरिकों को टीवीओए पाने की पात्रता है।
आगमन पर पर्यटक वीज़ा (टीवीओए) की वैधता
आगमन पर पर्यटन वीज़ा (टीवीओए) अपनी वैधता अवधि के अंदर भारत में प्रवेश और रहने के लिए इन निर्दिष्ट शर्तों के अधीन वैध होगा। आप्रवास अधिकारी द्वारा आगमन के समय फिनलैंड, जापान, लक्सेमबर्ग, न्यूजीलैंड, सिंगापुर, कम्बोडिया, वियतनाम, फिलीपीन्स, लाओस, इंडोनेशिया या म्यांमार के नागरिकों को एक प्रवेश पर्यटक वीज़ा प्रदान किया जा सकता है। आगमन पर पर्यटक वीज़ा विस्तार योग्य और परिवर्तन योग्य नहीं होगा।
आगमन पर पर्यटक वीज़ा की अनुमति एक कैलेण्डर वर्ष में एक विदेशी को दो आगमनों के बीच कम से कम दो माह के अंतर पर अधिकतम दो बार दी जा सकती है।
बाजार में टाइमिंग महत्वपूर्ण क्यों है?
मुझे यकीन है कि एक बाजार सहभागी के रूप में, आपने लोगों को यह कहते सुना, पढ़ा और संभवतः देखा है - आप कभी भी बाजार को समय नहीं दे सकते, बाजार के समय पर ध्यान केंद्रित न करें, और इसी तरह। हालांकि, मेरी राय में, किसी व्यापार या निवेश की लाभप्रदता का बाजार में प्रवेश के समय क्यों विदेशी मुद्रा व्यापार के साथ-साथ निकास बिंदुओं के साथ सब कुछ करना है।
मैं प्रवेश बिंदु से संबंधित आज की चर्चा को सीमित कर दूंगा।
यह समझाने के लिए कि विभिन्न दिमाग कैसे काम करते हैं, मैं आपको प्रश्न के मुद्दे पर आने से पहले कुछ पृष्ठभूमि दूंगा।
लॉकडाउन चरण के दौरान, मैंने अपने कई कनेक्शनों को सरल तकनीकी विश्लेषण सीखने में मदद की, जो उन्हें न केवल बाजारों में एक बुनियादी अंतर्दृष्टि प्राप्त करने में मदद करेगा, बल्कि उन्हें व्यापार से आय उत्पन्न करने में भी मदद करेगा। जिनके पास हमेशा अतिरिक्त नकदी होती थी वे आसानी से "मापा जोखिम" लेना सीखकर या उस व्यापार के लाभदायक होने की उच्च संभावना के साथ आसानी से निवेश कर सकते थे।
रूस पर लगे प्रतिबंध से उठे सवाल (Questions raised by sanctions on Russia)
डॉलर जारी करने वाला देश भी यही वायदा करता है कि जब भी कोई देश अपनी विदेशी मुद्रा से डॉलर की मांग करेगा तो उसे डॉलर मिल जायेगा। लेकिन रूस पर लगे प्रतिबंध (sanctions on Russia) से यह सवाल उठता है कि क्या वाकई विदेशी मुद्रा भंडार के तौर पर डॉलर का इस्तेमाल करना उचित है? डॉलर को विदेशी मुद्रा भंडार के तौर पर इस्तेमाल करने का मतलब कहीं अप्रत्यक्ष तौर पर अमेरिका की गुलामी स्वीकारना तो नहीं है?
क्या डॉलर क्यों विदेशी मुद्रा व्यापार ग्लोबल करेंसी है? | Is Dollar a Global Currency?
यह कैसे न्यायोचित हो सकता है कि कोई देश अपने ही पैसा का इस्तेमाल नहीं कर पाए?
मान लिया जाए कि भारत और पाकिस्तान के बीच लम्बे समय तक युद्ध चले, भारत के विदेशी भंडार पर अमेरिका प्रतिबंध लगा दे, तब क्या होगा? यह कुछ जरूरी सवाल है जो डॉलर को ग्लोबल करेंसी के तरह इस्तेमाल करने पर खड़ा हुए हैं?